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वर्ल्ड कप में 4 विकेटकीपर खिलाने पर गावस्कर ने उठाए सवाल, कहा- टीम प्रबंधन दे जवाब - आईसीसी

विश्व कप में भारतीय टीम में चार विकेटकीपर खिलाने को लेकर भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने सवाल खड़े किए है.

sunil gavaskar
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Published : Aug 2, 2019, 5:24 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि टीम प्रबंधन को आज नहीं तो कल इस बात का जवाब देना होगा कि आखिरकार क्या कारण था कि भारत ने आईसीसी विश्व कप में चार विकेटकीपर मैदान पर उतारे जबकि बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली खिलाड़ी हमारी बेंच स्ट्रैंथ का हिस्सा थे.

लोकेश राहुल को गिनते हुए भारत ने न्यूजीलैंड के साथ हुए सेमीफाइनल मैच में चार विकेटकीपर मैदान पर उतारे थे. महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत अंतिम-11 का हिस्सा थे. कार्तिक, राहुल और धोनी मूल टीम का हिस्सा थे लेकिन पंत को शिखर धवन के चोटिल होने के बाद भारत से बुलाया गया था.

गौरतलब है कि कार्तिक ने पूरे विश्व कप में निराश किया, वहीं कुछ अच्छी पारियों के बावजूद धोनी की धीमी बल्लेबाजी के लिए उनकी आलोचना हुई और राहुल ने शिखर के स्थान पर बल्लेबाजी करते हुए भारत को अच्छी शुरूआत दी लेकिन सेमीफाइनल में वह भी नाकाम रहे थे.

दिनेश कार्तिक आउट होकर पवेलियन लौटते हुए
दिनेश कार्तिक आउट होकर पवेलियन लौटते हुए

विश्व कप के बाद भारतीय टीम के पूर्व कप्तान गावस्कर ने भारतीय टीम को लेकर कई गम्भीर सवाल खड़े किए है. गावस्कर ने कहा कि चार विकेटकीपर क्यों खिलाए गए, इसका जवाब टीम प्रबंधन को देना होगा और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआती तीन बल्लेबाजों के बाद भारतीय बल्लेबाजी सिर्फ औपचारिकता रह गई थी, उसमें किसी प्रकार की गहराई नहीं थी और इसकी झलक सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ देखने को मिली.

मिडिल आर्डर रहा बुरी तरह फ्लॉप

गावस्कर ने कहा, " इस विश्व कप में हमारी बल्लेबाजी नम्बर-3 के बाद थी ही नहीं. अगर रोहित, विराट और राहुल रन नहीं बनाते तो हम हमेशा मुश्किल में होते. सेमीफाइनल में हमारे साथ यही हुआ."

चयनकर्ताओं की भी आलोचना की

गावस्कर ने विश्व कप में भारत की नाकामी को लेकर चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन की जमकर आलोचना की थी, विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद भी विराट कोहली को स्वाभाविक तौर पर कप्तान बनाए रखे जाने के फैसला पर भी गावास्कर ने सवाल खड़े किए. गावस्कर ने एक अग्रेजी अखबार के अपने कॉलम में लिखा कि, 'कोहली को दोबारा कप्तानी सौंपे जाने से पहले आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी.'

बल्लेबाजी के दौरान महेंद्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत
बल्लेबाजी के दौरान महेंद्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत

चयन समिति है कठपुतली

गावस्कर ने एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली अखिल भारतीय चयन समिति को कठपुतली करार दिया और बिना बैठक के कोहली को तीनो फॉरमेट का कप्तान नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए.

गावस्कर ने लिखा, "चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं. पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया. प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी."

दूसरी ओर, बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान में रखते हुए तीनों फॉरमेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता.

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि टीम प्रबंधन को आज नहीं तो कल इस बात का जवाब देना होगा कि आखिरकार क्या कारण था कि भारत ने आईसीसी विश्व कप में चार विकेटकीपर मैदान पर उतारे जबकि बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली खिलाड़ी हमारी बेंच स्ट्रैंथ का हिस्सा थे.

लोकेश राहुल को गिनते हुए भारत ने न्यूजीलैंड के साथ हुए सेमीफाइनल मैच में चार विकेटकीपर मैदान पर उतारे थे. महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत अंतिम-11 का हिस्सा थे. कार्तिक, राहुल और धोनी मूल टीम का हिस्सा थे लेकिन पंत को शिखर धवन के चोटिल होने के बाद भारत से बुलाया गया था.

गौरतलब है कि कार्तिक ने पूरे विश्व कप में निराश किया, वहीं कुछ अच्छी पारियों के बावजूद धोनी की धीमी बल्लेबाजी के लिए उनकी आलोचना हुई और राहुल ने शिखर के स्थान पर बल्लेबाजी करते हुए भारत को अच्छी शुरूआत दी लेकिन सेमीफाइनल में वह भी नाकाम रहे थे.

