कोलकाता: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) ने देश के बड़े फुटबॉल क्लब ईस्ट बंगाल को राहत दी है. महासंघ ने क्लब के लिए लाइसेंस प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा को बढ़ा दिया है.
एआईएफएफ ने एक बयान में कहा,"एआईएफएफ के क्लब लाइसेंस प्रशासन ने 14 जुलाई को सभी क्लबों को क्लब लाइसेंसिंग एप्लीकेशन पैक दिया था. ये उन सभी क्लबों को दिया गया था जो 2020-21 सीजन में इंडियन क्लब लाइसेंसिंग प्रोसेस के लिए योग्य हैं."
इसके लिए क्लबों को 24 जुलाई तक पुष्टि करनी थी लेकिन ईस्ट बंगाल के लिए छूट दी गई है.
एआईएफएफ के सचिव कुशल दास ने गुरुवार को कहा,"हां, उनके अनुरोध पर उनको 31 जुलाई तक के लिए समय दिया गया है."
ऐसा पता चला है कि क्लब लाइसेंसिंग कागजात और समय सीमा मिलने के बाद ईस्ट बंगाल के एक निदेशक ने एआईएफएफ से समय बढ़ाने की अपील की थी.
ईस्ट बंगाल इस समय काफी परेशानी में है क्योंकि उसका हाल ही में क्वैस कार्प के साथ करार खत्म हुआ है जिसका क्लब में 70 फीसदी हिस्सा था. दोनों के बीच तीन साल का करार हुआ था लेकिन बेगलुरू स्थित कंपनी ने 31 मई को ही करार खत्म कर दिया.
लेकिन, उन्होंने इसके बारे में एआईएफएफ को सूचित नहीं किया जबकि एआईएफएफ ने उनसे क्लब का स्टेटस और मालिकाना हक में बदलाव होने पर जानकारी देने को कहा था. एएफसी क्लब लाइसेंस 2020-21 पाने के लिए ईस्ट बंगाल को एआईएफएफ में मालिकाना हक को लेकर सही जानकारी देनी होगी.
मंगलवार को एआईएफएफ ने लाइसेंस प्रक्रिया के लिए सभी क्लबों को दस्तावेज भेजे और अगर ईस्ट बंगाल 24 जुलाई से पहले इस पर कुछ कर नहीं पाता तो वो एआईएफएफ और एएफसी टूर्नामेंट से बाहर जा सकता था.
सूत्रों की मानें तो क्वैस ने ईस्ट बंगाल को करार खत्म होने के संबंध में एक ड्राफ्ट भेजा है, साथ ही जरूरत पड़ने पर कंपनी इक्विटी तीसरी पार्टी को बेचने का विकल्प भी खुला रखा है और इसी संबंध में वो ईस्ट बंगाल के जवाब का इंतजार कर रही है.
सूत्रों की मानें तो क्लब ने करार खत्म होने के ड्राफ्ट को हस्ताक्षर कर बाकी औपचारिकाओं के लिए वापस क्वैस को भेज दिया है.
इसलिए इस बात की उम्मीद की जाती है कि ईस्ट बंगाल फुटबॉल संबंधी मामलों में खेलने के अधिकार हासिल कर लेगा.