नई दिल्ली: दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने दक्षिण अफ्रीका में भारत-बांग्लादेश के बीच खेले गए अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में हुए हंगामे पर अपनी निराशा व्यक्त की.
सचिन ने इस संबंध में कहा कि किसी को अपनी आक्रामकता दिखाने के लिए मुंह खोलने या गलत भाषा का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है.
बांग्लादेश ने फाइनल में तीन विकेट से भारत को हरा दिया था. मैच के बाद जश्न के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ी उलझ बैठे थे और कुछ खिलाड़ियों को आईसीसी ने निलंबित भी किया है.
सचिन ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा, "एक इंसान किसी शख्स को सिखाने के लिए प्रयास कर सकता है लेकिन यह उस शख्स के चरित्र पर भी निर्भर करता है कि वह क्या सीखता है. नाजुक स्थितियों में इंसान को कुछ चीजों पर नियंत्रण करना चाहिए और यह नहीं भूलना चाहिए कि पूरा विश्व उसे देख रहा है."
उन्होंने कहा, "इसलिए मुझे लगता है कि यह ऐसे पल होते हैं जहां नियंत्रित आक्रामकता मदद करती है. खिलाड़ी को आक्रामक होना चाहिए लेकिन बोलना और गलत भाषा का उपयोग करने का मतलब आक्रामकता नहीं है. आक्रामकता आपके खेल में होनी चाहिए. आप किस तरह से बल्लेबाजी और गेंदबाजी करते हो आक्रामकता इसमें होनी चाहिए जो टीम को मदद करे न कि उसके खिलाफ जाए."
बता दें कि आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में हुई झड़प को लेकर आईसीसी ने बांग्लादेश के मोहम्मद तौहिद ह्रदॉय, शमीम हुसैन और रकीबुल हसन, जबकि भारत के आकाश सिंह और रवि बिश्नोई को सजा सुनाई है.
इन पांचों खिलाड़ियों को आईसीसी कोड ऑफ कंडक्ट के लेवल तीन का उल्लंघन करने के लिए फटकार लगाई गई और साथ ही इन सभी के खाते में डिमेरिट प्वाइंट भी जोड़े गए है.
पांचो खिलाड़ियो पर आईसीसी कोड ऑफ कंडक्ट के आर्टिकल 2.21 और रवि बिश्नोई पर आर्टिकल 2.5 के उल्लंघन का भी चार्ज लगाया गया है.