नई दिल्ली : 29 नवम्बर को तकनीकी समिति की एक बैठक हुई थी और उससे ये रिपोर्ट सामने आई थी कि समिति ने स्टीमाक से बांग्लादेश और अफगास्तिान के साथ हुए विश्व कप क्वालीफायर मुकाबलों में टीम के प्रदर्शन पर बात की थी. ऐसा भी कहा गया था कि समिति ने इन दोनों मैचों में जीत न हासिल कर पाने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी.
मामले को गलत तरीके से पेश किया गया
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एक वेबसाइट से बात करते हुए थापा ने साफ किया कि इस मामले को गलत तरीके से पेश किया गया. हमने स्टीमाक से बात की थी और इस बात पर चर्चा की थी कि टीम किस तरह से आने वाले समय में सुधार कर सकती है. थापा के मुताबिक कोच से यही कहा गया था कि अगर इन दो टीमों के खिलाफ भारतीय टीम ने अटैकिंग फुटबॉल खेला होता तो इस तरह का परिणाम नहीं देखने को मिलता.
अटैकिंग फुटबॉल खेलना चाहिए
थापा ने कहा, "हमारी बातचीत हुई थी और हम इस बात पर राजी हुए थे कि मौजूदा स्टाइल ऑफ प्ले को बदलना होगा साथ ही टीम की फाइटिंग स्प्रिट को भी बेहतर करना होगा. हमने कोच से ये भी कहा था कि भारतीय टीम को निचले दर्जे की टीमों के खिलाफ अटैकिंग फुटबॉल खेलना चाहिए था."
मैच जीतने का अच्छा मौका था
थापा के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि अपने से ऊंचे रैंक वाली टीमों के खिलाफ टीम ने अच्छी फुटबॉल खेली लेकिन कम रैंक वाली टीमों के खिलाफ डिफेंसिव हो गई. थापा ने कहा कि इस सम्बंध में सिर्फ बातचीत हुई थी और मुद्दा ये था कि हमारे पास ये मैच जीतने का अच्छा मौका था लेकिन हम ऐसा नहीं कर सके.
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थापा ने इस बात पर भी सहमति जताई कि भारतीय टीम में स्ट्राइकर्स की कमी है और सुनील छेत्री के बाद कोई क्वालिटी स्ट्राइकर नहीं दिखाई दे रहा है.