हैदराबाद : एशियाड में क्रिकेट की वापसी में सबसे बड़ी बाधा भारतीय क्रिकेट बोर्ड बन रहा है. ओलंपिक खेलों से जुड़े किसी भी टूर्नामेंट के लिए ये जरूरी है कि वे वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) के नियमों का पालन करे. आईसीसी वाडा के नियमों का पालन करती है, लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है. बीसीसीआई ने वाडा की भारतीय ईकाई नाडा( नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) के नियमों का पालन करने से साफ मना कर दिया है और दो टूक कह दिया है कि हम अपने खिलाड़ियों का कोई भी टेस्ट नाडा के द्वारा नहीं कराएंगे.
बीसीसीआई का कहना है कि क्योंकि हम कोई नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन नहीं हैं तो हम नाडा के नियमों को नहीं मानते और अपने खिलाड़ियों का टेस्ट नाडा से नहीं कराएंगे. आईसीसी बीसीसीआई को कई बार इस बात के लिए पत्र लिख चुकी है कि आप जल्दी अपने इस मसले का हल निकाल कर किसी नतीजे पर पंहुचे.
अब अगर क्रिकेट को एशियन गेम्स में एक बार फिर से शामिल किया गया है तो भारतीय टीम को भी वाडा के नियमों का पालन करना पड़ेगा और अपने खिलाड़ियों का डोप नाडा से कराना होगा. मीडिया में छपी रिपोर्टों के अनुसार वाडा 12 मई को होने वाली अपनी मीटिंग में इस बात पर फैसला ले सकती है कि आईसीसी वाडा के नियमों का अनुशरण करने वाली संस्था बनाए रखे या उस दायरे से बाहर कर दे.
हाल ही में नाडा की गलतियों का हवाला देते हुए बीसीसीआई ने लिखा था कि उन्होंने पांच एथलीटों के डोप टेस्ट को निगेटिव करार दिया था जिन्हें बाद में वाडा ने पॉजिटिव पाया.
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