नई दिल्ली : बोर्ड के नए संविधान के अस्तित्व में आने के बाद सचिन, लक्ष्मण और सौरभ गांगुली बोर्ड की किसी भी समिति का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे.
मुख्य कोच चुनने के लिए ही नियुक्त किया गया
इसका मतलब है कि इन तीनों खिलाड़ियों की सेवाएं पूरी तरह से नहीं ली गईं क्योंकि इन तीनों को सिर्फ भारतीय टीम का मुख्य कोच चुनने के लिए ही नियुक्त किया गया. इन तीनों की सीएसी ने 2016 और 2017 में भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया था. यहां तक की प्रशासकों की समिति (सीओए) ने महिला टीम के मुख्य कोच को निुयक्त करने को लेकर इन तीनों को ज्यादा समय भी नहीं दिया था.
बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए बताया कि किस तरह बोर्ड ने भारतीय क्रिकेट के तीन दिग्गजों की सेवाओं को जाया कर दिया.
हितों के टकराव के मुद्दे में घिरे हैं
अधिकारी ने कहा, "ये बेहद दुख की बात है. मौजूदा हालात में तीनों को लोकपाल के सामने जाने को मजबूर कर दिया जहां सीओए लोकपाल से कह सके कि ये तीनों 'साफ तौर से' हितों के टकराव के मुद्दे में घिरे हैं. सीओए ने भारतीय क्रिकेट के इन तीन दिग्गजों की सेवाओं को पूरी तरह से उपयोग भी नहीं किया."
5 साल के बाद किसी भी समिति का हिस्सा नहीं हो सकते
अधिकारी ने कहा, "नए संविधान के मुताबिक यह तीनों 5 साल के बाद किसी भी समिति का हिस्सा नहीं हो सकते और ये नियम 2020 के बाद इन्हें बाहर कर देगा. क्या बोर्ड में जो तंत्र पेशेवर तरीके से काम कर रहा है उसे पता है कि उन्हें क्या खोया है? उन्होंने इन तीनों को महिला टीम का कोच नियुक्त करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया. कम देखना बड़ी बीमारी है." एक और अधिकारी ने कहा कि यह जो 'साफ तौर पर' हितों के टकराव का मुद्दा है वह सीओए के तरफ से गैरजरूरी है.
बीसीसीआई की तरफ से कोई पैसा मिल रहा
अधिकारी ने कहा, "वह ये कहने की स्थिति में बिल्कुल नहीं हैं. सचिन का उदाहरण ले लीजिए क्या उन्हें मुंबई इंडियंस या सीएसी में रहने के लिए बीसीसीआई की तरफ से कोई पैसा मिल रहा है? तो फिर हितों के टकराव का मुद्दा कहां है? साथ ही 2020 के बाद से आप उन्हें किसी भी क्रिकेट समिति में शामिल नहीं कर सकते. एक दिग्गज जिसने 24 साल 25 सीजनों तक देश के लिए क्रिकेट खेली वो कभी भी चयनकर्ता बनने के लिए योग्य नहीं होगा."
नया संविधान
बीसीसीआई के नए संविधान के मुताबिक, जो शख्स पांच साल तक किसी क्रिकेट समिति का हिस्सा रहा होगा वह भविष्य में कोई और समिति का हिस्सा नहीं बन पाएगा. इस नियम की मानें तो सीएसी जो 2015 में नियुक्त की गई थी उसके पास सिर्फ एक साल का समय है. इसके बाद सचिन, गांगुली और लक्ष्मण किसी भी क्रिकेट समिति का हिस्सा नहीं बन पाएंगे.
भारत को विश्व में सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने
एक और बुरी बात ये है कि इस तिगड़ी को जब सीएसी के सदस्यों के तौर पर 2015 में चुना गया था तब इन पूर्व खिलाड़ियों को लाने का मकसद ये था कि राष्ट्रीय टीम का प्रदर्शन सुधारा जाए. साथ ही भारत को विश्व में सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया जाए, लेकिन बीते चाल साल में इस समिति ने आधिकारिक तौर पर सिर्फ दो काम किए हैं- 2016 में अनिल कुंबले को राष्ट्रीय टीम का कोच नियुक्त किया गया. उसके बाद जब उनका कार्यकाल समाप्त हो गया तो 2017 में फिर रवि शास्त्री को टीम का कोच नियुक्त किया गया.
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दुख की बात ये है कि खेल को लंबे समय तक सेवाएं देने वाले इन दिग्गजों को अब ये साबित करना पड़ रहा है कि ये हितों के टकराव के मामले में नहीं हैं.