नई दिल्ली: दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने वाले रोहन जेटली का इस पद पर चुना जाना तय है. रोहन ने कहा है कि अध्यक्ष बनने के बाद वह उस बात को सुनिश्चित करेंगे कि वह संघ के वित्तीय लेन-देन को वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक करें.
जेटली ने कहा, "डीडीसीए के वित्तीय पहलू को साफ करने की जरूरत है. इसे पारदर्शी तरीके से करना चाहिए, इसे बेहद साफ होना चाहिए. किसी तरह की शंका के बादल नहीं होने चाहिए. यह सभी सार्वजनिक होना चाहिए और डीडीसीए की वेबसाइट पर होना चाहिए. किसी तरह के सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए."
रोहन के पिता अरुण जेटली भी 14 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं. रोहन ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने का फैसला किया और बुधवार को नामांकन भरा. उन्हें डीडीसीए के सभी समूहों से समर्थन हासिल है. अगर जरूरत पड़ी तो इस पद के लिए चुनाव 17-20 अक्टूबर के बीच होंगे.
डीडीसीए अपने प्रशासन के तरीके लिए मशहूर है और बीते कुछ वर्षों में यहां कई वित्तीय गड़बड़ियां उजागर हुई हैं. हाल ही में करोड़ों रुपए कानूनी कार्रवाई पर खत्म हुए हैं. लेकिन अभी तक किसी को भी इस मामले को लेकर सजा नहीं मिली है.
रोहन ने कहा, "पारदर्शिता सिर्फ वित्तीय समिति में नहीं होगी, इंफ्रस्ट्रक्चर और क्लब सुविधाएं में भी यह काफी जरूरी है. मैदान को लेकर भी. हम पैसा निवेश, फंड में रखेंगे. हमें इसे जरूरत पड़ने पर उपयोग में लेंगे क्योंकि इसे ऑडिटर्स भी मंजूरी दे देंगे. इसलिए देखते हैं कि यह कैसे काम करती है. मुझे लगता है कि कुछ फंड बीसीसीआई से भी आना है क्योंकि उसकी एजीएम नहीं हुई है."
वित्तीय मुद्दों के अलावा टीम के चयन में दखल और भ्रष्टाचार भी हाल के दिनों में उजागर हुआ है.
उन्होंने कहा, "टीम के चयन के लिए हम पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करेंगे. मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि मैं एक नई किताब लिखूंगा जिसमें वित्तीय लेन-देन के अलावा इसमें टीम के चयन की भी चर्चा होगी, चयन के पैमाने क्या होंगे और खिलाड़ियों का चयन कैसे किया जाएगा, यह सभी चीजें शामिल होंगी.
उन्होंने कहा, "पेशेवर क्रिकेटरों से अपील की जाएगी कि वह क्रिकेट संबंधी गतिविधियां देखें और अपना सुझाव दें. मुझे भरोसा है कि कुछ अच्छे लोग मदद करेंगे. अगर आपको क्रिकेट संबंधी गतिविधियों में सुधार चाहिए तो सिर्फ क्रिकेटर ही आपको सही सलाह दे सकत है- चाहे वो मौजूदा क्रिकेटर हों या पूर्व. चीजों को लेकर जांच होती रहेगी. एक अच्छा विजन डॉक्यूमेंट होगा जो लगभग सभी लोगों को संतुष्ट करेगा."
डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष पत्रकार रजत शर्मा थे जिन्होंने बाद में कई अधिकारियों के साथ मतभेदों चलते इस्तीफा दे दिया था.
रोहन ने कहा, "मेरे साथ यह समस्या नहीं है. डीडीसीए में आना मेरे परिवार को बढ़ाने के समान है और यह मेरे खून में है. जहां तक पहुंच की बात है तो मैं हर किसी के लिए उपलब्ध हूं. सदस्यों को चाहे किसी भी तरह की समस्या हो मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगा."
रोहन पेशे से एक वकील भी हैं. उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्हें अपने पेशे के लिए समय मिलेगा तो उन्होंने कहा, "यह ज्यादा समय लेने वाला नहीं है. समय समस्या नहीं है. इसी तरह प्रशासन चलता है. इसे चलाने का एक पेशेवर तरीका होता है. आपको इसे चलाने के लिए दोनों हाथों की जरूरत होती है."
रजत शर्मा के उलट रोहन को सभी का समर्थन हासिल है. यह एक जिम्मेदारी लेकर आता है और जिन्होंने उनको अपना समर्थन दिया है रोहन उनके लिए जिम्मेदार होंगे.
रोहन ने कहा, "जिम्मेदारी सवाल नहीं है. कुछ समस्याएं हैं और उन्हें सुलक्षा लिया जाएगा. शर्मा जी और विनोद तिहारा ने जो समस्या झेली हैं वो पहले भी थीं. उन्हें वो पूर्व प्रशासन से मिली थीं. लेकिन इसे में चिंता के तौर पर नहीं देखता. उनको सुलझा लिया जाएगा."
क्रिकेट प्रशासन का अनुभव का न होना रोहन के लिए परेशानी होगी?
इस पर रोहन ने कहा, "मैं कभी क्रिकेट प्रशासन में शामिल नहीं रहा, लेकिन मुझे इस बात को लेकर भरोसा है कि यह मुश्किल नहीं होगा. इसे करने के तरीके हैं. कुछ निश्चित गतिविधियों को लेकर पेशेवर तरीके अपनाने होंगे. यह लोढ़ा समिति की सिफारिशों में थी जिसमें सीइओ और सीएफओ के बारे में भी बताया गया. पेशेवर लोगों को शामिल किया जाएगा, जिस तरह किया जाना चाहिए."
उन्होंने कहा, "मैं क्रिकेट प्रशासन के सभी पहलूओं को समझता हूं. मैं जानता हूं कि क्रिकेट संघ को किस तरह से चलाया जाता है."