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लकड़ी व्यापारी के बेटे ने भारत को दिलाया था पहला विश्व कप, आज कपिल देव हुए 61 वर्ष के - भारतीय क्रिकेट टीम

भारत को अपना पहला क्रिकेट विश्व कप दिलवाने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव आज अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं.

kapil dev
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Published : Jan 6, 2020, 11:36 AM IST

हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव आज अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं. देश को अपना पहला विश्व कप दिलवाने वाले कपिल देव को देश का सबसे सफल ऑलराउंडर माना जाता है. उनकी तेज गेंदबाजी और तेज तर्रार हिटिंग ने फैंस के दिलों में प्यार आज भी जिंदा रखा है. क्रिकेट से संन्यास के कई सालों भी उनकी तारीफें होती हैं.

कपिल देव का जन्म चंडीगढ़ में 6 जनवरी 1959 को एक लकड़ी व्यापारी के घर हुआ था. हालांकि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले कपिल के माता-पिता पाकिस्तान में रहते थे लेकिन बंटवारे के बाद वे भारत आ गए. बचपन से ही कपिल को खेलों में दिलचस्पी थी और उनका पसंदीदा खेल क्रिकेट था.

कपिल देव
कपिल देव
पहले स्कूल फिर कॉलेज में क्रिकेट के प्रति उनकी दिलचस्पी देखते हुए कपिल के घरवालों ने क्रिकेट सीखने भेजा. उनको पूर्व क्रिकेटर देशप्रेम आजाद ने कोचिंग दी. उनको 1975 में हरियाणा की ओर से रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका मिला जिसके पहले मैच में ही उन्होंने छह विकेट लिए. साथ ही इस सीजन में उन्होंने कुल 30 मैच में 121 विकेट लिए.रणजी में ऐसे धमाकेदार प्रदर्शन के बाद उनको ईरानी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और फिर विल्स ट्रॉफी में भी खेलने का मौका मिला. घरेलू क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी में छाप छोड़ने के बाद उन्होंने 16 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया.डेब्यू के कुछ दिनों बाद ही उस समय की सबसे खतरनाक बॉलिंग लाइनअप वाली टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ कपिल ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ा था. फिर वे अपने पहले 25 मैचों में 100 विकेट और 1000 रन बनाने वाले कपिल देव पहले भारतीय खिलाड़ी बने. तब दुनिया को खबर हो चुकी थी कि भारत के पास एक बेहतरीन ऑलराउंडर है जो किसी भी टीम पर भारी पड़ सकता है.
कपिल देव
कपिल देव
उनकी शानदार लीडरशिप क्वालिटी देखते हुए उनको 1982 में श्रीलंका के खिलाफ पहली बार कप्तानी करने का मौका मिला. ये मौका उनको सुनील गावस्कर को आराम देने के कारण मिला था. फिर वे टीम के रेगुलर कप्तान भी बन गए. अगले साल यानी 1983 में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी जब विश्व कप में भारत का नेतृत्व उनको करना था.उस समय भारत को विश्व कप जीतने का दावेदार नहीं समझता था लेकिन उनकी कप्तानी में टीम ने फाइनल मैत में विंडीज को हरा कर अपना पहला विश्व कप जीता. विश्व कप 1983 में कपिल ने कुल 303 रन बनाए थे और 12 विकेट लिए थे. इतना ही नहीं शानदार फील्डिंग कर उन्होंने सात कैच भी पकड़े थे.
विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया
विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया
उसके बाद अपने हरफनमौला प्रदर्शन के दम पर भारत के खाते में कई जीत डालीं. फिर 1994 में उन्होंने देश की सेवा करने के बाद क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी. आपको बता दें कि कपिल देव अपने पूरे टेस्ट करियर के 184 पारियों में कभी भी रन आउट नहीं हुए. वह 400 से अधिक विकेट लेने और 5000 से अधिक रन बनाने वाले क्रिकेट के इतिहास में एकमात्र खिलाड़ी हैं.

यह भी पढ़ें- विराट के बाद चार दिवसीय टेस्ट मैच पर अब पोंटिंग ने भी जताया ऐतराज

कपिल देव ने 1990 में रोमी भाटिया से शादी की और उनकी एक बेटी है जिसका नाम अमिया देव है. उनको 11 मार्च 2010 को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था. उन्होंने तीन आत्मकथात्मक किताबें लिखी हैं. 'गॉड्स डिक्री' जो 1985 में आई, 'क्रिकेट माई स्टाइल' जो 1987 में आई और 'स्ट्रेट फ्रॉम द हर्ट' साल 2004 में आई. इतना ही नहीं, अब कपिल देव के जीवन पर एक फिल्म बन रही है जिसका नाम '83' है.

हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव आज अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं. देश को अपना पहला विश्व कप दिलवाने वाले कपिल देव को देश का सबसे सफल ऑलराउंडर माना जाता है. उनकी तेज गेंदबाजी और तेज तर्रार हिटिंग ने फैंस के दिलों में प्यार आज भी जिंदा रखा है. क्रिकेट से संन्यास के कई सालों भी उनकी तारीफें होती हैं.

कपिल देव का जन्म चंडीगढ़ में 6 जनवरी 1959 को एक लकड़ी व्यापारी के घर हुआ था. हालांकि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले कपिल के माता-पिता पाकिस्तान में रहते थे लेकिन बंटवारे के बाद वे भारत आ गए. बचपन से ही कपिल को खेलों में दिलचस्पी थी और उनका पसंदीदा खेल क्रिकेट था.

कपिल देव
कपिल देव
पहले स्कूल फिर कॉलेज में क्रिकेट के प्रति उनकी दिलचस्पी देखते हुए कपिल के घरवालों ने क्रिकेट सीखने भेजा. उनको पूर्व क्रिकेटर देशप्रेम आजाद ने कोचिंग दी. उनको 1975 में हरियाणा की ओर से रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका मिला जिसके पहले मैच में ही उन्होंने छह विकेट लिए. साथ ही इस सीजन में उन्होंने कुल 30 मैच में 121 विकेट लिए.रणजी में ऐसे धमाकेदार प्रदर्शन के बाद उनको ईरानी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और फिर विल्स ट्रॉफी में भी खेलने का मौका मिला. घरेलू क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी में छाप छोड़ने के बाद उन्होंने 16 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया.डेब्यू के कुछ दिनों बाद ही उस समय की सबसे खतरनाक बॉलिंग लाइनअप वाली टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ कपिल ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ा था. फिर वे अपने पहले 25 मैचों में 100 विकेट और 1000 रन बनाने वाले कपिल देव पहले भारतीय खिलाड़ी बने. तब दुनिया को खबर हो चुकी थी कि भारत के पास एक बेहतरीन ऑलराउंडर है जो किसी भी टीम पर भारी पड़ सकता है.
कपिल देव
कपिल देव
उनकी शानदार लीडरशिप क्वालिटी देखते हुए उनको 1982 में श्रीलंका के खिलाफ पहली बार कप्तानी करने का मौका मिला. ये मौका उनको सुनील गावस्कर को आराम देने के कारण मिला था. फिर वे टीम के रेगुलर कप्तान भी बन गए. अगले साल यानी 1983 में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी जब विश्व कप में भारत का नेतृत्व उनको करना था.उस समय भारत को विश्व कप जीतने का दावेदार नहीं समझता था लेकिन उनकी कप्तानी में टीम ने फाइनल मैत में विंडीज को हरा कर अपना पहला विश्व कप जीता. विश्व कप 1983 में कपिल ने कुल 303 रन बनाए थे और 12 विकेट लिए थे. इतना ही नहीं शानदार फील्डिंग कर उन्होंने सात कैच भी पकड़े थे.
विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया
विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया
उसके बाद अपने हरफनमौला प्रदर्शन के दम पर भारत के खाते में कई जीत डालीं. फिर 1994 में उन्होंने देश की सेवा करने के बाद क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी. आपको बता दें कि कपिल देव अपने पूरे टेस्ट करियर के 184 पारियों में कभी भी रन आउट नहीं हुए. वह 400 से अधिक विकेट लेने और 5000 से अधिक रन बनाने वाले क्रिकेट के इतिहास में एकमात्र खिलाड़ी हैं.

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कपिल देव ने 1990 में रोमी भाटिया से शादी की और उनकी एक बेटी है जिसका नाम अमिया देव है. उनको 11 मार्च 2010 को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था. उन्होंने तीन आत्मकथात्मक किताबें लिखी हैं. 'गॉड्स डिक्री' जो 1985 में आई, 'क्रिकेट माई स्टाइल' जो 1987 में आई और 'स्ट्रेट फ्रॉम द हर्ट' साल 2004 में आई. इतना ही नहीं, अब कपिल देव के जीवन पर एक फिल्म बन रही है जिसका नाम '83' है.

