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इगोर स्टिमाक बहुत धैर्यवान और समझदार है, कभी परेशान या गुस्से में नहीं देखा: आकाश मिश्रा

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में किसान के परिवार में जन्में आकाश मिश्रा ने भारतीय राष्ट्रीय टीम शिविर के लिए बुलाए जाने पर अपनी खुशी जाहिर की है.

Akash Mishra
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Published : Mar 20, 2021, 6:26 PM IST

नई दिल्ली: आकाश मिश्रा ने ये भी खुलासा किया है कि कैसे भगवान गौतम बुद्ध का उनके जीवन में बड़ा प्रभाव रहा है और उन्होंने कोच इगोर स्टिमैक की भूमिका के बारे में भी बताया.

एआईएफएफ की आधिकारिक वेबसाइट ने मिश्रा के हवाले से कहा, "राष्ट्रीय टीम किसी भी देश का सबसे अच्छा वर्जन होता है. 1.4 बिलियन के हमारे देश में से सबसे अच्छे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम शिविर के लिए बुलाया जाता है. बेहतर लोगों को अंतिम 23 में और उसके बाद जगह मिलेगा. प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने को लेकर काफी भागदौड़ है लेकिन ये एक स्वस्थ प्रतियोगिता भी है. एक सामान्य अभ्यास सत्र में भी, आपको 100 फीसदी से अधिक देने की जरूरत होती है नहीं तो कोई और आपकी जगह ले लेगा.''

ये कोई क्लब नहीं है जहां अनुबंध पर रहते हैं. इस मौके को अर्जित करने की आवश्यकता है और इसे बनाए रखना एक असंभव कार्य की तरह है. जब आप अनुभवी खिलाड़ियों से घिरे होते हैं जो आपसे बेहतर होते हैं, तो आपकी फुटबॉल शिक्षा में सुधार होता है.

अपने जीवन में बड़े प्रभाव के बारे में बात करते हुए मिश्रा ने कहा, "हर बार जब मैं श्रावस्ती गया हूं, मुझे अपने भीतर कुछ नया दिखा. भगवान गौतम बुद्ध ने श्रावस्ती में कई साल बिताए थे. उनकी शिक्षाएं सभी जगह हैं. आप जब आप वहां हों तो एक अनोखी अनुभूति का अनुभव करें. सभी जगह शांति है. इस अर्थ में, आप कह सकते हैं कि भगवान बुद्ध के शांत होने ने मुझे बहुत प्रभावित किया है."

ये भी पढ़ें- कभी अपना भारतीय पासपोर्ट वापस करने के बारे में नहीं सोचा : इशान पंडिता

कोच इगोर स्टिमाक की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने जवाब दिया, "वो बहुत धैर्यवान और समझदार है. वो तकनीकी खेल पर जोर देते हैं. मैंने उन्हें कभी परेशान या गुस्से में नहीं देखा है. वो हर स्थिति में बहुत कूल रहते हैं. - एक ऐसा पहलू जिसे हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी अपने जीवन में लाने की जरूरत है.''

नई दिल्ली: आकाश मिश्रा ने ये भी खुलासा किया है कि कैसे भगवान गौतम बुद्ध का उनके जीवन में बड़ा प्रभाव रहा है और उन्होंने कोच इगोर स्टिमैक की भूमिका के बारे में भी बताया.

एआईएफएफ की आधिकारिक वेबसाइट ने मिश्रा के हवाले से कहा, "राष्ट्रीय टीम किसी भी देश का सबसे अच्छा वर्जन होता है. 1.4 बिलियन के हमारे देश में से सबसे अच्छे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम शिविर के लिए बुलाया जाता है. बेहतर लोगों को अंतिम 23 में और उसके बाद जगह मिलेगा. प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने को लेकर काफी भागदौड़ है लेकिन ये एक स्वस्थ प्रतियोगिता भी है. एक सामान्य अभ्यास सत्र में भी, आपको 100 फीसदी से अधिक देने की जरूरत होती है नहीं तो कोई और आपकी जगह ले लेगा.''

ये कोई क्लब नहीं है जहां अनुबंध पर रहते हैं. इस मौके को अर्जित करने की आवश्यकता है और इसे बनाए रखना एक असंभव कार्य की तरह है. जब आप अनुभवी खिलाड़ियों से घिरे होते हैं जो आपसे बेहतर होते हैं, तो आपकी फुटबॉल शिक्षा में सुधार होता है.

अपने जीवन में बड़े प्रभाव के बारे में बात करते हुए मिश्रा ने कहा, "हर बार जब मैं श्रावस्ती गया हूं, मुझे अपने भीतर कुछ नया दिखा. भगवान गौतम बुद्ध ने श्रावस्ती में कई साल बिताए थे. उनकी शिक्षाएं सभी जगह हैं. आप जब आप वहां हों तो एक अनोखी अनुभूति का अनुभव करें. सभी जगह शांति है. इस अर्थ में, आप कह सकते हैं कि भगवान बुद्ध के शांत होने ने मुझे बहुत प्रभावित किया है."

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कोच इगोर स्टिमाक की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने जवाब दिया, "वो बहुत धैर्यवान और समझदार है. वो तकनीकी खेल पर जोर देते हैं. मैंने उन्हें कभी परेशान या गुस्से में नहीं देखा है. वो हर स्थिति में बहुत कूल रहते हैं. - एक ऐसा पहलू जिसे हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी अपने जीवन में लाने की जरूरत है.''

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