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माही की जिंदगी के वो 7 खास पल, जिनके लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे - आईपीएल

बीसीसीआई ने गुरुवार को 2019-20 सीजन के लिए सीनियर पुरुष टीम के खिलाड़ियों की वार्षिक अनुबंध सूची की घोषणा की, जिसमें पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को जगह नहीं मिली है.

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Published : Jan 16, 2020, 9:42 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 7:29 AM IST

हैदराबाद: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के युवा क्रिकेटरों के लिए एक प्रेरणा हैं. 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू करने वाले रांची के स्टार भारत के लिए सभी प्रारूपों में 17266 रन बनाने वाले देश के सबसे प्रभावी क्रिकेटरों में से एक रहे हैं.

38 वर्षीय विकेटकीपर ने 350 वनडे, 90 टेस्ट और 98 टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश के लिए भारतीय टीम की जर्सी पहनी, जबकि स्टंप के पीछे उन्होंने 829 का शिकार किया.

एमएस का अभूतपूर्व करियर सफलताओं से भरा हुआ है, लेकिन हम बताते है वो सात खास पलों के बारे में जिनकी धोनी फैंस के दिलों में हमेशा जिन्दा रहेगी.

1- तुफानी शुरुआत

तुफानी शुरुआत
तुफानी शुरुआत
धोनी ने 2004 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की असाधारण पारी के साथ खेल में अपने आगमन की घोषणा की, जो 50 ओवरों के प्रारूप में एक विकेटकीपर-बल्लेबाज के बल्ले से उच्चतम स्कोर है.

इस पारी के साथ ही एमएस ने रिकॉर्ड बुक्स में अपना नाम लिखना शुरू कर दिया. इस विस्फोटक बल्लेबाज ने पहले टीम में अपनी जगह पक्की की और फिर कुछ ही समय में वो खेल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर बन गए.

भारत 299 के विशालकाए स्कोर का पीछा कर रहा था (उन दिनों इस तरह के स्कोर का पीछा करना मुश्किल हुआ करता था). सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग के जल्द हो जाने ने भारत की मुसीबतों को और बढ़ा दिया था. फिर क्रिज पर आए माही ने अपनी पारी में 15 चौके और 10 छक्के लगाए.

2- विश्व कप 2007

विश्व कप 2007
विश्व कप 2007
एमएसडी को खेल के सबसे छोटे प्रारूप की कप्तानी देने का सुझाव सचिन का था और एमएस ने दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में होने वाले पहले टी 20 विश्व कप में जीत हासिल कर अपने नायक को निराश नहीं किया. अपनी इस सफलता से नए और अनुभवहीन कप्तान धोनी सभी को प्रभावित करने में कामयाब रहे.

इससे पहले, उसी साल टीम इंडिया ने 50 ओवर के विश्व कप में एक शर्मनाक अभियान तए किया था, जहां टीम को ग्रुप स्टेज में ही टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा था.

एक नज़दीकी फाइनल में पहली बार भारतीय प्रशंसकों ने धोनी के धैर्य की झलक देखी, जहाँ भारत ने पाकिस्तान को पाँच रनों से हरा दिया. धोनी की ओर से जोगिंदर शर्मा को दिए गए आखिरी ओवर में मिस्बाह-उल-हक का विकेट गिरकर मैच खत्म हुआ.

3- टेस्ट में बेस्ट

टेस्ट में बेस्ट
टेस्ट में बेस्ट
एमएस धोनी को अक्सर सीमित ओवरों के महानतम क्रिकेटरों में से एक के रूप में देखा जाता है, लेकिन बहुत कम लोग खेल के सबसे लंबे प्रारूप में उनकी उत्कृष्टता के बारे में जानते हैं.

धोनी 2009 में भारत को आसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर ले जाने वाले पहले भारतीय कप्तान हैं. ये वो युग था, जहाँ विश्व क्रिकेट में हर तरफ ऑस्ट्रेलियाई टीम का दबदबा था. धोनी के नेतृत्व में, भारत को पहली बार आईसीसी टेस्ट मेस सौंपी गई.

