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BCCI ने गांगुली का लिया पक्ष, कहा- 'हितों के टकराव का मामला आसानी से सुलझाया जा सकता है'

बीसीसीआई ने हितों के टकराव के मामले में पूर्व कप्तान गांगुली का पक्ष लिया है.बीसीसीआई ने कहा कि, 'पूर्व भारतीय कप्तान का हितों का टकराव का मामला ऐसे दायरे में आता है जिसे पूर्ण खुलासा करने के बाद आसानी से सुलझाया जा सकता है.'

सौरव गांगुली
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Published : Apr 20, 2019, 11:46 PM IST

नई दिल्ली: बीसीसीआई लोकपाल न्यायमूर्ति डी के जैन ने सौरव गांगुली और तीनों शिकायतकर्ताओं से लिखित दलील देने के लिये कहा है हालांकि बीसीसीआई ने हितों के टकराव के इस मामले में पूर्व कप्तान का पक्ष लिया है.

बंगाल के तीन क्रिकेट प्रशंसकों भास्वती शांतुआ, अभिजीत मुखर्जी और रंजीत सील ने आरोप लगाया था कि गांगुली की बंगाल क्रिकेट संघ और आईपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार की भूमिका सीधे तौर पर हितों का टकराव का मामला है.

सौरव गांगुली
सौरव गांगुली

बीसीसीआई ने कहा कि पूर्व भारतीय कप्तान का हितों का टकराव का मामला ऐसे दायरे में आता है जिसे पूर्ण खुलासा करने के बाद आसानी से सुलझाया जा सकता है. पता चला है कि प्रशासकों की समिति नहीं चाहती कि गांगुली के पूर्ण खुलासा करने पर उन पर किसी तरह का जुर्माना लगाया जाए.

बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, "गांगुली अब भी क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं लेकिन इस समिति की चार साल में केवल दो बार बैठक हुई है."

यह भी पढ़ें: BCCI लोकपाल ने सौरव गांगुली से मांगा लिखित जवाब

उन्होंने कहा, "हम उन्हें एक क्रिकेटर के रूप में पेशेवर गतिविधियों से कैसे रोक सकते हैं. लोकपाल को फैसला करने को दो. यह मामला बिना किसी परेशानी के सुलझाया जा सकता है. अगर पूर्ण खुलासा कर दिया जाता है तो बीसीसीआई को उनके तीनों पदों पर रहने पर कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर लोकपाल इससे विपरीत सोचते हैं तो उन्हें तीन में से दो पदों से इस्तीफा देना पड़ेगा." लेकिन अगर गांगुली सीएसी से इस्तीफा देते हैं तो इसके दो अन्य सदस्यों सचिन तेंदुलकर (मुंबई इंडियन्स के मेंटर) और वीवीएस लक्ष्मण (सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर) को भी पद छोड़ना पड़ेगा.

गांगुली ने अपने बयान में कहा कि वह आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ स्वैच्छिक भूमिका निभा रहे हैं.

सूत्रों ने कहा, "सौरव ने अपने मौखिक बयान में लोकपाल को बताया कि वह दिल्ली कैपिटल्स से सलाहकार के तौर पर एक भी पैसा नहीं ले रहे हैं हालांकि उनका नाम आधिकारिक टीम सूची में है."

लोकपाल ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट बिश्वनाथ चटर्जी और शिकायतकर्ता रंजीत सील के अलावा गांगुली की दलीलें सुनी.

न्यायमूर्ति जैन ने बैठक के बाद कहा, "मैंने दोनों पक्षों और बीसीसीआई की दलीलों को सुना और जल्द ही अपना आदेश पारित करूंगा, हालांकि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के हिसाब से सुनवाई समाप्त हो गयी है, दोनों पक्ष अब अंतिम फैसला सुनाये जाने से पहले लिखित दलील दे सकते हैं."

