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लॉकडाउन के कारण गांव में रहने को मजबूर अंपायर अनिल चौधरी, पेड़ पर चढ़कर फोन पर करनी पड़ रही है बात - आईसीसी पैनल

अनिल चौधरी ने कहा कि, 'मैं 16 मार्च को अपने दोनों बेटों के साथ गांव आ गया था. मैं काफी दिनों बाद गांव आया था इसलिए मैंने एक सप्ताह यहां बिताने का फैसला किया, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन हो गया और मैं उसका पूरी तरह से पालन कर रहा हूं जबकि मेरी मां और पत्नी दिल्ली में हैं.'

Anil Chaudhary
Anil Chaudhary
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Published : Apr 10, 2020, 11:12 PM IST

Updated : Apr 11, 2020, 10:47 AM IST

नई दिल्ली: क्रिकेट के मैदान पर जिन लोगों ने उन्हें बेहद शांतचित होकर चौके, छक्के और आउट का इशारा करते हुए देखा होगा, उन्हें आईसीसी पैनल के अंपायर अनिल चौधरी का कभी पेड़ पर तो कभी छत पर चढ़कर मोबाइल लहराते हुए नया रूप निश्चित तौर पर चौंकाने वाला लगेगा.

अनिल चौधरी
अनिल चौधरी

भारत के शीर्ष क्रिकेट अंपायरों में शामिल चौधरी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के दिनों में अपने गांव में रहने के लिए मजबूर है जहां खराब नेटवर्क के कारण उनका खुले खेतों में भी गुगली और बाउंसर से सामना हो रहा है.

Anil, ICC
पेड़ पर बैठकर फोन से बात करते हुए अंपायर अनिल चौधरी

चौधरी को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग करनी थी लेकिन सीरीज बीच में ही रोक दिए जाने के कारण वह 16 मार्च को उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित अपने गांव डांगरोल आ गए थे.

चौधरी ने कहा, "मैं 16 मार्च को अपने दोनों बेटों के साथ गांव आ गया था. मैं काफी दिनों बाद गांव आया था इसलिए मैंने एक सप्ताह यहां बिताने का फैसला किया, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन हो गया और मैं उसका पूरी तरह से पालन कर रहा हूं जबकि मेरी मां और पत्नी दिल्ली में हैं."

अब तक 20 वनडे और 28 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग कर चुके चौधरी गांव में लोगों को सामाजिक दूरी बनाए रखने और कोविड-19 के प्रति जागरूक करने में लगे हैं लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण वह विभिन्न कार्यक्रमों में आनलाइन हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं जिनमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की कार्यशालाएं भी शामिल हैं.

अनिल चौधरी
अनिल चौधरी

उन्होंने कहा, "गांव में नेटवर्क सबसे बड़ा मसला है। हम किसी से बात तक नहीं कर सकते या नेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसके लिये उन्हें गांव से बाहर या किसी खास छत या पेड़ पर जाना होता है. वहां भी हमेशा नेटवर्क नहीं रहता है."

आईसीसी पैनल के अंपायर ने स्वयं कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली हैं जिनमें वह पेड़ पर चढ़कर फोन करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

चौधरी ने कहा, "अभी सबसे बड़ी समस्या बच्चों की ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर है. दिल्ली, रूड़की, देहरादून आदि शहरों में पढ़ने वाले लड़के ऑनलाइन कक्षाएं नहीं ले पा रहे हैं. मेरा बेटा हिन्दू कॉलेज में पढ़ता है. उसकी कक्षाएं चल रही हैं लेकिन नेटवर्क नहीं होने से वह मजबूर है."

उन्होंने कहा, "पिछले एक साल से यह मसला बना हुआ है लेकिन लॉकडाउन के कारण इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. यह स्थिति तब है जबकि दिल्ली से मेरा गांव केवल 85 किलोमीटर दूर है."

चौधरी ने बताया कि इस संबंध में उनके अनुरोध पर गांव की प्रधान ने शामली की जिलाधिकारी जसजीत कौर को पत्र भी लिखा लेकिन अब भी उन्हें उस पर कार्रवाई का इंतजार है. उन्होंने कहा, ‘हमने दस दिन पहले पत्र भेजा था लेकिन अभी तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है.'