श्रीलंका (2-0) और बांग्लादेश (2-0) पर लगातार सीरीज जीत दर्ज और दक्षिण अफ्रीका (1-1) के खिलाफ टेस्ट सीरीज ड्रॉ करने पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शीर्ष स्थान से रिप्लेस की. आईसीसी टेस्ट रैंकिंग की शुरुआत के बाद से ये पहला मौका था जब टेस्ट मेस ऑस्ट्रेलिया के हाथों से कही और गया. 11 टेस्ट मैचों में पांच जीत ने ये सुनिश्चित किया कि लगातार दूसरे वर्ष ये मेस धोनी के पास बरकरार रहे.

4- विश्व कप 2011

विश्व कप 2011
विश्व कप 2011
2007 के फाइनल में विश्व कप का सपना चकनाचूर होने के बाद सभी की निगाहें 2011 के मेगा इवेंट में टीम इंडिया पर थीं क्योंकि वो इसकी मेजबानी कर रही थी. ये सचिन तेंदुलकर का आखिरी विश्व कप था.

दर्शको के बीच एक शानदार स्ट्राइक के साथ, धोनी घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने वाले क्रिकेट के इतिहास में पहले कप्तान बन गए. ये भारतीय प्रशंसक के लिए एक सपना सच होने जैसा था. नंबर 5 पर आकर नाबाग 91 रन की पारी के लिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच का पुरस्कार दिया गया.

धोनी ने 10 गेंदों और 6 विकेट के साथ भारत को कुल 275 रनों के लक्ष्य को छुने में मदद की. उन्होंने 79 गेंदों पर 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से नाबाद 91 रन बना ये सुनिश्चित किया कि गौतम गंभीर की शानदार पारी बेकार नहीं जाए.

5- चैंपियंस ट्रॉफी

चैंपियंस ट्रॉफी
चैंपियंस ट्रॉफी
साल 2011 के बाद भारत का प्रर्दशन गिरता चला गया. सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत घर पर भी मुकाबले हार रहा था. जिसके बीच धोनी ने उन खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने का कठोर निर्णय लिया जो मानक के अनुसार फिट नहीं थे.

धोनी को इसके बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. और फिर 2013 में उनका पहला टेस्ट चैंपियंस ट्रॉफी में आया था जहां वो एक युवा भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे थे. इस टूर्नामेंट ने भारत को सीमित ओवरों के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा का तोहफा दिया. रोहित को सलामी बल्लेबाजी देने का फैसला धोनी का ही निर्णय था.

धोनी ने इस जीत के साथ अपनी आईसीसी-टाइटल्स तिकड़ी जीत पूरी की, जहां भारत ने अजय रहते हुए फाइनल में इंग्लैंड को उसके सक्षम नेतृत्व में कुचल दिया.

6- चेन्नई सूपर किंग्स के साथ पांच ट्रॉफी

लीग ट्रॉफी
लीग ट्रॉफी
अंतरराष्ट्रीय ट्रॉफियों के साथ-साथ धोनी को लीग ट्रॉफी भी जुटाने की आदत रही है. एमएस ने विश्व के सबसे लोकप्रिय टी20 लीग इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सूपर किंग्स का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन बार 2010, 2011 और 2018 ट्रॉफी उठाई है.

सीएसके के दो साल के निलंबन के बाद, उन्हेंने 2017 में अपनी नई टीम राइजिंग पुणे सुपरजायंट को फाइनल में पहुंचाया, जहां वो मुंबई इंडियंस से हार गई. सिर्फ आईपीएल ही नहीं सीएसके साथ धोनी ने दो बार 2010 और 2014 में चैंपियंस लीग का खिताब अपने नाम किया है.

7- पद्म भूषण

पद्म भूषण
पद्म भूषण
पिछले साल इंग्लैड़ में हुए विश्व कप के बाद धोनी की अनुपस्थित के बीच सरकार द्वारा उनको सम्मानीत करने का ऐलान हुआ. महेन्द्र सिंह धोनी को भारत के तीसरे उच्च पुरस्कार पद्म भूषण से नवाजा गया, जहां उनको इंडियन आर्मी की पैराट्रूपर यूनीफॉर्म में देखना उनके फैंस के लिए यादगार अनुभव रहा. एम एस धोनी इस सम्मान से नवाजे जाने वाले भारत के कुछ चुनिंदा महान खिलाड़ियों में से एक है.

