हैदराबाद : पहले विश्वकप की सफलता के बाद सभी को क्रिकेट के दूसरे विश्वकप का बेसबरी से इंतजार था. लगातार दूसरे विश्वकप का आयोजन भी इंग्लैंड में ही किया गया. राउंड रोबिन फॉर्मेट में खेले गए इस वर्ल्डकप में भी आठ टीमें थी. इस बार श्रीलंका के साथ क्वालीफाई करने वाली टीम ईस्ट अफ्रीका नहीं बल्कि कनाडा थी. इस बार भारतीय टीम में कुछ बदलाव किए गए थे. सुरिंदर खन्ना को टीम में विकेटकीपर के रूप में शामिल किया गया था. सैयद किरमानी की जगह अचानक से नए विकेटकीपर को टीम में शामिल करना सभी के लिए आश्चर्यजनक फैसला था.
1979 के विश्वकप में टीमें
1. इंग्लैंड
2. भारत
3.वेस्टइंडीज
4. ऑस्ट्रेलिया
5. पाकिस्तान
6. न्यूजीलैंड
7. श्रीलंका
8. कनाडा
9 से 23 जून तक ये विश्वकप खेला गया. अगर ग्रुप की बात करें तो इस बार भी पहले विश्वकप की तरह ही दो ग्रुप बनाए गए थे. हर ग्रुप में चार टीमें थीं. पहले ग्रुप में भारत, वेस्टइंडीज, श्रीलंका, न्यूजीलैंड और दूसरे ग्रुप में पाकिस्तान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा थे.
- पहला मैच (भारत vs वेस्टइंडीज)
इस बार भी विश्वकप की शुरूआत भारत के मैच से हुई, पहला ही मुकाबला विश्व चैंपियन वेस्टइंडीज के साथ था. बर्मिंघम में खेले गए इस मुकाबले में वेस्टइंडीज ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया. वेस्टइंडीज के गेंदबाजों के सामने बल्लेबाजी करना उस समय बेहद चुनौतीपूर्ण काम था. सलामी जोड़ी के रूप में आए सुनील गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़. टीम के 10 रन के स्कोर पर ही भारत को पहला झटका लगा सुनील गावस्कर 8 रन के निजी स्कोर पर आउट हो गए. इसके बाद बल्लेबाजी करने आए दिलीप वेंगसकर भी कुछ खास नहीं कर पाए और फिर देखते ही देखते अंशुमन गायकवाड़ भी आउट हो गए. इस समय टीम का स्कोर था 29 रन पर 3 विकेट आउट.
जब गुंडप्पा विश्वनाथ ने बचाई लाज
जब वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों के सामने कोई भी भारतीय बल्लेबाज टिक नहीं पा रहे थे तो जी विश्वनाथ ने मोर्चा संभाला और 7 चौकों की मदद से 75 रनों की शानदार पारी खेली. इस पारी की मदद से भारत किसी तरह 190 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचने में कामयाब रहा. वेस्टइंडीज की तरफ से माइकल होल्डिंग में 12 ओवर में मात्र 33 रन देकर 4 विकेट हासिल किए थे.
भारतीय गेंदबाजों की धुनाई
191 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज के लिए बल्लेबाजी करने आए गॉर्डन ग्रीनिज और डेसमंड हेन्स. इस सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए ही 138 रन ठोक डाले और भारतीय टीम की उम्मीदों को जल्दी ही खत्म कर दिया. वेस्टइंडीज ने ये मैच बड़ी ही आसानी से 51.3 ओवरों में 1 विकेट खोकर ही जीत लिया. भारत की तरफ से एकमात्र विकेट कपिल देव ने हासिल किया.
- दूसरा मैच (भारत vs न्यूजीलैंड)
इसके बाद भारत का दूसरा मैच 13 जून को न्यूजीलैंड के खिलाफ था. वो ही न्यूजीलैंड जिसने अपने पिछले मैच में श्रीलंका को 9 विकेट से हराया और पिछले विश्वकप में भारत को हराकर विश्वकप से बाहर किया था. लीड्स में खेले गए इस मुकाबले में भारत को किसी भी हालत में जीतना ही था.
