नई दिल्ली: भारत के लिए 100 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा है कि 2011 में उनके संन्यास लेने के बाद बेहतर बुनियादी ढांचे ने टीम के विकास में मदद की है.
भूटिया ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) टेलीविजन से कहा, "हमारे समय के मुकाबले खिलाड़ियों को अब बेहतर समर्थन, मंच और प्रतियोगिता के स्तर के साथ बढ़िया कोचिंग स्टाफ मिल रहा है. हमारे समय के मुकाबले अब, राष्ट्रीय टीम के मैचों की संख्या में तीन-चार गुना बढोतरी हुई है."
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उन्होंने कहा, "मौजूदा टीम की तुलना में हमें कम मैच खेलने को मिलते थे. क्वालीफिकेशन मैचों में अक्सर हमारा मुकाबला कड़ी टीमों के खिलाफ होता था. खिलाड़ियों को अब ज्यादा मैच खेलने को मिल रहे हैं. इससे वो समय के साथ बेहतर हो रहे हैं."
वर्ष 1995 में भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम में पदार्पण करने वाले भूटिया ने कहा कि 2014 में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के शुरू होने के बाद भारतीय फुटबॉल में काफी सकारात्मक बदलाव आया है.
पूर्व कप्तान ने कहा, "आईएसएल के शुरू होने के बाद आप देख सकते हैं कि बुनियादी ढांचे, प्रशिक्षण के मैदान, मैच, कोचिंग और खेल के मैदान की गुणवत्ता बहुत बढ़ गई है. मेरे समय में, हमारे पास खेलने के लिए कुछ कठिन पिचें होती थी, जहां गेंद पर रोल भी नहीं किया गया था. हालांकि, मेरे पास उन मैचों की कई शानदार यादें हैं और मुझे खेलने में काफी आनंद आया."
वर्ष 1998 में अर्जुन अवॉर्ड और 2008 में पद्मश्री पाने वाले भूटिया ने राष्ट्रीय टीम के लिए बेहतर खिलाड़ियों के विकास के लिए जमीनी स्तर पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय टीम के लिए, हमें अच्छे स्तर के खिलाड़ियों को तैयार करना होगा. हमारे पास इस समय अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन अगर हम एशिया में सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं, तो हमें बड़े और बेहतर खिलाड़ियों को लगातार तैयार करते रहना होगा."
भूटिया ने कहा, "राष्ट्रीय टीमों के लिए हमारा लक्ष्य एएफसी एशियाई कप और फीफा युवा विश्व कप के लिए नियमित रूप से क्वालीफाई करने का होना चाहिए."