हैदराबाद: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के युवा क्रिकेटरों के लिए एक प्रेरणा हैं. 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू करने वाले रांची के स्टार भारत के लिए सभी प्रारूपों में 17266 रन बनाने वाले देश के सबसे प्रभावी क्रिकेटरों में से एक रहे हैं.

38 वर्षीय विकेटकीपर ने 350 वनडे, 90 टेस्ट और 98 टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश के लिए भारतीय टीम की जर्सी पहनी, जबकि स्टंप के पीछे उन्होंने 829 का शिकार किया.

एमएस का अभूतपूर्व करियर सफलताओं से भरा हुआ है, लेकिन हम बताते है वो सात खास पलों के बारे में जिनकी धोनी फैंस के दिलों में हमेशा जिन्दा रहेगी.

1- तुफानी शुरुआत

तुफानी शुरुआत
तुफानी शुरुआत
धोनी ने 2004 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की असाधारण पारी के साथ खेल में अपने आगमन की घोषणा की, जो 50 ओवरों के प्रारूप में एक विकेटकीपर-बल्लेबाज के बल्ले से उच्चतम स्कोर है.

इस पारी के साथ ही एमएस ने रिकॉर्ड बुक्स में अपना नाम लिखना शुरू कर दिया. इस विस्फोटक बल्लेबाज ने पहले टीम में अपनी जगह पक्की की और फिर कुछ ही समय में वो खेल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर बन गए.

भारत 299 के विशालकाए स्कोर का पीछा कर रहा था (उन दिनों इस तरह के स्कोर का पीछा करना मुश्किल हुआ करता था). सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग के जल्द हो जाने ने भारत की मुसीबतों को और बढ़ा दिया था. फिर क्रिज पर आए माही ने अपनी पारी में 15 चौके और 10 छक्के लगाए.

2- विश्व कप 2007

विश्व कप 2007
विश्व कप 2007
एमएसडी को खेल के सबसे छोटे प्रारूप की कप्तानी देने का सुझाव सचिन का था और एमएस ने दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में होने वाले पहले टी 20 विश्व कप में जीत हासिल कर अपने नायक को निराश नहीं किया. अपनी इस सफलता से नए और अनुभवहीन कप्तान धोनी सभी को प्रभावित करने में कामयाब रहे.

इससे पहले, उसी साल टीम इंडिया ने 50 ओवर के विश्व कप में एक शर्मनाक अभियान तए किया था, जहां टीम को ग्रुप स्टेज में ही टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा था.

एक नज़दीकी फाइनल में पहली बार भारतीय प्रशंसकों ने धोनी के धैर्य की झलक देखी, जहाँ भारत ने पाकिस्तान को पाँच रनों से हरा दिया. धोनी की ओर से जोगिंदर शर्मा को दिए गए आखिरी ओवर में मिस्बाह-उल-हक का विकेट गिरकर मैच खत्म हुआ.

3- टेस्ट में बेस्ट

टेस्ट में बेस्ट
टेस्ट में बेस्ट
एमएस धोनी को अक्सर सीमित ओवरों के महानतम क्रिकेटरों में से एक के रूप में देखा जाता है, लेकिन बहुत कम लोग खेल के सबसे लंबे प्रारूप में उनकी उत्कृष्टता के बारे में जानते हैं.

धोनी 2009 में भारत को आसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर ले जाने वाले पहले भारतीय कप्तान हैं. ये वो युग था, जहाँ विश्व क्रिकेट में हर तरफ ऑस्ट्रेलियाई टीम का दबदबा था. धोनी के नेतृत्व में, भारत को पहली बार आईसीसी टेस्ट मेस सौंपी गई.

