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सर्वोच्च अदालत ने टीएनसीए को 28 सितंबर को चुनाव कराने की इजाजत दी - सर्वोच्च अदालत

सर्वोच्च अदालत ने तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) को अपने पदाधिकारियों को चुनने के लिए 28 सितंबर को चुनाव कराने की अनुमति दे दी है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया.

Supreme Court
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Published : Sep 20, 2019, 8:23 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 9:09 AM IST

नई दिल्ली : न्यायाधीश एस.ए बोब्डे और एल.नागेश्वर राव की पीठ ने कहा है कि राज्य क्रिकेट निकाय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए संविधान को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, लेकिन वो निश्चित रूप से चुनाव आयोजित करा सकता है.

राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान को पूरी तरह से अपनाया नहीं


पीठ ने हालांकि यह भी साफ कर दिया है कि टीएनसीए चुनावों के परिणाम को घोषित नहीं करेगा. शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि तमिलनाडु क्रिकेट निकाय के चुनाव परिणाम उसके अंतिम आदेशों के अधीन होंगे.

BCCI
बीसीसीआई लोगो

अदालत ने कहा, "सहायक सचिव और उपाध्यक्ष के परिणाम फैसले के अधीन होंगे." ऐसे आरोप हैं कि अभी तक टीएनसीए के अलावा चार अन्य राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान को पूरी तरह से अपनाया नहीं है.



उन्हें निरस्त किया जा सकता है



इस बीच, प्रशासकों की समिति (सीओए) ने इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये फैसला गलत मिसाल कायम करेगा. इस पर एमिकस क्यूरे पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि 38 राज्य संघों में से सिर्फ चार राज्य संघों ने ही बीसीसीआई के संविधान को नहीं अपनाया है.

राज्य संघ के वकील कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से अपील की थी कि राज्य संघों को चुनाव आयोजित कराने की मोहलत तो दी जा सकती है. अदालत ने कहा कि वह इस समय पूरे मामले का हल नहीं कर सकती लेकिन अगर पाया गया कि चुनाव कानून के मुताबिक नहीं हुए हैं तो उन्हें निरस्त किया जा सकता है.

नई दिल्ली : न्यायाधीश एस.ए बोब्डे और एल.नागेश्वर राव की पीठ ने कहा है कि राज्य क्रिकेट निकाय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए संविधान को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, लेकिन वो निश्चित रूप से चुनाव आयोजित करा सकता है.

राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान को पूरी तरह से अपनाया नहीं


पीठ ने हालांकि यह भी साफ कर दिया है कि टीएनसीए चुनावों के परिणाम को घोषित नहीं करेगा. शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि तमिलनाडु क्रिकेट निकाय के चुनाव परिणाम उसके अंतिम आदेशों के अधीन होंगे.

BCCI
बीसीसीआई लोगो

अदालत ने कहा, "सहायक सचिव और उपाध्यक्ष के परिणाम फैसले के अधीन होंगे." ऐसे आरोप हैं कि अभी तक टीएनसीए के अलावा चार अन्य राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान को पूरी तरह से अपनाया नहीं है.



उन्हें निरस्त किया जा सकता है



इस बीच, प्रशासकों की समिति (सीओए) ने इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये फैसला गलत मिसाल कायम करेगा. इस पर एमिकस क्यूरे पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि 38 राज्य संघों में से सिर्फ चार राज्य संघों ने ही बीसीसीआई के संविधान को नहीं अपनाया है.

राज्य संघ के वकील कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से अपील की थी कि राज्य संघों को चुनाव आयोजित कराने की मोहलत तो दी जा सकती है. अदालत ने कहा कि वह इस समय पूरे मामले का हल नहीं कर सकती लेकिन अगर पाया गया कि चुनाव कानून के मुताबिक नहीं हुए हैं तो उन्हें निरस्त किया जा सकता है.

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सर्वोच्च अदालत ने तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) को अपने पदाधिकारियों को चुनने के लिए 28 सितंबर को चुनाव कराने की अनुमति दे दी है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया.

नई दिल्ली : न्यायाधीश एस.ए बोब्डे और एल.नागेश्वर राव की पीठ ने कहा है कि राज्य क्रिकेट निकाय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए संविधान को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, लेकिन वो निश्चित रूप से चुनाव आयोजित करा सकता है.



राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान को पूरी तरह से अपनाया नहीं





पीठ ने हालांकि यह भी साफ कर दिया है कि टीएनसीए चुनावों के परिणाम को घोषित नहीं करेगा. शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि तमिलनाडु क्रिकेट निकाय के चुनाव परिणाम उसके अंतिम आदेशों के अधीन होंगे.



अदालत ने कहा, "सहायक सचिव और उपाध्यक्ष के परिणाम फैसले के अधीन होंगे." ऐसे आरोप हैं कि अभी तक टीएनसीए के अलावा चार अन्य राज्य संघों ने बीसीसीआई के संविधान को पूरी तरह से अपनाया नहीं है.





उन्हें निरस्त किया जा सकता है





इस बीच, प्रशासकों की समिति (सीओए) ने इस कदम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये फैसला गलत मिसाल कायम करेगा. इस पर एमिकस क्यूरे पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि 38 राज्य संघों में से सिर्फ चार राज्य संघों ने ही बीसीसीआई के संविधान को नहीं अपनाया है.



राज्य संघ के वकील कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से अपील की थी कि राज्य संघों को चुनाव आयोजित कराने की मोहलत तो दी जा सकती है. अदालत ने कहा कि वह इस समय पूरे मामले का हल नहीं कर सकती लेकिन अगर पाया गया कि चुनाव कानून के मुताबिक नहीं हुए हैं तो उन्हें निरस्त किया जा सकता है.


Conclusion:
Last Updated : Oct 1, 2019, 9:09 AM IST
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