नई दिल्ली: शनिवार से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट मैच में अजिंक्य रहाणे टीम की कप्तानी करेंगे क्योंकि टीम के नियमित कप्तान विराट कोहली अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए भारत लौट आए हैं. सचिन ने रहाणे की कप्तानी को लेकर कहा कि वो कसौटी पर खरे उतरेंगे और उनका शांत स्वाभाव कमजोरी के तौर पर नहीं देखा जा सकता.
एक इंटरव्यू के दौरान सचिन से पूछे गए कुछ सवाल और उनके जवाब
सवाल : पहले टेस्ट मैच की हार से उबरने के लिए आप टीम के खिलाड़ियों को क्या सलाह देंगे?
जवाब : इस तरह के प्रदर्शन से काफी निराशा होती है, इसमें कोई शक नहीं है. इस तरह की हार से बाहर निकलना और अगले मैच में जाना आसान नहीं है. लोग कह सकते हैं कि सिर्फ एक ही तो खराब प्रदर्शन है लेकिन इस तरह के प्रदर्शन खिलाड़ी के साथ हमेशा के लिए रहते हैं. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि इससे बाहर निकलने के लिए अपनी सोच में बदलाव करें ताकि अगले मैच में कुछ शानदार प्रदर्शन करें. सिर्फ अच्छा प्रदर्शन ही आपको इससे बाहर निकलने में मदद कर सकता है.
सवाल : पहले टेस्ट मैच की हार के बाद भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए, इस बात को ध्यान में रखकर कि हम 0-1 से पीछे हैं?
जवाब : रणनीति सिम्पल होनी चाहिए. आप ज्यादा रन करें और उन्हें ज्यादा रन नहीं करने दें. अगले तीन टेस्ट में आपको दृढ़ होना होगा. दृढ़ता, अनुशासन और प्लानिंग के संयोजन से ही आप अच्छा कर सकते हैं. हमें प्लान करना होगा, हमें दृढ़ता दिखानी होगी और हमें अपनी रणनीति का क्रियान्वान करना होगा.
सवाल : बाकी की बची सीरीज के लिए आपकी टीम को क्या सलाह होगी. क्या उन्हें अपने रुटीन पर टिका रहना चाहिए क्या अपनी तैयारियों में बदलाव करने चाहिए?
जवाब : मैं कहूंगा कि अपने रुटीन पर टिके रहें, जो उन्हें इस स्तर तक लेकर आया है और उन्हें इतनी सफलता दिलाई है. अचानक से आप चीजों को बदल नहीं सकते. कुछ बारीक से बदलाव होते हैं जिन्हें सफल होना चाहिए नहीं तो यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन जाएगा. यह इस पर निर्भर करता है कि आप दुनिया के किस हिस्से में खेल रहे हो.
सवाल : कोहली अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए भारत लौटे हैं, भारत को कोहली एक बल्लेबाज और कोहली एक कप्तान की कमी खलेगी. रहाणे की शख्सियत अलग है- वो शांत स्वभाव के खिलाड़ी हैं. आप उनकी कप्तानी को, दबाव में, बाकी के तीन मैचों में किस तरह से देखते हैं?
जवाब : रहाणे ने पहले भी टीम की कप्तानी की है. वो शांत स्वाभाव के हैं इसका मतलब ये नहीं है कि वो आक्रामक नहीं हैं. हर इंसान का अपनी आक्रामकता दिखाने का एक तरीका होता है. अगर कोई आक्रामकता नहीं दिखाता को यह मतलब नहीं है कि वो आक्रामक नहीं है. उदाहरण के तौर पर पुजारा को ले लीजिए, वह काफी शांत स्वाभाव के हैं. मैच में उनकी बॉडी लैंग्वेज फोकस्ड रहती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह आक्रामक नहीं हैं या किसी और से कम करने की कोशिश कर रहे हैं. हर इंसान का अपना एक तरीका होता है. लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हर किसी की मंजिल एक ही होती है. वहां जाने के उनके रास्ते अलग हो सकते हैं और इसी तरह वह भारत को विजेता बनाते हैं. रहाणे की शैली अलग है, उनकी रणनीति अलग है. यह टीम प्रबंधन पर है कि वह किस तरह से रणनीति बनाते हैं, पिच किस तरह से खेलती है, हमारी बल्लेबाजी और गेंदबाजी लाइनअप क्या होती है. यह सभी चीजें दिमाग में आती हैं. वह जीतने के लिए सब कुछ करेंगे. सीनियर की अनुपस्थिति से टीम के संतुलन पर असर पड़ता है, लेकिन यह किसी दूसरे को मौका देता है. कुल मिलाकर यह भारतीय टीम की बात है न कि किसी एक खिलाड़ी की. खिलाड़ी चोटिल हो कर टीम से बाहर हो सकते हैं लेकिन टीम हमेशा रहती है.
सवाल : रहाणे को स्विंग के खिलाफ परेशानी आ रही है, आईपीएल में भी यह देखा गया था. क्या आपको लगता है कि इसका उनके खेल पर असर पड़ रहा है और वह कैसे इसे बाहर आ सकते हैं?
जबाव : वह अनुभवी खिलाड़ी हैं, लंबे समय से खेल रहे हैं, सफर कर रहे हैं और बाहर रन कर रहे हैं. यह विकेट पर समय बिताने, वह जो करना चाहते हैं उसे लेकर प्रतिबद्ध रहने की बात है. मुझे लगता है कि उनमें दबाव झेलने की क्षमता है. मैं उनकी बल्लेबाजी में एक जो चीज देखना चाहता हूं वो है मजबूत फ्रंटफुट जिसमें उनका पैर लंबा निकला हो. यह लगभग सभी खिलाड़ियों पर लागू होता है.