कानपुर: अपनी शुरूआती सात टेस्ट पारियों (चार मैच) में 32 विकेट झटकने वाले अक्षर पटेल ने कहा कि उनकी सफलता का राज, खेल में उनके कौशल का लुत्फ उठाना है और उन्हें टी20 विशेषज्ञ नहीं कहा जा सकता है.
बाएं हाथ के इस स्पिनर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट की पहली पारी में 62 रन देकर पांच विकेट लिए, जिससे भारतीय टीम मैच में वापसी करने में सफल रही. महज सात पारियों में उन्होंने पांचवीं बार पांच विकेट झटकने का कारनामा किया. उन्होंने भले ही स्पिनरों की मददगार पिचों पर गेंदबाजी की हो लेकिन यह किसी अविश्वसनीय उपलब्धि की तरह है.
गुजरात के इस गेंदबाज ने कहा, "जब भी मैंने प्रथम श्रेणी या भारत ए खेला हूं, मैंने अच्छा प्रदर्शन किया है. मैंने खुद को कभी भी सफेद गेंद (सीमित ओवर का प्रारूप) के विशेषज्ञ के रूप में नहीं देखा है. यह सब बातें दिमाग में होती है कि आप खुद को क्या समझते हैं. एक सफेद गेंद विशेषज्ञ या लाल गेंद (टेस्ट) विशेषज्ञ. मुझे हमेशा से यह विश्वास था कि जब भी मौका मिलेगा मैं अच्छा करूंगा."
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उन्होंने ने कहा, "मैं टीम के सदस्यों को मुझ पर विश्वास करने का श्रेय दूंगा और मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने में सक्षम रहा हूं."
टीम में रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे दो विश्व स्तरीय स्पिनर की मौजूदगी में अतिरिक्त दबाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "जब भी मैं मैदान पर जाता हूं, मैं अपनी ओर से पूरा जोर लगता हूं. मैं यह नहीं सोचता कि अश्विन भाई और जड्डू हैं या नहीं, मैं बस खेल का लुत्फ उठाता हूं."
अक्षर ने कहा, "जब मेरे हाथ में गेंद होती है, तो मैं बस कोशिश करता हूं कि अपनी गेंदबाजी का आनंद लूं. पिच को समझने की कोशिश करता हूं और उसी के अनुसार योजना बनाता हूं."
भारत – न्यूजीलैंड के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच के तीसरे दिन के खेल के बाद की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पिच में ज्यादा दरार नहीं है और बहुत कम ऐसी गेंद हो रही जो ज्यादा स्पिन हो रही हो या कम उछाल ले रही हो.
उन्होंने कहा, "हमारे बल्लेबाज मैदान पर मौजूद थे और उनका आकलन था कि पिच की दरारें ज्यादा नहीं खुली हैं और केवल चुनिंदा गेंद ही कुछ स्पिन हो रही है. अगर आप गेंद को उसकी योग्यता के आधार पर खेलते हैं, तो ज्यादा परेशानी नहीं होगी. पिच से असामान्य उछाल भी नहीं मिल रहा है."
उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड की पहली पारी के दौरान जब विकेट नहीं गिर रहे थे तब भी मौजूदा कप्तान अजिंक्या रहाणे और कोच राहुल द्रविड बहुत ज्यादा चिंतित नहीं थे. न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाजों ने 67 ओवर तक बल्लेबाजी की थी. जाहिर है, अगर आपको 67 ओवर तक विकेट नहीं मिलता है, स्थिति कठिन हो जाती है लेकिन ड्रेसिंग रूम का माहौल शांत था क्योंकि अज्जू भाई (रहाणे) और राहुल सर दबाव नहीं ले रहे थे.