चौधरी ने हालांकि इस दौरान लोगों को कोविड-19 के प्रति जागरूक भी किया. उन्होंने कहा, "मैंने लोगों को एक साथ इकट्ठा नहीं होने, ताश नहीं खेलने, लगातार साबुन से हाथ धोने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने मेरी बात पर अमल भी किया. मैंने उन्हें कुछ मास्क भी बांटे. मेरे गांव वाले अब सामाजिक दूरी बनाए रखने का पूरा पालन कर रहे हैं."

नई दिल्ली: क्रिकेट के मैदान पर जिन लोगों ने उन्हें बेहद शांतचित होकर चौके, छक्के और आउट का इशारा करते हुए देखा होगा, उन्हें आईसीसी पैनल के अंपायर अनिल चौधरी का कभी पेड़ पर तो कभी छत पर चढ़कर मोबाइल लहराते हुए नया रूप निश्चित तौर पर चौंकाने वाला लगेगा.

अनिल चौधरी
अनिल चौधरी

भारत के शीर्ष क्रिकेट अंपायरों में शामिल चौधरी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के दिनों में अपने गांव में रहने के लिए मजबूर है जहां खराब नेटवर्क के कारण उनका खुले खेतों में भी गुगली और बाउंसर से सामना हो रहा है.

Anil, ICC
पेड़ पर बैठकर फोन से बात करते हुए अंपायर अनिल चौधरी

चौधरी को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग करनी थी लेकिन सीरीज बीच में ही रोक दिए जाने के कारण वह 16 मार्च को उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित अपने गांव डांगरोल आ गए थे.

चौधरी ने कहा, "मैं 16 मार्च को अपने दोनों बेटों के साथ गांव आ गया था. मैं काफी दिनों बाद गांव आया था इसलिए मैंने एक सप्ताह यहां बिताने का फैसला किया, लेकिन इसके बाद लॉकडाउन हो गया और मैं उसका पूरी तरह से पालन कर रहा हूं जबकि मेरी मां और पत्नी दिल्ली में हैं."

अब तक 20 वनडे और 28 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग कर चुके चौधरी गांव में लोगों को सामाजिक दूरी बनाए रखने और कोविड-19 के प्रति जागरूक करने में लगे हैं लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण वह विभिन्न कार्यक्रमों में आनलाइन हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं जिनमें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की कार्यशालाएं भी शामिल हैं.

अनिल चौधरी
अनिल चौधरी

उन्होंने कहा, "गांव में नेटवर्क सबसे बड़ा मसला है। हम किसी से बात तक नहीं कर सकते या नेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसके लिये उन्हें गांव से बाहर या किसी खास छत या पेड़ पर जाना होता है. वहां भी हमेशा नेटवर्क नहीं रहता है."

आईसीसी पैनल के अंपायर ने स्वयं कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली हैं जिनमें वह पेड़ पर चढ़कर फोन करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

चौधरी ने कहा, "अभी सबसे बड़ी समस्या बच्चों की ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर है. दिल्ली, रूड़की, देहरादून आदि शहरों में पढ़ने वाले लड़के ऑनलाइन कक्षाएं नहीं ले पा रहे हैं. मेरा बेटा हिन्दू कॉलेज में पढ़ता है. उसकी कक्षाएं चल रही हैं लेकिन नेटवर्क नहीं होने से वह मजबूर है."

उन्होंने कहा, "पिछले एक साल से यह मसला बना हुआ है लेकिन लॉकडाउन के कारण इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. यह स्थिति तब है जबकि दिल्ली से मेरा गांव केवल 85 किलोमीटर दूर है."

चौधरी ने बताया कि इस संबंध में उनके अनुरोध पर गांव की प्रधान ने शामली की जिलाधिकारी जसजीत कौर को पत्र भी लिखा लेकिन अब भी उन्हें उस पर कार्रवाई का इंतजार है. उन्होंने कहा, ‘हमने दस दिन पहले पत्र भेजा था लेकिन अभी तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है.'

चौधरी ने हालांकि इस दौरान लोगों को कोविड-19 के प्रति जागरूक भी किया. उन्होंने कहा, "मैंने लोगों को एक साथ इकट्ठा नहीं होने, ताश नहीं खेलने, लगातार साबुन से हाथ धोने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने मेरी बात पर अमल भी किया. मैंने उन्हें कुछ मास्क भी बांटे. मेरे गांव वाले अब सामाजिक दूरी बनाए रखने का पूरा पालन कर रहे हैं."

Last Updated : Apr 11, 2020, 10:47 AM IST
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