दिनेश कार्तिक आउट होकर पवेलियन लौटते हुए
दिनेश कार्तिक आउट होकर पवेलियन लौटते हुए

विश्व कप के बाद भारतीय टीम के पूर्व कप्तान गावस्कर ने भारतीय टीम को लेकर कई गम्भीर सवाल खड़े किए है. गावस्कर ने कहा कि चार विकेटकीपर क्यों खिलाए गए, इसका जवाब टीम प्रबंधन को देना होगा और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआती तीन बल्लेबाजों के बाद भारतीय बल्लेबाजी सिर्फ औपचारिकता रह गई थी, उसमें किसी प्रकार की गहराई नहीं थी और इसकी झलक सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ देखने को मिली.

मिडिल आर्डर रहा बुरी तरह फ्लॉप

गावस्कर ने कहा, " इस विश्व कप में हमारी बल्लेबाजी नम्बर-3 के बाद थी ही नहीं. अगर रोहित, विराट और राहुल रन नहीं बनाते तो हम हमेशा मुश्किल में होते. सेमीफाइनल में हमारे साथ यही हुआ."

चयनकर्ताओं की भी आलोचना की

गावस्कर ने विश्व कप में भारत की नाकामी को लेकर चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन की जमकर आलोचना की थी, विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद भी विराट कोहली को स्वाभाविक तौर पर कप्तान बनाए रखे जाने के फैसला पर भी गावास्कर ने सवाल खड़े किए. गावस्कर ने एक अग्रेजी अखबार के अपने कॉलम में लिखा कि, 'कोहली को दोबारा कप्तानी सौंपे जाने से पहले आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी.'

बल्लेबाजी के दौरान महेंद्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत
बल्लेबाजी के दौरान महेंद्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत

चयन समिति है कठपुतली

गावस्कर ने एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली अखिल भारतीय चयन समिति को कठपुतली करार दिया और बिना बैठक के कोहली को तीनो फॉरमेट का कप्तान नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए.

गावस्कर ने लिखा, "चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं. पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया. प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी."

दूसरी ओर, बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान में रखते हुए तीनों फॉरमेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता.

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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि टीम प्रबंधन को आज नहीं तो कल इस बात का जवाब देना होगा कि आखिरकार क्या कारण था कि भारत ने आईसीसी विश्व कप में चार विकेटकीपर मैदान पर उतारे जबकि बड़ी संख्या में प्रतिभाशाली खिलाड़ी हमारी बेंच स्ट्रैंथ का हिस्सा थे.



लोकेश राहुल को गिनते हुए भारत ने न्यूजीलैंड के साथ हुए सेमीफाइनल मैच में चार विकेटकीपर मैदान पर उतारे थे. महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत अंतिम-11 का हिस्सा थे. कार्तिक, राहुल और धोनी मूल टीम का हिस्सा थे लेकिन पंत को शिखर धवन के चोटिल होने के बाद भारत से बुलाया गया था.



गौरतलब है कि कार्तिक ने पूरे विश्व कप में निराश किया, वहीं कुछ अच्छी पारियों के बावजूद धोनी की धीमी बल्लेबाजी के लिए उनकी आलोचना हुई और राहुल ने शिखर के स्थान पर बल्लेबाजी करते हुए भारत को अच्छी शुरूआत दी लेकिन सेमीफाइनल में वह भी नाकाम रहे थे.



विश्व कप के बाद भारटीय टीम के पूर्व कप्तान गावस्कर ने भारतीय टीम को लेकर कई गम्भीर सवाल खड़े किए, गावस्कर ने कहा कि चार विकेटकीपर क्यों खिलाए गए, इसका जवाब टीम प्रबंधन को देना होगा और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआती तीन बल्लेबाजों के बाद भारतीय बल्लेबाजी सिर्फ औपचारिकता रह गई थी, उसमें किसी प्रकार की गहराई नहीं थी और इसकी झलक सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ देखने को मिली.



मिडिल आर्डर रहा बुरी तरह फ्लॉप

गावस्कर ने कहा, " इस विश्व कप में हमारी बल्लेबाजी नम्बर-3 के बाद थी ही नहीं. अगर रोहित, विराट और राहुल रन नहीं बनाते तो हम हमेशा मुश्किल में होते. सेमीफाइनल में हमारे साथ यही हुआ."

चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन की आलोचना की.



गावस्कर ने विश्व कप में भारत की नाकामी को लेकर चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन की जमकर आलोचना की थी, विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद भी विराट कोहली को स्वाभाविक तौर पर कप्तान बनाए रखे जाने के फैसला पर भी गावास्कर ने सवाल खड़े किए. गावस्कर ने एक अग्रेजी अखबार के अपने कॉलम में  लिखा कि, 'कोहली को दोबारा कप्तानी सौंपे जाने से पहले आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी.'



चयन समिति है कठपुतली



गावस्कर ने एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली अखिल भारतीय चयन समिति को कठपुतली करार दिया और बिना बैठक के कोहली को तीनो फॉरमेट का कप्तान नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए.



गावस्कर ने लिखा, "चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं. पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया. प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ था कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी."



दूसरी ओर, बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप के ध्यान में रखते हुए तीनों फॉरमेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता.


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