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लकड़ी व्यापारी के बेटे ने भारत दिलाया था पहला विश्व कप, आज कपिल देव हुए 61 वर्ष के





हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव आज अपना 61वां जन्मदिन मना रहे हैं. देश को अपना पहला विश्व कप दिलवाने वाले कपिल देव को देश का सबसे सफल ऑलराउंडर माना जाता है. उनकी तेज गेंदबाजी और तेज तर्रार हिटिंग ने फैंस के दिलों में प्यार आज भी जिंदा रखा है. क्रिकेट से संन्यास के कई सालों भी उनकी तारीफें होती हैं.

कपिल देव का जन्म चंडीगढ़ में 6 जनवरी 1959 को एक लकड़ी व्यापारी के घर हुआ था. हालांकि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले कपिल के माता-पिता पाकिस्तान में रहते थे लेकिन बंटवारे के बाद वे भारत आ गए. बचपन से ही कपिल को खेलों में दिलचस्पी थी और उनका पसंदीदा खेल क्रिकेट था.

पहले स्कूल फिर कॉलेज में क्रिकेट के प्रति उनकी दिलचस्पी देखते हुए कपिल के घरवालों ने क्रिकेट सीखने भेजा. उनको पूर्व क्रिकेटर देशप्रेम आजाद ने कोचिंग दी. उनको 1975 में हरियाणा की ओर से रणजी ट्रॉफी खेलने का मौका मिला जिसके पहले मैच में ही उन्होंने छह विकेट लिए. साथ ही इस सीजन में उन्होंने कुल 30 मैच में 121 विकेट लिए.

रणजी में ऐसे धमाकेदार प्रदर्शन के बाद उनको ईरानी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और फिर विल्स ट्रॉफी में भी खेलने का मौका मिला. घरेलू क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी में छाप छोड़ने के बाद उन्होंने 16 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया.

डेब्यू के कुछ दिनों बाद ही उस समय की सबसे खतरनाक बॉलिंग लाइनअप वाली टीम वेस्टइंडीज के खिलाफ कपिल ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ा था. फिर वे अपने पहले 25 मैचों में 100 विकेट और 1000 रन बनाने वाले कपिल देव पहले भारतीय खिलाड़ी बने. तब दुनिया को खबर हो चुकी थी कि भारत के पास एक बेहतरीन ऑलराउंडर है जो किसी भी टीम पर भारी पड़ सकता है.

उनकी शानदार लीडरशिप क्वालिटी देखते हुए उनको 1982 में श्रीलंका के खिलाफ पहली बार कप्तानी करने का मौका मिला. ये मौका उनको सुनील गावस्कर को आराम देने के कारण मिला था. फिर वे टीम के रेगुलर कप्तान भी बन गए. अगले साल यानी 1983 में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी जब विश्व कप में भारत का नेतृत्व उनको करना था.

उस समय भारत को विश्व कप जीतने का दावेदार नहीं समझता था लेकिन उनकी कप्तानी में टीम ने फाइनल मैत में विंडीज को हरा कर अपना पहला विश्व कप जीता. विश्व कप 1983 में कपिल ने कुल 303 रन बनाए थे और 12 विकेट लिए थे. इतना ही नहीं शानदार फील्डिंग कर उन्होंने सात कैच भी पकड़े थे.

उसके बाद अपने हरफनमौला प्रदर्शन के दम पर भारत के खाते में कई जीत डालीं. फिर 1994 में उन्होंने देश की सेवा करने के बाद क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी. आपको बता दें कि कपिल देव अपने पूरे टेस्ट करियर के 184 पारियों में कभी भी रन आउट नहीं हुए. वह 400 से अधिक विकेट लेने और 5000 से अधिक रन बनाने वाले क्रिकेट के इतिहास में एकमात्र खिलाड़ी हैं.

कपिल देव ने 1990 में रोमी भाटिया से शादी की और उनकी एक बेटी है जिसका नाम अमिया देव है. उनको 11 मार्च 2010 को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था. उन्होंने तीन आत्मकथात्मक किताबें लिखी हैं. 'गॉड्स डिक्री' जो 1985 में आई, 'क्रिकेट माई स्टाइल' जो 1987 में आई और 'स्ट्रेट फ्रॉम द हर्ट' साल 2004 में आई.


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