नई दिल्ली : एटीके के कोचिंग स्टाफ के सदस्य संजय सेन ने इस बात पर निराशा जताई कि शायद ही उन्हें कोई नाम याद है जो कि स्ट्राइकर सुनील छेत्री, डिफेंडर संदेश झिंगन और अनस एथाडोकिा की जगह ले सके.
संजय सेन ने दो सुझाव दिए
सेन ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, "मैं इसकी दो तरीकों से व्याख्या करना चाहूंगा. पहला ये कि देश की चैंपियन टीम एएफसी चैंपियनशिप में खेलने जाएगी. एएफसी टूर्नामेंट में केवल चार विदेशी खिलाड़ी ही खेल सकते हैं और इनमें तीन विदेश तथा एक एशिया से. आईएसएल और आई लीग में ये नियम है कि आप सात खिलाड़ियों को रख सकते हैं और एक मैच में पांच विदेशी खिलाड़ी मैदान पर उतरेंगे."
उन्होंने कहा, "दूसरा यह कि अगर आप अपने क्लब में कम विदेशी खिलाड़ियों को चुनते हैं तो अधिक भारतीय खिलाड़ियों को इसमें शामिल किया जा सकता है."
विदेशी फुटबॉलरों का दबदबा है
उन्होंने कहा, "सुनील के बाद आप मुझे कोई एक नाम बता दीजिए. कोई नहीं है. आप केवल एक ही अच्छे डिफेंडर का नाम ले सकते हैं. अगर इनमें से कोई चोटिल हो जाता है तो हम मुश्किल ही उसकी जगह किसी को उतार सकते हैं. हमारे सभी क्लबों की यही स्थिति है और वहां पर विदेशी फुटबॉलरों का दबदबा है."
हमें राष्ट्रीय टीम के बारे में भी सोचने की जरूरत
सेन ने कहस, "मैं क्लब को दोष नहीं दे रहा हूं. वे टूर्नामेंट जीतने के लिए अपनी टीम बनाते हैं. इसलिए वे भारतीय खिलाड़ियों की तुलना में विदेशी खिलाड़ियों को टीम में शामिल करते हैं." उन्होंने कहा कि भारतीय फुटबॉल की भलाई के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है.
सेन ने कहा, "मैं इससे सहमत हूं कि आईएसएल एक अच्छा टूर्नामेंट है. मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आईएसएल से भारतीय फुटबॉल के स्तर में सुधार आएगा लेकिन साथ ही हमें राष्ट्रीय टीम के बारे में भी सोचने की जरूरत है और इसके लिए मैं स्टीमाक के विचारों से सहमत हूं."