श्रीलंका (2-0) और बांग्लादेश (2-0) पर लगातार सीरीज जीत दर्ज और दक्षिण अफ्रीका (1-1) के खिलाफ टेस्ट सीरीज ड्रॉ करने पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शीर्ष स्थान से रिप्लेस की. आईसीसी टेस्ट रैंकिंग की शुरुआत के बाद से ये पहला मौका था जब टेस्ट मेस ऑस्ट्रेलिया के हाथों से कही और गया. 11 टेस्ट मैचों में पांच जीत ने ये सुनिश्चित किया कि लगातार दूसरे वर्ष ये मेस धोनी के पास बरकरार रहे.

4- विश्व कप 2011

विश्व कप 2011
विश्व कप 2011
2007 के फाइनल में विश्व कप का सपना चकनाचूर होने के बाद सभी की निगाहें 2011 के मेगा इवेंट में टीम इंडिया पर थीं क्योंकि वो इसकी मेजबानी कर रही थी. ये सचिन तेंदुलकर का आखिरी विश्व कप था.

दर्शको के बीच एक शानदार स्ट्राइक के साथ, धोनी घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने वाले क्रिकेट के इतिहास में पहले कप्तान बन गए. ये भारतीय प्रशंसक के लिए एक सपना सच होने जैसा था. नंबर 5 पर आकर नाबाग 91 रन की पारी के लिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच का पुरस्कार दिया गया.

धोनी ने 10 गेंदों और 6 विकेट के साथ भारत को कुल 275 रनों के लक्ष्य को छुने में मदद की. उन्होंने 79 गेंदों पर 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से नाबाद 91 रन बना ये सुनिश्चित किया कि गौतम गंभीर की शानदार पारी बेकार नहीं जाए.

5- चैंपियंस ट्रॉफी

चैंपियंस ट्रॉफी
चैंपियंस ट्रॉफी
साल 2011 के बाद भारत का प्रर्दशन गिरता चला गया. सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत घर पर भी मुकाबले हार रहा था. जिसके बीच धोनी ने उन खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने का कठोर निर्णय लिया जो मानक के अनुसार फिट नहीं थे.

धोनी को इसके बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. और फिर 2013 में उनका पहला टेस्ट चैंपियंस ट्रॉफी में आया था जहां वो एक युवा भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे थे. इस टूर्नामेंट ने भारत को सीमित ओवरों के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा का तोहफा दिया. रोहित को सलामी बल्लेबाजी देने का फैसला धोनी का ही निर्णय था.

धोनी ने इस जीत के साथ अपनी आईसीसी-टाइटल्स तिकड़ी जीत पूरी की, जहां भारत ने अजय रहते हुए फाइनल में इंग्लैंड को उसके सक्षम नेतृत्व में कुचल दिया.

6- चेन्नई सूपर किंग्स के साथ पांच ट्रॉफी

लीग ट्रॉफी
लीग ट्रॉफी
अंतरराष्ट्रीय ट्रॉफियों के साथ-साथ धोनी को लीग ट्रॉफी भी जुटाने की आदत रही है. एमएस ने विश्व के सबसे लोकप्रिय टी20 लीग इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सूपर किंग्स का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन बार 2010, 2011 और 2018 ट्रॉफी उठाई है.

सीएसके के दो साल के निलंबन के बाद, उन्हेंने 2017 में अपनी नई टीम राइजिंग पुणे सुपरजायंट को फाइनल में पहुंचाया, जहां वो मुंबई इंडियंस से हार गई. सिर्फ आईपीएल ही नहीं सीएसके साथ धोनी ने दो बार 2010 और 2014 में चैंपियंस लीग का खिताब अपने नाम किया है.

