नई दिल्ली : अक्टूबर और नवंबर महीने में होने वाले आईसीसी विश्वकप 2023 में कुछ ही समय बचा है. सभी टीमें विश्वकप को ध्यान में रखकर लगातार बेहतरीन गेंदबाजों और बल्लेबाजों का संयोजन बनाने में जुटी है. भारत में होने वाले आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 में टॉस की अहम भूमिका रहने वाली है क्योंकि अक्टूबर-नवंबर में भारत में ओस पड़ने लगती है. जिससे कोई भी टीम टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करना चाहेगी और बाद में गेंदबाजी करने वाली टीम को ओस प्रभावित करेगी.
आईसीसी टॉस के प्रभाव को कम करने के लिए प्रोटोकॉल लेकर आया है. इसके लिए आईसीसी ने क्यूरेटरों को पिच पर अधिक घास छोड़ने को कहा है ताकि तेज गेंदबाजो को भी मैच में पिच से मदद मिले. अधिक ओस मैच में स्पिन गेंदबाजो को मदद करती है. साथ ही आईसीसी ने बल्लेबाजों और गेंदबाजों का संयोजन बनाने के लिए मैदान की बाउंडरी का आकार भी बढ़ाने को कहा है और बाउंड्री को 70 मीटर से अधिक रखने के लिए कहा गया है. जिससे मैच ज्यादा हाई स्कोरिंग नहीं देखने को मिलेंगे और मैच का रोमांच बढ़ेगा.
भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने एशिया कप के लिए टीम की घोषणा करते हुए ओस फैक्टर को स्वीकार किया था. अगरकर ने कहा था
ओस एक भूमिका निभाएगी. हमने इसे कई बार देखा है. लेकिन हमें टीम के संतुलन के बारे में देखना है. कभी-कभी स्पिनरों की तुलना में तेज गेंदबाजों के लिए गेंद को पकड़ना थोड़ा आसान होता है. एक अच्छा गेंदबाज अलग-अलग परिस्थितियों में भी गेंदबाजी करने का तरीका ढूंढ लेगा
भारत ने निचले क्रम में बल्लेबाजी करने की क्षमताओं को देखते हुए शार्दुल ठाकुर के रूप में एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज के साथ जाने का फैसला किया. लेकिन ओस कारक को ध्यान में रखते हुए, भारत को अधिक सीमा के विकल्पों पर आपत्ति नहीं होगी. भारतीय क्रिकेट नियंत्रक बोर्ड ( बीसीसीआई ) ने पिच क्यूरेटरों को आईसीसी के इस नियम से अवगत करा दिया है और आईसीसी के मानको को लागू करने का आदेश दे दिया है.