लंदन: मैनचेस्टर यूनाइटेड और इंग्लैंड के फुटबॉलर मार्कस रैश्फोर्ड ने एक बुक क्लब की शुरुआत की है, ताकि सभी बच्चे पढ़ने का अनुभव कर सकें और अपनी जिंदगी के दुख से दूर होकर कुछ सीख सकें और ये समझ सकें कि जो उनके संघर्ष हैं असल में उनके जीवन को और बेहतर बनाने वाला है.
सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों के बीच पढ़ने को बढ़ावा देने के लिए मैकमिलन चिल्ड्रेन्स बुक्स (MCB) के साथ टीम बनाकर, रैश्फोर्ड ने कहा कि वो चाहते थे कि उन्हें एक बच्चे के रूप में और अधिक पढ़ने का मौका मिलता, लेकिन उनके परिवार को खाने पर प्राथमिकता देनी जरूरी थी न की किताबों को.
MCB ने कहा कि कमजोर और कम-विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि वाले बच्चों के हाथों में किताबें देने का विशेष ध्यान दिया जाएगा.
इस साझेदारी का पहला टाइटल है, 'यू आर ए चैंपियन': अनलॉक योर पोटेंशियल, फाइंड योर वॉइस एंड बी द बेस्ट यू कैन बी - एक नॉन-फिक्शन टाइटल जिसका उद्देश्य 11-16 साल के युवाओं को दिया जाएगा. इसे मई 2021 में प्रकाशित किया जाएगा. इसका हर एक अध्याय रैश्फोर्ड के जीवन की एक कहानी के साथ शुरू होगा और शिक्षा, सकारात्मक मानसिकता, संस्कृति की समझ और उनकी जिन्दगी में महिलाओं की भूमिका जैसे विषयों को कवर करेगा.
इस मौके पर रैश्फोर्ड ने कहा, “मैंने केवल 17 साल की उम्र में पढ़ना शुरू किया था, और इसने मेरे दृष्टिकोण और मानसिकता को पूरी तरह से बदल दिया. मैं चाहता हूं कि मुझे एक बच्चे के रूप में वास्तव में अधिक पढ़ने का मौका मिलना चाहिए था लेकिन किताबें कभी भी एक ऐसी चीज नहीं थीं जिसे हम एक परिवार के रूप में बजट का हिस्सा बना सकते क्योंकि किताबों के आगे हमारी टेबल पर खाना होना ज्यादा जरूरी था."
उन्होंने कहा, “कई बार ऐसा हुआ था कि पढ़ने के दौरान वास्तव में मेरी मदद हुई. मैं सभी बच्चों के लिए ये ऐस्केपिज्म (रोजमररा की जिन्दगी से छुपकर किसी और चीज को समय देना) चाहता हूं. सिर्फ वो ही नहीं जो किताबों के खरीद सकते हैं. हम जानते हैं कि आज पूरे ब्रिटेन में 3,80,000 से अधिक बच्चे हैं, जिनके पास कभी किताब नहीं थी, जो बच्चे कमजोर वातावरण से आते हैं. जिसे बदलना है. मेरी किताबें हैं, और हमेशा रहेंगी, हर बच्चे के लिए, भले ही मुझे उन्हें खुद ही देने के लिए आना पड़े. हम उन तक पहुंचेंगे.”
रैशफोर्ड ने कहा, “हमारे बच्चों को पढ़ने दें कि वो अकेले नहीं हैं और उन्हें सपने देखने में सक्षम बनने दें. उन्हें उन बाधाओं के लिए तैयार होने दें जिनका वो सामना कर सकते हैं. सभी जाति, धर्म और लिंग के लोगों को सही ढंग से चित्रित करके और आधुनिक समाज के प्रतिनिधि को सुनिश्चित करके उन्हें चीजों के समझने की अनुमति दें. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां बड़े होते हैं, प्रतिभा को पहचाना जाना चाहिए और उसे चैंपियन बनाना चाहिए.”