हैदराबाद: आज से ठीक 25 साल पहले श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक ऐसा मुकाबला खेला गया था, जो हमेशा के लिए रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया. आज ही के दिन लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 1996 के एकदिवसीय विश्व कप का फाइनल मुकाबला खेला गया था. जिसे श्रीलंका क्रिकेट टीम ने पूरे सात विकेट से जीतकर अपने नाम किया था.
-
It's been 25 years since @OfficialSLC's ICC Men's World Cup 1996 win 🏆
— ICC (@ICC) March 17, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Former captain @ArjunaRanatunga was humble after a famous seven-wicket victory over Australia 👏 pic.twitter.com/XdrcjSGUVD
">It's been 25 years since @OfficialSLC's ICC Men's World Cup 1996 win 🏆
— ICC (@ICC) March 17, 2021
Former captain @ArjunaRanatunga was humble after a famous seven-wicket victory over Australia 👏 pic.twitter.com/XdrcjSGUVDIt's been 25 years since @OfficialSLC's ICC Men's World Cup 1996 win 🏆
— ICC (@ICC) March 17, 2021
Former captain @ArjunaRanatunga was humble after a famous seven-wicket victory over Australia 👏 pic.twitter.com/XdrcjSGUVD
मैच का आगाज श्रीलंका के टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने के साथ हुआ था और टीम के गेंदबाजों ने कप्तान अर्जुन रणतुंगा के इस फैसले को सही साबित कर दिखाया. ऑस्ट्रेलिया अपने निर्धारित 50 ओवरों के खेल में सात विकेट के नुकसान पर 241 रन ही बना सकी. टीम के लिए मार्क टेलर ने 83 गेंदों पर (74) रन बनाए, जबकि रिकी पोंटिग ने (45) और माइकल बेवन ने नाबाद (36) रनों की पारी खेली.
पांच साल बाद मैदान पर देखने को मिला कोहली का ये विराट रूप
श्रीलंका के लिए अरविंदा डी सिल्वा ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए. वहीं चमिंडा वास, मुथैया मुरलीधरन, कुमार धर्मसेना और सनथ जयसूर्या एक-एक विकेट लेने में सफल रहे.
पहली बार विश्व कप का फाइनल खेल रही श्रीलंका के सामने मैच जीतने के लिए 242 रनों का लक्ष्य था. 1987 में वर्ल्ड कप जीत का स्वाद चख चुकी ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरी बार खिताबी जीत के सपने देख रही थी. मगर उनके सपनों को रणतुंगा एंड कंपनी ने चकनाचूर कर दिया.
श्रीलंका ने 22 गेंद शेष रहते केवल तीन विकेट के नुकसान पर विश्व कप जीतकर एक नायाब इतिहास रचा. टीम की जीत में अरविंदा डी सिल्वा ने एक बेहद ही यादगार शतकीय पारी खेली और 124 गेंदों पर नाबाद 107 रन बनाए. उनके अलावा असंका गुरुसिंहा ने 65 और कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने नाबाद 47 रनों की पारियां खेली.
वाकई में आज भी श्रीलंका की इस जीत को क्रिकेट इतिहास की सबसे यादगार जीत में से एक माना जाता है. श्रीलंका को ये टूर्नामेंट जीताने में अरविंदा डी सिल्वा ने एक अहम भूमिका निभाई थी और छह मैचों में (448) रन जोड़े थे. वहीं सनथ जयसूर्या ने भी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए छह मैचों में 131.54 के तूफानी स्ट्राइक रेट के साथ 221 रन बनाए थे. डी सिल्वा को 'प्लेयर ऑफ द मैच' जबकि जयसूर्या को 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' का अवॉर्ड मिला था.
-- अखिल गुप्ता