नई दिल्ली: बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के जिलों की बैठक के चेयरमैन ने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली से अपील की है कि वह 17 जुलाई को होने वाली बोर्ड की शीर्ष परिषद की बैठक में राज्य एसोसिएशन का मुद्दा उठाएं.
जिला एसोसिएशनों की इस बैठक के चेरयमैन मनोनीत किए गए प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि बीसीए के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी गैर-संवैधानिक तरीके से और तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं और इन्होंने बीसीए चुनाव फर्जी हलफनामे के आधार पर लड़ा था.
पटेल ने पत्र में लिखा है, "मैं बड़ी विनम्रता से आपके सामने बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी की गैर-संवैधानिक और तानाशाही तरीके से काम करने की प्रवृति को सामने लाना चाहता हूं, इस उम्मीद से कि आपकी तरफ से कोई सकारात्मक कदम उठाया जाएगा ताकि लोढ़ा समिति कि सिफारिशों का पालन कर चुनाव के द्वारा जिस मकसद से बिहार क्रिकेट संघ, पटना का गठन किया गया था, वो पूरा हो सके."
अपने पत्र में पटेल ने कई तथ्यों को जगह दी है. उन्होंने कहा है कि सितंबर-2019 में बीसीए की चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के कुछ महीने बाद संयुक्त सचिव कुमार अरविंद के चुनाव को रद करने के लिए पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई और उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने बीसीए के चुनाव अधिकारी को अंधरे में रखते हुए झूठा एफिडेविट पेश किया.
उन्होंने कहा कि तिवारी ने गलत तरीके से नीलू अग्रवाल को बीसीए का लोकपाल गठित किया. उनकी नियुक्ति पर बाद में उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी.
उन्होंने लिखा, "बीसीए के अध्यक्ष ने लोकपाल को अपने पक्ष में लेते हुए उनसे बीसीए के चुने गए सचिव की ताकतों को कम करने और बैंक खातों में उन्हें अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता से हटाने के लिए कहा."
पटेल ने कहा है कि तिवारी ने कुछ महीनों के भीतर ही वार्षिक आम बैठक और विशेष आम बैठक बुलाई जो बीसीए के संविधान के खिलाफ है और इन बैठकों में उन्होंने कुछ जिला क्रिकेट समितियां बनाई जो लोढ़ा समिति की सिफारिशों के खिलाफ काम कर रही थीं.
पटेल ने कहा कि बीसीए के अध्यक्ष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत गलत एफिडेविट जमा करने संबंधी केस दर्ज हैं. उन्होंने गांगुली से इन सभी मामलों में एक कानूनी टीम का गठन करने का आग्रह किया.