हैदराबाद : भारत दो बार विश्वकप विजेता बना बना है. 1983 में कपिल देव की कप्तानी में और 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में. दोनों ही बार जीत की कहानी हर क्रिकेट फैंस की जुबां पर है लेकिन एक वर्ल्ड कप ऐसा भी जिसे कभी भी भारतीय फैंस भुला नहीं पाएंगे.
2007 विश्वकप में भारतीय टीम की कमान राहुल द्रविड़ के हाथों में थी. उस वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम पहले ही दौर से बाहर हो गई थी उसके बाद जो हुआ उसे शायद ही कोई याद करना चाहेगा. भारत अपने ग्रुप में बांग्लादेश और श्रीलंका से हारकर 2007 वर्ल्ड कप से बाहर हो गया जिसे क्रिकेट फैंस बर्दाश्त नहीं कर पाए
पूरे देश में इतना गुस्सा था कि जगह-जगह खिलाड़ियों के पुतले फूंके जा रहे थे. खिलाड़ियों को एयरपोर्ट से अपने घरों और होटलों में पहुंचना भी मुश्किल हो गया था. क्रिकेट फैंस ने हिंसक और आक्रामक रवैये के साथ भारतीय क्रिकेटरों के प्रति अपना विरोध प्रदर्शन किया. लोग सड़कों पर उतर गए और भारतीय खिलाड़ियों के पुतले जलाने लगे.
हालात इतने बेकाबू हो गए कि क्रिकेटरों की सुरक्षा बढ़ानी पड़ गई. उस दौरान महेंद्र सिंह धोनी को दिल्ली एयरपोर्ट से पुलिस वैन में ले जाया गया. खुद धोनी ने एक बार एक इवेंट में बताया था कि वह उस समय आतंकवादी की तरह महसूस कर रहे थे. धोनी ने कहा कि 2007 वर्ल्ड कप में भारत के बाहर होने के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया हुई, उससे उन्हें किसी 'हत्यारे और आतंकी' जैसा महसूस हुआ.
माही ने बताया कि एयरपोर्ट से उन्हें पुलिस वैन में ले जाया गया और जिस तरह से मीडिया उनका पीछा कर रहा थी, उसके चलते उनके अंदर ऐसी भावना आ रही थी, कि जैसे वह कोई आतंकी या हत्यारे हों. धोनी ने बताया था कि किस तरह टीम जब वेस्ट इंडीज से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरी थी और मीडिया की भारी भीड़ के बीच से उन्हें हाई सिक्यॉरिटी में बाहर ले जाया गया था.