नई दिल्ली: भारत की नेशनल ऐंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए डोप टेस्टिंग प्रोग्राम को अंतिम रूप दे दिया है. दुनिया के बहुचर्चित लीग इंडियन प्रीमियर लीग का आयोजन इस साल यूएई में 19 सितंबर से 10 नवंबर तक होगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई में नाडा ने कुल पांच मिलाकर पांच 'डोप कंट्रोल स्टेशन' यानी डीसीएस स्थापित करने का फैसला किया है. पांच में से तीन उन मैदानों पर बनाए जाएंगे जहां लीग के मैच खेले जाने हैं.
इसके अलावा ट्रेनिंग के लिए तय किए गए मैदान- आईसीसी अकादमी, दुबई और जायद क्रिकेट स्टेडियम, अबू धाबी में भी एक-एक सेंटर बनाया जाएगा.
नाडा के निदेशक, नवीन अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि डोप कंट्रोल ऑफिसर्स को प्लेइंग वैन्यू पर 'इन-कॉम्पीटिशन' टेस्ट करने को कहा गया है वहीं 'आउट ऑफ कॉम्पीटिशन' जांच सख्त रूप से ट्रेनिंग साइट्स पर की जाएगी. टूर्नामेंट के दौरान क्रिकेटर्स के 50 सैंपल जमा किए जाएंगे.
ऐंटी डोपिंग प्रोग्राम के लिए नाडा अधिकारियों और डीसीओ की तीन टीमें बनाई गई हैं. हर टीम में कुल पांच सदस्य होंगे. इसमें एक नाडा का अधिकारी, दो लीड डीसीओ और यूएई की एंटी-डोपिंग संस्था के दो सदस्य शामिल होंगे.
ये तीन टीमें टुकड़ों में यूएई पहुंचेंगी. पहली टीम सितंबर के पहले सप्ताह में रवाना होगी. रवाना होने से पहले उनकी कोरोना जांच करवाई जाएगी. इसके बाद यूएई पहुंचने के बाद उनकी दोबारा कोविड-19 की जांच होगी.
यह भी तय है कि आईपीएल के दौरान विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा समेत बड़े क्रिकेटरों के अलावा आईसीसी के रजिस्टर्ड टेस्टिंग पूल (आरटीपी) में शामिल क्रिकेटरों की सैंपलिंग को वरीयता दी जाएगी.
बीसीसीआई आईपीएल के दौरान सैंपलिंग, रहने और स्थानीय ट्रेवल का खर्च उठाएगा. नाडा को सिर्फ यूएई पहुंचने का खर्च उठाना होगा. हालांकि नाडा ने ब्लड सैंपल लिए जाने को भी खारिज नहीं किया है अगर लैब की ओर से ब्लड सैंपल लिए जाने को कहा जाता है तो उस क्रिकेटर का यह सैंपल लिया जाएगा।