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हॉकी में डिफेंडर्स चैंपियनशिप जिताते हैं जबकि फॉरवर्ड मैच जिताते हैं : मोहम्मद रियाज

भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व मिडफील्डर एन मोहम्मद रियाज ने कहा कि 1989 की राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप उनके करियर के लिए एक टर्निग प्वाइंट था. उन्होंने कहा, " मैं वहां भी अच्छा खेल रहा था. जब टीम हाफ टाइम तक पीछे रहती थी तो मैं गोल करता था और टीम को जीत दिलाता था."

Mohammed Riaz
Mohammed Riaz
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Published : Oct 30, 2020, 4:53 PM IST

चेन्नई : भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व मिडफील्डर एन मोहम्मद रियाज ने कहा है कि हॉकी में डिफेंडर्स चैंपियनशिप जिताते हैं, जबकि स्ट्राइकर्स मैच.

49 वर्षीय अर्जुन अवॉर्डी रियाज 1990 से 2000 तक भारत के लिए 280 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. फिलहाल वह एक एयरलाइन कंपनी में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं.

रियाज का मानना है कि मिडफील्डर स्ट्राइकर्स के लिए गोल करने का मौका बनाते हैं, जबकि विपक्षी टीम को गोल करने से रोकते हैं.

उन्होंने कहा, "डिफेंडर्स चैंपियनशिप जिताते हैं जबकि फॉरवर्ड मैच जिताते हैं."

Mohammed Riaz
मोहम्मद रियाज

पूर्व भारतीय कप्तान रियाज 1996 और 2000 ओलंपिक, विश्व कप 1994 और 1998 तथा एशियाई खेल 1994 और 1998 में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसके अलावा वह 2002 में बेल्जियम में और 2004 में जर्मनी में पेशेवर लीग में भी खेल चुके हैं.

पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान और ओलंपियन वी भास्करण ने कहा, "हॉकी उनके खून में दौड़ता है. उनके पिता मोहम्मद नबी भी एक अच्छे खिलाड़ी और एक अंतरराष्ट्रीय रेफरी थे. उनके परिवार में भी हॉकी के अच्छे खिलाड़ी थे."

रियाज के बड़े भाई तमिलनाडु के लिए जबकि छोटा भाई राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके हैं. रियाज के बारे में ऐसा कहा जाता था कि हॉकी में वह पानी से मछली निकालने जैसे थे.

रियाज ने कहा कि 1989 की राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप उनके करियर के लिए एक टर्निग प्वाइंट था. उन्होंने कहा, " मैं वहां भी अच्छा खेल रहा था. जब टीम हाफ टाइम तक पीछे रहती थी तो मैं गोल करता था और टीम को जीत दिलाता था. अखबारों की हेडलाइन में 'रियाज बनाम प्रतिद्वंद्वी टीम' से शीर्षक होता था."

रियाज ने उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा और हॉकी में उनका खेल आगे बढ़ता गया.

मॉस्को ओलंपिक में अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक जिताने वाले भास्करण ने कहा, "मैंने रियाज को एक जूनियर खिलाड़ी के रूप में देखा था. वह वाराणसी में रेलवे कर्मचारियों के वार्ड के लिए आयोजित एक हॉकी टूर्नामेंट में खेल चुके थे. उनके पिता रेलवे में थे. दक्षिण रेलवे की टीम फाइनल में पहुंची थी. उस समय मुझे लगा था कि यह लड़का एक बड़े खिलाड़ी में बदल जाएगा और ऐसा ही हुआ."

इसके बाद रियाज का चयन जूनियर टीम के लिए और फिर सीनियर टीम के लिए हुआ. उन्होंने मलेशिया में अजलान शाह कप में भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया था. वह 1993 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे.

रियाज के एक खिलाड़ी के अलावा एक कोच के रूप में भी काफी सफल रहे हैं. उनके मार्गदर्शन में भारतीय सीनियर्स और जूनियर्स टीम ने 2011 में चीन में आयोजित एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में स्वर्ण और रजत पदक जीते थे. इसके अलावा टीम ने 2011 में चैंपियंस चैलेंज हॉकी चैंपियनशिप दक्षिण अफ्रीका में रजत और पोलैंड में ओयाजित जूनियर यूरोपीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे.

रियाज अब अपना खाली समय मैदान में जूनियर खिलाड़ियों को खेलने की तकनीक के लिए टिप्स दे रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैं अपने पुराने स्कूल के छात्रों के लिए हर साल मुफ्त कोचिंग करता हूं. मैं कोविलपट्टी अकादमी के खिलाड़ियों को भी कोचिंग देता हूं. मैं अपने कौशल सेट को जूनियर्स के साथ साझा करना चाहता हूं."

रियाज ने मौजूदा भारतीय हॉकी टीम को लेकर कहा कि भारतीय टीम दुनिया में शीर्ष पांच में है और पदक की संभावनाएं बहुत दूर नहीं हैं.

