नई दिल्ली: अगर इस साल इंडियन प्रमीयिर लीग (आईपीएल) का आयोजन नहीं होता तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को करीब 4000 करोड़ तक का नुकसान उठाना पड़ सकता था.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई को 3300 करोड़ रुपये मीडिया अधिकारों से मिलने वाले थे. वहीं, 440 करोड़ रुपये आईपीएल के आधिकारिक स्पॉन्सर से मिलने थे जबकि बाकि के 170 करोड़ रुपये अन्य स्पॉन्सर से मिलने थे.
इसमें मीडिया अधिकार धारक पहले ही करीब 2000 करोड़ रुपये एडवांस दे चुका है. ऐसे में आइपीएल का आयोजन नहीं करने का मतलब ये होता कि या तो बोर्ड को ये पैसे वापस देने होते या एक साल के लिए सभी अनुबंधों का विस्तार करना होता. फिलहाल दोनों ही विकल्प बोर्ड के पक्ष में नहीं हैं.
इसमें कोई शक नहीं है कि बीसीसीआई हर हाल में आईपीएल का आयोजन कराना चाहता है. पहले आईपीएल का आयोजन 29 मार्च से होना था लेकिन कोरोनावायरस के कारण इसे स्थगित कर दिया गया.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अक्टूबर नवंबर में होने वाली टी20 विश्व कप को स्थगित करने के फैसले के बाद आईपीएल का आयोजन संभव हो गया है.
ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि आईपीएल 26 सितंबर से शुरू होगा लेकिन बीसीसीआई इसे एक सप्ताह पहले शुरू करना चाहता है ताकि भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर असर न पड़े.
आईपीएल संचालन परिषद की अगले हफ्ते बैठक होगी जिसमें इसे अंतिम रूप देने के साथ कार्यक्रम को मंजूरी दी जाएगी. पता चला है कि बीसीसीआई ने अपनी योजना से फ्रेंचाइजी को अवगत करा दिया है.
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "पूरी संभावना है कि आईपीएल 19 सितंबर (शनिवार) को शुरू होगा और फाइनल आठ नवंबर (रविवार) को खेला जाएगा. इस तरह से ये 51 दिन तक चलेगा और ये फ्रेंचाइजी और प्रसारकों के अलावा अन्य हितधारकों के अनुकूल होगा."