यहां भी टॉस हारे-
बर्मिंघम की तरह यहां भी भारतीय कप्तान वेंकटराघवन एक बार फिर से टॉस नहीं जीत सके और भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करने के लिए उतरी. इस बार सलामी जोड़ीदार के रूप में बल्लेबाजी करने आए सुनील गावस्कर ने शानदार अर्धशतकीय पारी खेली, उनके अलावा बृजेश पटेल और कपिल देव ने भी बल्ले से थोड़ा योगदान दिया जिसके दम पर भारतीय टीम 182 रनों का स्कोर बनाने में कामयाब रही.
कमजोर रही भारतीय गेंदबाजी-
इसके बाद बल्लेबाजी के लिए उतरी न्यूजीलैंड की टीम को भारतीय गेंदबाजी के सामने किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई और बड़ी ही आसानी से पहला विकेट खोने तक कीवी टीम ने 100 रन बना लिए थे. अब महज औपचारिकता ही बची थी, इसके बाद बल्लेबाजी करने आए ग्लैन टर्नर ने 6 चौकों की मदद से 43 रन बनाकर टीम को एक आसान सी जीत दिला दी. न्यूजीलैंड ने ये मैच 2 विकेट खोकर बेहद आसान तरीके से जीत लिया. इस तरह से भारतीय टीम का विश्वकप में हार का सिलसिला लगातार जारी था, भारत की ये लगातार तीसरी हार थी जिसकी शुरूआत पिछले विश्वकप में न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी मैच से हुई थी.
- तीसरा मैच भारत vs श्रीलंका
इसके बाद भारत का तीसरा और आखिरी मैच श्रीलंका के खिलाफ था. 16 जून को खेले गए इस मुकाबले में भारतीय कप्तान ने पहली बार विश्वकप में टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया. शुरूआत में टॉस का फैसला सही साबित होता नजर आ रहा था क्योंकि मोहिंदर अमरनाथ ने 31 रन के स्कोर पर ही भारत को पहला विकेट दिला दिया था लेकिन उसके बाद श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने जैसे अपने पैर अंगद की तरह जमा लिए थे. श्रीलंका की दूसरी विकेट 127 रनों के स्कोर पर जाकर गिरी.
तीन श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने लगाए अर्धशतक- भारतीय गेंदबाजों का प्रदर्शन कैसा था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि तीन श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने इस मैच में अर्धशतक लगाए. श्रीलंका ने भारतीय टीम को जीत के लिए 239 रनों का लक्ष्य दिया. भारत की तरफ से मोहिंदर अमरनाथ 3 विकेट हासिल किए थे.
भारत की शुरूआत अच्छी रही-सलामी जोड़ी के रूप में सुनील गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़ ने अच्छा काम किया था. पहले विकेट के लिए दोनों ने मिलकर 60 रन जोड़े थे. लेकिन इसके बाद कोई भी भारतीय खिलाड़ी अपनी बल्लेबाजी की छाप इस मैच में नहीं छोड़ पाए. पूरी टीम 54.1 ओवपर में 191 के स्कोर पर ऑलआउट हो गई और भारतीय टीम इस विश्वकप में लगातार तीसरी बार भी हार गई.
...और इस तरह भारतीय टीम का इस दूसरे विश्वकप के सफर का बेहद ही दुखद अंत हुआ, बिना कोई मैच जीते टीम इंडिया घर वापस आ गई. इस तरह के प्रदर्शन को देखते हुए ही सभी ने अगले यानि 1983 के विश्वकप में टीम इंडिया को कमजोर टीम माना था. आगे चलकर वेस्टइंडीज ने मेजबान इंग्लैंड को 92 रनों से हराकर इस विश्वकप को भी अपने नाम कर लिया और दुनिया को बता दिया कि वेस्टइंडीज की टीम को हराना किसी के लिए भी आसान नहीं था.
आइए नजर डाल लेते हैं विश्वकप 1979 के कुछ दिलचस्प आंकड़ों पर
⦁ सबसे ज्यादा रन: गॉर्डन ग्रीनिज (WI) - 253 रन
⦁ सबसे ज्यादा स्कोर: विवियन रिचर्ड्स (WI) - 138 * बनाम इंग्लैंड
⦁ सबसे ज्यादा शतक: गॉर्डन ग्रीनिज (WI) –1
⦁ सबसे ज्यादा अर्द्धशतक: गॉर्डन ग्रीनिज (WI) - 3
⦁ उच्चतम औसत: विवियन रिचर्ड्स (WI) - 108.50
⦁ उच्चतम स्ट्राइक-रेट: लांस केर्न्स (NZ) - 130.76
⦁ सबसे ज्यादा छक्के: विवियन रिचर्ड्स (WI) - 5