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पूर्व हॉकी कोच अली सिबाटियन नकवी ने याद किया वो दिन जब हिटलर ने किया था ध्यानचंद को सलाम - हिटलर

एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू के दौरान अली सिबाटियन नकवी ने कहा, "दादा ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था, उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कई गोल किए थे और भारत ने ये मैच 8-1 से जीता था. हिटलर ने दादा ध्यानचंद को सलाम किया और उन्हें जर्मनी की सेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया."

major dhyanchand
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Published : Aug 10, 2020, 3:51 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 4:13 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच अली सिबाटियन नकवी ने एक मीडिया हाउस को दिए अपने इंटरव्यू में याद किए वो दिन जब मेजर ध्यानचंद के खेल और देश भक्ति का दीवाना हो उटा था पूरा जर्मनी.

इंटरव्यू के दौरान अली सिबाटियन नकवी ने कहा, "दादा ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था, उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कई गोल किए थे और भारत ने ये मैच 8-1 से जीता था. हिटलर ने दादा ध्यानचंद को सलाम किया और उन्हें जर्मनी की सेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया."

major dhyanchand
मेजर ध्यानचंद गोल दागते

उन्होंने कहा, "ये पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान हुआ था और दादा कुछ देर शांत रहे, खचाखच भरा स्टेडियम शांत हो गया और डर था कि अगर ध्यानचंद ने प्रस्ताव ठुकरा दिया तो हो सकता कि तानाशाह उन्हें मार दें. दादा ने ये बात मुझे बताई थी उन्होंने हिटलर के सामने आंखे बंद करने के बावजूद सख्त आवाज में कहा था कि 'भारत बिकाऊ नहीं है'."

major dhyanchand
1936 ओलंपिक फाइनल की स्कोरलाइन

उन्होंने कहा, "हैरानी वाली बात ये थी कि पूरे स्टेडियम और हिटलर ने हाथ मिलाने के बजाए उन्हें सलाम किया और कहा, जर्मन राष्ट्र आपको आपके देश और राष्ट्रवाद के प्यार के लिए सलाम करता है. उनको जो हॉकी का जादूगर का तमगा मिला था वो भी हिटलर ने दिया था. ऐसे खिलाड़ी सदियों में एक होते हैं."

major dhyanchand
गोलकीपर को डॉज करते मेजर ध्यानचंद

नकवी ने अपने जमाने की हॉकी और आज की हॉकी में अंतर बताते हुए कहा, भारत की मौजूदा टीम ऑस्ट्रेलियाई और यूरोपियन प्रशिक्षकों के हाथ में है और अब वो यूरोपियन स्टाइल में ही खेलने लगी है. उन्होंने कलात्मक हॉकी को बदल दिया है और मुख्य रूप से फिजिकल फिटनेस पर निर्भर हो गए हैं."

उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलियाई कोच उन्हें यूरोपियन और भारतीय स्टाइल की हॉकी सिखा रहे हैं और इसलिए वो सफल हैं लेकिन भारत की मौजूदा टीम के साथ समस्या ये है कि उनका प्रदर्शन निरंतर नहीं है. ये कुछ अहम मैचों में देखा गया है और वो अंत के पलों में मैच हार जाते हैं."

major dhyanchand
गोल करते मैच को दौरान मेजर ध्यानचंद

भारत इस समय विश्व रैंकिंग में नंबर-4 पर है. नकवी के मुताबिक भारतीय टीम अगले साल होने वाले ओलम्पिक खेलों में अपना ताज वापस पाने के काबिल है.

उन्होंने कहा, "हां, मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली युवा टीम इसकी काबिलियत रखती है. वो मेरे पसंदीदा खिलाड़ी भी हैं. ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि टीम शीर्ष-4 में रहेगी, बाकी किस्मत."

नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच अली सिबाटियन नकवी ने एक मीडिया हाउस को दिए अपने इंटरव्यू में याद किए वो दिन जब मेजर ध्यानचंद के खेल और देश भक्ति का दीवाना हो उटा था पूरा जर्मनी.

इंटरव्यू के दौरान अली सिबाटियन नकवी ने कहा, "दादा ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था, उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कई गोल किए थे और भारत ने ये मैच 8-1 से जीता था. हिटलर ने दादा ध्यानचंद को सलाम किया और उन्हें जर्मनी की सेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया."

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मेजर ध्यानचंद गोल दागते

उन्होंने कहा, "ये पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान हुआ था और दादा कुछ देर शांत रहे, खचाखच भरा स्टेडियम शांत हो गया और डर था कि अगर ध्यानचंद ने प्रस्ताव ठुकरा दिया तो हो सकता कि तानाशाह उन्हें मार दें. दादा ने ये बात मुझे बताई थी उन्होंने हिटलर के सामने आंखे बंद करने के बावजूद सख्त आवाज में कहा था कि 'भारत बिकाऊ नहीं है'."

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1936 ओलंपिक फाइनल की स्कोरलाइन

उन्होंने कहा, "हैरानी वाली बात ये थी कि पूरे स्टेडियम और हिटलर ने हाथ मिलाने के बजाए उन्हें सलाम किया और कहा, जर्मन राष्ट्र आपको आपके देश और राष्ट्रवाद के प्यार के लिए सलाम करता है. उनको जो हॉकी का जादूगर का तमगा मिला था वो भी हिटलर ने दिया था. ऐसे खिलाड़ी सदियों में एक होते हैं."

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गोलकीपर को डॉज करते मेजर ध्यानचंद

नकवी ने अपने जमाने की हॉकी और आज की हॉकी में अंतर बताते हुए कहा, भारत की मौजूदा टीम ऑस्ट्रेलियाई और यूरोपियन प्रशिक्षकों के हाथ में है और अब वो यूरोपियन स्टाइल में ही खेलने लगी है. उन्होंने कलात्मक हॉकी को बदल दिया है और मुख्य रूप से फिजिकल फिटनेस पर निर्भर हो गए हैं."

उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलियाई कोच उन्हें यूरोपियन और भारतीय स्टाइल की हॉकी सिखा रहे हैं और इसलिए वो सफल हैं लेकिन भारत की मौजूदा टीम के साथ समस्या ये है कि उनका प्रदर्शन निरंतर नहीं है. ये कुछ अहम मैचों में देखा गया है और वो अंत के पलों में मैच हार जाते हैं."

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गोल करते मैच को दौरान मेजर ध्यानचंद

भारत इस समय विश्व रैंकिंग में नंबर-4 पर है. नकवी के मुताबिक भारतीय टीम अगले साल होने वाले ओलम्पिक खेलों में अपना ताज वापस पाने के काबिल है.

उन्होंने कहा, "हां, मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली युवा टीम इसकी काबिलियत रखती है. वो मेरे पसंदीदा खिलाड़ी भी हैं. ऐसी उम्मीद की जा सकती है कि टीम शीर्ष-4 में रहेगी, बाकी किस्मत."

Last Updated : Aug 10, 2020, 4:13 PM IST
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