नई दिल्ली: बीसीसीआई को लंबे समय तक नानुकुर के बाद आखिरकार इस महीने नाडा के दायरे में आने के लिये रजामंदी जतानी पड़ी जिससे उसके राष्ट्रीय खेल महासंघ बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया. यह पूछने पर कि खेलमंत्री के तौर पर क्या यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही, उन्होंने हां में जवाब दिया.
उन्होंने मीडिया को बताया कि, "निश्चित तौर पर बीसीसीआई क्रिकेट की संचालन ईकाई है और क्रिकेट भी खेल है. देश में खेल के तमाम कानून और प्रावधान उस पर लागू होते हैं. मेरा मानना है कि देश में हर खेल और हर खिलाड़ी बराबर है."
उन्होंने कहा, "यह स्वाभाविक प्रक्रिया है और अच्छा है कि ऐसा हो गया. यह अजीब सा लगता कि सिर्फ एक खेल नियमों के दायरे से बाहर है."
खेलमंत्री ने यह भी कहा कि जल्दी ही बीसीसीआई आरटीआई के दायरे में भी आ जायेगा.
उन्होंने कहा, "सरकार का पैसा जनता का पैसा है. बीसीसीआई के पास पैसा कहां से आ रहा है. बीसीसीआई की यह दलील बेमानी है कि वह सरकार से अनुदान नहीं लेता. लोग टीवी देखते हैं, टिकट खरीदते हैं , विज्ञापन का पैसा , यह सब जनता का पैसा है."
उन्होंने कहा, "लोगों से ही पैसा मिलता है. लोगों का पैसा चाहे सरकार से ले या सीधे, बात एक ही है. हर संगठन को पारदर्शिता और जवाबदेही से काम करना चाहिए. क्रिकेट या किसी एक महासंघ की बात नहीं हो रही है."
रीजीजू ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय खेल आचार संहिता खेलों में सुशासन के लिये जरूरी है और सरकार जल्दी ही मजबूत आचार संहिता लेकर आयेगी.