7- पद्म भूषण

पद्म भूषण
पद्म भूषण
पिछले साल इंग्लैड़ में हुए विश्व कप के बाद धोनी की अनुपस्थित के बीच सरकार द्वारा उनको सम्मानीत करने का ऐलान हुआ. महेन्द्र सिंह धोनी को भारत के तीसरे उच्च पुरस्कार पद्म भूषण से नवाजा गया, जहां उनको इंडियन आर्मी की पैराट्रूपर यूनीफॉर्म में देखना उनके फैंस के लिए यादगार अनुभव रहा. एम एस धोनी इस सम्मान से नवाजे जाने वाले भारत के कुछ चुनिंदा महान खिलाड़ियों में से एक है.
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माही के जिंदगी वो 7 खास पल, जिनके लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे



 



बीसीसीआई ने गुरुवार को 2019-20 सीजन के लिए सीनियर पुरुष टीम के खिलाड़ियों की वार्षिक अनुबंध सूची की घोषणा कर दी, जिसमें पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को जगह नहीं मिली है.



हैदराबाद: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के युवा क्रिकेटरों के लिए एक प्रेरणा हैं. 2004 में सौरव गांगुली की कप्तानी में बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू करने वाले रांची के स्टार भारत के लिए सभी प्रारूपों में 17266 रन बनाने वाले देश के सबसे प्रभावी क्रिकेटरों में से एक रहे हैं.



38 वर्षीय विकेटकीपर ने 350 वनडे, 90 टेस्ट और 98 टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश के लिए भारतीय टीम की जर्सी पहनी, जबकि स्टंप के पीछे उन्होंने 829 का शिकार किया.



एमएस का अभूतपूर्व करियर सफलताओं से भरा हुआ है, लेकिन हम बताते है वो सात खास पलों के बारे में जिनकी धोनी फैंस के दिलों में हमेशा जिन्दा रहेगी.



1-

धोनी ने 2004 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की असाधारण पारी के साथ खेल में अपने आगमन की घोषणा की, जो 50 ओवरों के प्रारूप में एक विकेटकीपर-बल्लेबाज के बल्ले से उच्चतम स्कोर है.



इस पारी के साथ ही एमएस ने रिकॉर्ड बुक्स में अपना नाम लिखना शुरू कर दिया. इस विस्फोटक बल्लेबाज ने पहले टीम में अपनी जगह पक्की की और फिर कुछ ही समय में वो खेल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर बन गए.



भारत 299 के विशालकाए स्कोर का पीछा कर रहा था (उन दिनों इस तरह के स्कोर का पीछा करना मुश्किल हुआ करता था). सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग के जल्द हो जाने ने भारत की मुसीबतों को और बढ़ा दिया था. फिर क्रिज पर आए माही ने अपनी पारी में 15 चौके और 10 छक्के लगाए.



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एमएसडी को खेल के सबसे छोटे प्रारूप की कप्तानी देने का सुझाव सचिन का था और एमएस ने दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में होने वाले पहले टी 20 विश्व कप में जीत हासिल कर अपने नायक को निराश नहीं किया. अपनी इस सफलता से नए और अनुभवहीन कप्तान धोनी सभी को प्रभावित करने में कामयाब रहे.



इससे पहले, उसी साल टीम इंडिया ने 50 ओवर के विश्व कप में एक शर्मनाक अभियान तए किया था, जहां टीम को ग्रुप स्टेज में ही टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा था.



एक नज़दीकी फाइनल में पहली बार भारतीय प्रशंसकों ने धोनी के धैर्य की झलक देखी, जहाँ भारत ने पाकिस्तान को पाँच रनों से हरा दिया. धोनी की ओर से जोगिंदर शर्मा को दिए गए आखिरी ओवर में मिस्बाह-उल-हक का विकेट गिरकर मैच खत्म हुआ.



3-

एमएस धोनी को अक्सर सीमित ओवरों के महानतम क्रिकेटरों में से एक के रूप में देखा जाता है, लेकिन बहुत कम लोग खेल के सबसे लंबे प्रारूप में उनकी उत्कृष्टता के बारे में जानते हैं.



धोनी 2009 में भारत को आसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर ले जाने वाले पहले भारतीय कप्तान हैं. ये वो युग था, जहाँ विश्व क्रिकेट में हर तरफ ऑस्ट्रेलियाई टीम का दबदबा था. धोनी के नेतृत्व में, भारत को पहली बार आईसीसी टेस्ट मेस सौंपी गई.



