हैदराबाद : मुख्य आरोपी संजीव चावला के खिलाफ साल 2000 के मैच फिक्सिंग मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर एक नवीनतम चार्जशीट में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. एक ब्रिटिश नागरिक चावला को इस साल फरवरी में एक लंबी प्रक्रिया के बाद भारत में प्रत्यर्पित किया गया था, लेकिन चावला उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के अभाव में तिहाड़ जेल से बाहर आ गया. एक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 मई को दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने साल 2000 में हुए मैच फिक्सिंग कांड के मुख्य आरोपी संजीव चावला को 2 मई 2020 को जमानत दे दी है.
क्रोनिए पर आजीवन प्रतिबंध लगा
साल 2000 को विश्व क्रिकेट का सबसे काला अध्याय माना जाता है. इसी साल क्रिकेट में फिक्सिंग के पहले सबसे बड़े खुलासे से क्रिकेट की दुनिया में भूचाल ला दिया था. दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हैंसी क्रोनिए के नाम के साथ कई बड़े क्रिकेटरों का नाम इस मैच फिक्सिंग में सामने आया था. चावला और हैंसी क्रोनिए के बीच हुई बातचीत को टैप किया था.जिसके बाद पुलिस ने दो भारतीय सट्टेबाजों संजीव चावला और राजेश कालरा को गिरफ्तार किया था.
दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड के एमडी अली बेचर को हैंसी क्रोनिए ने अपनी सच्चाई बताई थी. जिसके बाद चावला को गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में सरकार द्वारा नियुक्त किंग कमीशन ने क्रोनिए को असली दागदार साबित किया. क्रोनिए पर इस कारण आजीवन प्रतिबंध लगा था. जून 2002 में एक प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी.
चावला, जो वर्तमान में एक ब्रिटिश नागरिक हैं को इस साल फरवरी में एक लंबी प्रक्रिया के बाद ब्रिटेन ने भारत को सौंप दिया था. एक वेबसाइट के अनुसार दिल्ली पुलिस ने उस विवादास्पद सीरीज की सटीक घटनाओं को ब्यौरा पाया. दो मैचों के फिक्स होने की बात नई चार्जशीट में हैं.
नवीनतम चार्जशीट के अनुसार
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर नवीनतम चार्जशीट के अनुसार, ''जांच के दौरान दर्ज किए गए गवाहों के बयान के आधार पर, जब्त ऑडियो और वीडियो कैसेट, सीएफएसएल रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्यों के आरोपियों के बीच दर्ज की गई बातचीत के आधार पर, ये सुरक्षित रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कुछ मैच फिक्स थे कुछ में, उन्हें फिक्स करने का प्रयास किया गया था.''
चार्जशीट में आगे, "इस साजिश के आगे, मुंबई में पहला टेस्ट मैच और कोचीन में पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच फिक्सिंग किया गया और इसके परिणामस्वरूप अभियुक्तों को गलत तरीके से लाभ हुआ और बड़े पैमाने पर जनता को गलत तरीके से नुकसान हुआ, जो विश्वास करते थे कि वे बेहतर प्रदर्शन करेंगे. आरोपी व्यक्तियों ने आईपीसी की धारा 420 और 120 बी के तहत अपराध किए हैं. दिल्ली पुलिस ने 68 गवाहों की एक सूची भी साझा की है, जिसमें बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले शामिल हैं, जब 2000 में घोटाला सामने आया, तो वो इस पर थे.
मुंबई टेस्ट, कोचीन वनडे में हुई मैच फिक्सिंग
उन्होंने कहा, "ये तय किया गया कि दक्षिण अफ्रीकी टीम एक पारी में 250 से अधिक रन नहीं बनाएगी. हालांकि दक्षिण अफ्रीकी टीम ने तीन दिनों में टेस्ट जीता, लेकिन इसका श्रेय भारत द्वारा बहुत खराब प्रदर्शन को दिया गया. भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी की और 225 रन बनाए और दक्षिण अफ्रीकी टीम ने केवल 176 रन बनाए. दूसरी पारी में, भारत ने 113 रन बनाए और दक्षिण अफ्रीकी टीम ने केवल 164 रन बनाकर मैच जीत लिया. इस प्रकार, दक्षिण अफ्रीकी टीम ने दोनों पारियों में 250 से अधिक रन नहीं बनाए, जैसा कि आरोपी हैंसी क्रोनिए द्वारा फिक्सरों को वादा किया गया था. इस प्रकार, ये मैच फिक्सिंग था."
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र में ये भी उल्लेख किया गया है कि हालांकि, दूसरे, तीसरे और चौथे वनडे को फिक्स नहीं किया गया था, हैंसी क्रोनिए ने अभियुक्तों को जानकारी देने में मदद की और उन्हें सट्टेबाजी के माध्यम से भारी लाभ हासिल करने में मदद की.