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49 साल के हुए भारतीय कोच राहुल द्रविड़, देखिए कैसा रहा 'द वॉल' का टेस्ट करियर

पूर्व भारतीय कप्तान मंगलवार को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं, आइए एक नजर डालते हैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी कुछ बेहतरीन पारियों पर.

Rahul Dravid turns 49, here's a look at The Wall's finest knocks in Tests
Rahul Dravid turns 49, here's a look at The Wall's finest knocks in Tests
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Published : Jan 11, 2022, 1:23 PM IST

नई दिल्ली [भारत]: टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़, जिन्हें आमतौर पर 'द वॉल' के नाम से जाना जाता है, वो अक्सर कई तूफानों का सामना करते हुए अपने पक्ष को मजबूती देने के मामले में मश्हूर हैं.

वहीं पूर्व भारतीय कप्तान मंगलवार को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं, आइए एक नजर डालते हैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी कुछ बेहतरीन पारियों पर.

जब कोई द्रविड़ की सबसे बड़ी पारियों के बारे में सोचता है, तो 2001 में ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी 180 रनों की पारी याद आती है. द्रविड़ की इस पारी को अभी भी खेल के सबसे लंबे प्रारूप में सबसे गंभीर पारियों में से एक के रूप में देखा जाता है.

ऑस्ट्रेलिया की उस मैच पर मजबूत पकड़ थी पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज में बने रहने के भारत के लिए वो मैच जीतना जरूरी हो गया था. ईडन गार्डन्स पर ऑस्ट्रेलियाई टीम का पूरा नियंत्रण था क्योंकि उन्होंने फॉलो-ऑन लागू किया था.

पहली पारी में, ऑस्ट्रेलिया के 445 के जवाब में भारत 171 रन पर ढेर हो गया था. दूसरी पारी में, भारतीय सलामी बल्लेबाज आउट हो गए और द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण बचाव कार्य के लिए उतरे.

किसी ने भी यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि ये जोड़ी टीम के लिए 'चमत्कार' करेगी लेकिन चमत्कार की उम्मीद इन्हीं से की भी जा सकती थी. दोनों बल्लेबाजों ने 376 रन की साझेदारी की. लक्ष्मण और द्रविड़ ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त कर दिया जिसमें शेन वार्न और ग्लेन मैकग्राथ शामिल थे.

ये भी पढ़ें- मुझे किसी के सामने खुद को साबित करने की जरूरत नहीं: विराट कोहली

2004 में रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी 270 रनों की पारी एक और यादमार पारी है. तीन मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी और पाकिस्तान में अपने पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज करने के लिए भारतीय पक्ष पर दबाव था.

द्रविड़, जिन्होंने पहले दो टेस्ट के लिए कप्तान की भूमिका निभाई थी, को कप्तानी से मुक्त कर दिया गया था क्योंकि नियमित कप्तान सौरव गांगुली टीम में लौट आए थे.

द्रविड़ पहले आयोजित दो मैचों में ऑउट ऑफ फार्म थे, लेकिन अगले ही मैच में वो 200 से अधिक की पारी खेलकर अपने आलोचकों को जवाब दे चुके थे.

उस पारी में वीरेंद्र सहवाग पवेलियन वापस जा चुके थे और उनके बाद से 'द वॉल' ने मोर्चा संभाला. उनकी दस्तक ने भारत को खेल जीतने में सक्षम बनाया और उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.

द्रविड़ की सबसे कम रेटिंग वाली पारियों में से एक 2011 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ उनकी 146 रनों की पारी है. भारत के बल्लेबाजों की बल्ले से खराब सीरीज गुजर रही थी, और सीरीज में 0-3 से टीम पिछड़ रही थी.

नियमित सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर चोटिल थे और नतीजा ये हुआ कि द्रविड़ फिर से बल्लेबाजी करने उतरे.

भारत नियमित अंतराल पर विकेट खोता रहा, लेकिन द्रविड़ ने एक छोर पकड़े रखा और 146 रनों की नाबाद पारी खेली. उनकी पारी भारत के लिए मैच को बचाने में सक्षम नहीं थी, लेकिन वो उस सीरीज में लीडिंग रन-स्कोरर बन गए.

द्रविड़ ने महान टीम भावना दिखाते हुए एकदिवसीय प्रारूप में टीम मैनेजमेंट के कहने पर एक विकेट-कीपर के रूप में कार्यभार संभाला उससे एक अतिरिक्त गेंदबाज की भूमिका निभा ने के लिए जगह बन जाएगी अगर कोई सेट बल्लेबाज ग्लब मैन का काम करता.

द्रविड़ एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो 300 से अधिक एकदिवसीय साझेदारियों में भाग लिया है. उन्होंने भारत के लिए 164 टेस्ट, 344 एकदिवसीय और एक टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है. इस बल्लेबाज ने अंततः मार्च 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की. उन्होंने 48 अंतरराष्ट्रीय शतकों के साथ अपना करियर समाप्त किया.