श्रीलंका (2-0) और बांग्लादेश (2-0) पर लगातार सीरीज जीत दर्ज और दक्षिण अफ्रीका (1-1) के खिलाफ टेस्ट सीरीज ड्रॉ करने पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शीर्ष स्थान से रिप्लेस की. आईसीसी टेस्ट रैंकिंग की शुरुआत के बाद से ये पहला मौका था जब टेस्ट मेस ऑस्ट्रेलिया के हाथों से कही और गया. 11 टेस्ट मैचों में पांच जीत ने ये सुनिश्चित किया कि लगातार दूसरे वर्ष ये मेस धोनी के पास बरकरार रहे.



4-

2007 के फाइनल में विश्व कप का सपना चकनाचूर होने के बाद सभी की निगाहें 2011 के मेगा इवेंट में टीम इंडिया पर थीं क्योंकि वो इसकी मेजबानी कर रही थी. ये सचिन तेंदुलकर का आखिरी विश्व कप था.



दर्शको के बीच एक शानदार स्ट्राइक के साथ, धोनी घरेलू मैदान पर विश्व कप जीतने वाले क्रिकेट के इतिहास में पहले कप्तान बन गए. ये भारतीय प्रशंसक के लिए एक सपना सच होने जैसा था. नंबर 5 पर आकर नाबाग 91 रन की पारी के लिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच का पुरस्कार दिया गया.



धोनी ने 10 गेंदों और 6 विकेट के साथ भारत को कुल 275 रनों के लक्ष्य को छुने में मदद की. उन्होंने 79 गेंदों पर 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से नाबाद 91 रन बना ये सुनिश्चित किया कि गौतम गंभीर की शानदार पारी बेकार नहीं जाए.



5-

साल 2011 के बाद भारत का प्रर्दशन गिरता चला गया. सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत घर पर भी मुकाबले हार रहा था. जिसके बीच धोनी ने उन खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने का कठोर निर्णय लिया जो मानक के अनुसार फिट नहीं थे.



धोनी को इसके बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. और फिर 2013 में उनका पहला टेस्ट चैंपियंस ट्रॉफी में आया था जहां वो एक युवा भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे थे. इस टूर्नामेंट ने भारत को सीमित ओवरों के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा का तोहफा दिया. रोहित को सलामी बल्लेबाजी देने का फैसला धोनी का ही निर्णय था.



धोनी ने इस जीत के साथ अपनी आईसीसी-टाइटल्स तिकड़ी जीत पूरी की, जहां भारत ने अजय रहते हुए फाइनल में इंग्लैंड को उसके सक्षम नेतृत्व में कुचल दिया.



6-

अंतरराष्ट्रीय ट्रॉफियों के साथ-साथ धोनी को लीग ट्रॉफी भी जुटाने की आदत रही है. एमएस ने विश्व के सबसे लोकप्रिय टी20 लीग इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सूपर किंग्स का प्रतिनिधित्व करते हुए तीन बार 2010, 2011 और 2018 ट्रॉफी उठाई है.



सीएसके के दो साल के निलंबन के बाद, उन्हेंने 2017 में अपनी नई टीम राइजिंग पुणे सुपरजायंट को फाइनल में पहुंचाया, जहां वो मुंबई इंडियंस से हार गई. सिर्फ आईपीएल ही नहीं सीएसके साथ धोनी ने दो बार 2010 और 2014 में चैंपियंस लीग का खिताब अपने नाम किया है.   



7-

पिछले साल इंग्लैड़ में हुए विश्व कप के बाद धोनी की अनुपस्थित के बीच सरकार द्वारा उनको सम्मानीत करने का ऐलान हुआ. महेन्द्र सिंह धोनी को भारत के तीसरे उच्च पुरस्कार पद्म भूषण से नवाजा गया, जहां उनको इंडियन आर्मी की पैराट्रूपर यूनीफॉर्म में देखना उनके फैंस के लिए यादगार अनुभव रहा. एम एस धोनी इस सम्मान से नवाजे जाने वाले भारत के कुछ चुनिंदा महान खिलाड़ियों में से एक है.


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Last Updated : Jan 17, 2020, 7:29 AM IST
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