उन्होंने कहा, "पहले जर्मनी, स्पेन और हॉलैंड जैसे देश अधिकांश टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल में प्रवेश करती थीं. लेकिन अब विश्व हॉकी का परिदृश्य बदल गया है और कम रैंकिंग वाली टीमें अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और चैंपियनशिप जीत रही हैं."

चेन्नई : भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व मिडफील्डर एन मोहम्मद रियाज ने कहा है कि हॉकी में डिफेंडर्स चैंपियनशिप जिताते हैं, जबकि स्ट्राइकर्स मैच.

49 वर्षीय अर्जुन अवॉर्डी रियाज 1990 से 2000 तक भारत के लिए 280 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. फिलहाल वह एक एयरलाइन कंपनी में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं.

रियाज का मानना है कि मिडफील्डर स्ट्राइकर्स के लिए गोल करने का मौका बनाते हैं, जबकि विपक्षी टीम को गोल करने से रोकते हैं.

उन्होंने कहा, "डिफेंडर्स चैंपियनशिप जिताते हैं जबकि फॉरवर्ड मैच जिताते हैं."

Mohammed Riaz
मोहम्मद रियाज

पूर्व भारतीय कप्तान रियाज 1996 और 2000 ओलंपिक, विश्व कप 1994 और 1998 तथा एशियाई खेल 1994 और 1998 में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसके अलावा वह 2002 में बेल्जियम में और 2004 में जर्मनी में पेशेवर लीग में भी खेल चुके हैं.

पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान और ओलंपियन वी भास्करण ने कहा, "हॉकी उनके खून में दौड़ता है. उनके पिता मोहम्मद नबी भी एक अच्छे खिलाड़ी और एक अंतरराष्ट्रीय रेफरी थे. उनके परिवार में भी हॉकी के अच्छे खिलाड़ी थे."

रियाज के बड़े भाई तमिलनाडु के लिए जबकि छोटा भाई राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके हैं. रियाज के बारे में ऐसा कहा जाता था कि हॉकी में वह पानी से मछली निकालने जैसे थे.

रियाज ने कहा कि 1989 की राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप उनके करियर के लिए एक टर्निग प्वाइंट था. उन्होंने कहा, " मैं वहां भी अच्छा खेल रहा था. जब टीम हाफ टाइम तक पीछे रहती थी तो मैं गोल करता था और टीम को जीत दिलाता था. अखबारों की हेडलाइन में 'रियाज बनाम प्रतिद्वंद्वी टीम' से शीर्षक होता था."

रियाज ने उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा और हॉकी में उनका खेल आगे बढ़ता गया.

मॉस्को ओलंपिक में अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक जिताने वाले भास्करण ने कहा, "मैंने रियाज को एक जूनियर खिलाड़ी के रूप में देखा था. वह वाराणसी में रेलवे कर्मचारियों के वार्ड के लिए आयोजित एक हॉकी टूर्नामेंट में खेल चुके थे. उनके पिता रेलवे में थे. दक्षिण रेलवे की टीम फाइनल में पहुंची थी. उस समय मुझे लगा था कि यह लड़का एक बड़े खिलाड़ी में बदल जाएगा और ऐसा ही हुआ."

इसके बाद रियाज का चयन जूनियर टीम के लिए और फिर सीनियर टीम के लिए हुआ. उन्होंने मलेशिया में अजलान शाह कप में भारतीय टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया था. वह 1993 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे.

रियाज के एक खिलाड़ी के अलावा एक कोच के रूप में भी काफी सफल रहे हैं. उनके मार्गदर्शन में भारतीय सीनियर्स और जूनियर्स टीम ने 2011 में चीन में आयोजित एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में स्वर्ण और रजत पदक जीते थे. इसके अलावा टीम ने 2011 में चैंपियंस चैलेंज हॉकी चैंपियनशिप दक्षिण अफ्रीका में रजत और पोलैंड में ओयाजित जूनियर यूरोपीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे.

रियाज अब अपना खाली समय मैदान में जूनियर खिलाड़ियों को खेलने की तकनीक के लिए टिप्स दे रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैं अपने पुराने स्कूल के छात्रों के लिए हर साल मुफ्त कोचिंग करता हूं. मैं कोविलपट्टी अकादमी के खिलाड़ियों को भी कोचिंग देता हूं. मैं अपने कौशल सेट को जूनियर्स के साथ साझा करना चाहता हूं."

रियाज ने मौजूदा भारतीय हॉकी टीम को लेकर कहा कि भारतीय टीम दुनिया में शीर्ष पांच में है और पदक की संभावनाएं बहुत दूर नहीं हैं.

उन्होंने कहा, "पहले जर्मनी, स्पेन और हॉलैंड जैसे देश अधिकांश टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल में प्रवेश करती थीं. लेकिन अब विश्व हॉकी का परिदृश्य बदल गया है और कम रैंकिंग वाली टीमें अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और चैंपियनशिप जीत रही हैं."

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