द्रविड़ ने पिछले साल नवंबर में टीम इंडिया के मुख्य कोच की भूमिका संभाली और आज वो अपना 49वां जन्मदिन मनाएंगे.

नई दिल्ली [भारत]: टीम इंडिया के मुख्य कोच राहुल द्रविड़, जिन्हें आमतौर पर 'द वॉल' के नाम से जाना जाता है, वो अक्सर कई तूफानों का सामना करते हुए अपने पक्ष को मजबूती देने के मामले में मश्हूर हैं.

वहीं पूर्व भारतीय कप्तान मंगलवार को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं, आइए एक नजर डालते हैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी कुछ बेहतरीन पारियों पर.

जब कोई द्रविड़ की सबसे बड़ी पारियों के बारे में सोचता है, तो 2001 में ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी 180 रनों की पारी याद आती है. द्रविड़ की इस पारी को अभी भी खेल के सबसे लंबे प्रारूप में सबसे गंभीर पारियों में से एक के रूप में देखा जाता है.

ऑस्ट्रेलिया की उस मैच पर मजबूत पकड़ थी पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज में बने रहने के भारत के लिए वो मैच जीतना जरूरी हो गया था. ईडन गार्डन्स पर ऑस्ट्रेलियाई टीम का पूरा नियंत्रण था क्योंकि उन्होंने फॉलो-ऑन लागू किया था.

पहली पारी में, ऑस्ट्रेलिया के 445 के जवाब में भारत 171 रन पर ढेर हो गया था. दूसरी पारी में, भारतीय सलामी बल्लेबाज आउट हो गए और द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण बचाव कार्य के लिए उतरे.

किसी ने भी यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि ये जोड़ी टीम के लिए 'चमत्कार' करेगी लेकिन चमत्कार की उम्मीद इन्हीं से की भी जा सकती थी. दोनों बल्लेबाजों ने 376 रन की साझेदारी की. लक्ष्मण और द्रविड़ ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त कर दिया जिसमें शेन वार्न और ग्लेन मैकग्राथ शामिल थे.

ये भी पढ़ें- मुझे किसी के सामने खुद को साबित करने की जरूरत नहीं: विराट कोहली

2004 में रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी 270 रनों की पारी एक और यादमार पारी है. तीन मैचों की सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी और पाकिस्तान में अपने पहली टेस्ट सीरीज जीत दर्ज करने के लिए भारतीय पक्ष पर दबाव था.

द्रविड़, जिन्होंने पहले दो टेस्ट के लिए कप्तान की भूमिका निभाई थी, को कप्तानी से मुक्त कर दिया गया था क्योंकि नियमित कप्तान सौरव गांगुली टीम में लौट आए थे.

द्रविड़ पहले आयोजित दो मैचों में ऑउट ऑफ फार्म थे, लेकिन अगले ही मैच में वो 200 से अधिक की पारी खेलकर अपने आलोचकों को जवाब दे चुके थे.

उस पारी में वीरेंद्र सहवाग पवेलियन वापस जा चुके थे और उनके बाद से 'द वॉल' ने मोर्चा संभाला. उनकी दस्तक ने भारत को खेल जीतने में सक्षम बनाया और उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.

द्रविड़ की सबसे कम रेटिंग वाली पारियों में से एक 2011 में ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ उनकी 146 रनों की पारी है. भारत के बल्लेबाजों की बल्ले से खराब सीरीज गुजर रही थी, और सीरीज में 0-3 से टीम पिछड़ रही थी.

नियमित सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर चोटिल थे और नतीजा ये हुआ कि द्रविड़ फिर से बल्लेबाजी करने उतरे.

भारत नियमित अंतराल पर विकेट खोता रहा, लेकिन द्रविड़ ने एक छोर पकड़े रखा और 146 रनों की नाबाद पारी खेली. उनकी पारी भारत के लिए मैच को बचाने में सक्षम नहीं थी, लेकिन वो उस सीरीज में लीडिंग रन-स्कोरर बन गए.

द्रविड़ ने महान टीम भावना दिखाते हुए एकदिवसीय प्रारूप में टीम मैनेजमेंट के कहने पर एक विकेट-कीपर के रूप में कार्यभार संभाला उससे एक अतिरिक्त गेंदबाज की भूमिका निभा ने के लिए जगह बन जाएगी अगर कोई सेट बल्लेबाज ग्लब मैन का काम करता.

द्रविड़ एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो 300 से अधिक एकदिवसीय साझेदारियों में भाग लिया है. उन्होंने भारत के लिए 164 टेस्ट, 344 एकदिवसीय और एक टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है. इस बल्लेबाज ने अंततः मार्च 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की. उन्होंने 48 अंतरराष्ट्रीय शतकों के साथ अपना करियर समाप्त किया.

द्रविड़ ने पिछले साल नवंबर में टीम इंडिया के मुख्य कोच की भूमिका संभाली और आज वो अपना 49वां जन्मदिन मनाएंगे.

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