नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी शाहिद अफरीदी अपनी आत्मकथा 'गेम चैंजर' में हर रोज एक नए खुलासे कर रहे हैं.
आफरीदी ने अपनी आत्मकथा में कहा है कि साल 2010 में हुए स्पॉट फिक्सिंग कांड से पहले उन्होंने अपने टीम के साथी सलमान बट्ट, मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ के गलत कामों से टीम प्रबंधन को अवगत कराया था.
अफरीदी ने कहा कि उन्होंने जब इस मामले को टीम प्रबंधन के साथ उठाया तो फिर इसका हर्जाना उन्हें टेस्ट कप्तानी छोड़कर उठाना पड़ा.
साजिशकर्ता और खिलाड़ियों के बीच हुए संदिग्ध बातचीत से अवगत थे
अफरीदी ने आत्मकथा के एक अंश में कहा है कि वो एजेंट मजहर माजीद, जो इस कांड के सबसे बड़े साजिशकर्ता थे और खिलाड़ियों के बीच हुए संदिग्ध बातचीत से अवगत थे. उन्होंने कहा कि ये बातचीत 2010 के श्रीलंका दौरे पर एशिया कप के दौरान हुई थी.
अफरीदी ने लिखा,"मैंने रैकेट में शामिल मूल सबूतों को पकड़ लिया था, जो फोन संदेश के रूप में स्पॉट फिक्सिंग विवाद में शामिल खिलाड़ियों के खिलाफ था. जब मैं उस सबूत को टीम प्रबंधन के पास ले गया और फिर इसके बाद आगे जो कुछ हुआ उसे देखकर पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को चलाने वालों पर ज्यादा विश्वास नहीं होता."
उन्होंने कहा,"श्रीलंका दौरे से पहले, माजीद और उनका परिवार चैंपियनशिप के दौरान टीम में शामिल हुए थे. माजिद के बेटे ने अपने पिता के मोबाइल फोन को पानी में गिरा दिया और फिर फोन ने काम करना बंद करना दिया था."
टीम के अधिकारियों को इस बारे में सतर्क करने की कोशिश की
पूर्व कप्तान ने आगे कहा कि उन्होंने पाकिस्तान टीम के अधिकारियों को इस बारे में सतर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
उन्होंने कहा,"जब मुझे वे संदेश श्रीलंका में मिले तो फिर मैंने उस संदेश को टीम के कोच वकार यूनुस को दिखाया. दुर्भाग्य से, उन्होंने इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया. वकार और मैंने सोचा कि ये कुछ ऐसा है जिससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा."
अफरीदी ने कहा,"ये कुछ ऐसा था कि जितना बुरा दिख रहा था, उतना था नहीं. ये सिर्फ खिलाड़ियों और माजीद के बीच की एक घिनौनी बातचीत थी. ये मैसेज ज्यादा हानिकारक नहीं थे लेकिन ये कुछ ऐसा था जिसे कि दुनिया बाद में पता लगा ही लेती."