नई दिल्ली: बीसीसीआई लोकपाल न्यायमूर्ति डी के जैन ने सौरव गांगुली और तीनों शिकायतकर्ताओं से लिखित दलील देने के लिये कहा है हालांकि बीसीसीआई ने हितों के टकराव के इस मामले में पूर्व कप्तान का पक्ष लिया है.

बंगाल के तीन क्रिकेट प्रशंसकों भास्वती शांतुआ, अभिजीत मुखर्जी और रंजीत सील ने आरोप लगाया था कि गांगुली की बंगाल क्रिकेट संघ और आईपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार की भूमिका सीधे तौर पर हितों का टकराव का मामला है.

सौरव गांगुली
सौरव गांगुली

बीसीसीआई ने कहा कि पूर्व भारतीय कप्तान का हितों का टकराव का मामला ऐसे दायरे में आता है जिसे पूर्ण खुलासा करने के बाद आसानी से सुलझाया जा सकता है. पता चला है कि प्रशासकों की समिति नहीं चाहती कि गांगुली के पूर्ण खुलासा करने पर उन पर किसी तरह का जुर्माना लगाया जाए.

बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, "गांगुली अब भी क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं लेकिन इस समिति की चार साल में केवल दो बार बैठक हुई है."

यह भी पढ़ें: BCCI लोकपाल ने सौरव गांगुली से मांगा लिखित जवाब

उन्होंने कहा, "हम उन्हें एक क्रिकेटर के रूप में पेशेवर गतिविधियों से कैसे रोक सकते हैं. लोकपाल को फैसला करने को दो. यह मामला बिना किसी परेशानी के सुलझाया जा सकता है. अगर पूर्ण खुलासा कर दिया जाता है तो बीसीसीआई को उनके तीनों पदों पर रहने पर कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर लोकपाल इससे विपरीत सोचते हैं तो उन्हें तीन में से दो पदों से इस्तीफा देना पड़ेगा." लेकिन अगर गांगुली सीएसी से इस्तीफा देते हैं तो इसके दो अन्य सदस्यों सचिन तेंदुलकर (मुंबई इंडियन्स के मेंटर) और वीवीएस लक्ष्मण (सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर) को भी पद छोड़ना पड़ेगा.

गांगुली ने अपने बयान में कहा कि वह आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ स्वैच्छिक भूमिका निभा रहे हैं.

सूत्रों ने कहा, "सौरव ने अपने मौखिक बयान में लोकपाल को बताया कि वह दिल्ली कैपिटल्स से सलाहकार के तौर पर एक भी पैसा नहीं ले रहे हैं हालांकि उनका नाम आधिकारिक टीम सूची में है."

लोकपाल ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट बिश्वनाथ चटर्जी और शिकायतकर्ता रंजीत सील के अलावा गांगुली की दलीलें सुनी.

न्यायमूर्ति जैन ने बैठक के बाद कहा, "मैंने दोनों पक्षों और बीसीसीआई की दलीलों को सुना और जल्द ही अपना आदेश पारित करूंगा, हालांकि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के हिसाब से सुनवाई समाप्त हो गयी है, दोनों पक्ष अब अंतिम फैसला सुनाये जाने से पहले लिखित दलील दे सकते हैं."

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नई दिल्ली: बीसीसीआई लोकपाल न्यायमूर्ति डी के जैन ने सौरव गांगुली और तीनों शिकायतकर्ताओं से लिखित दलील देने के लिये कहा है हालांकि बीसीसीआई ने हितों के टकराव के इस मामले में पूर्व कप्तान का पक्ष लिया है.



बंगाल के तीन क्रिकेट प्रशंसकों भास्वती शांतुआ, अभिजीत मुखर्जी और रंजीत सील ने आरोप लगाया था कि गांगुली की बंगाल क्रिकेट संघ और आईपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार की भूमिका सीधे तौर पर हितों का टकराव का मामला है.



बीसीसीआई ने कहा कि पूर्व भारतीय कप्तान का हितों का टकराव का मामला ऐसे दायरे में आता है जिसे पूर्ण खुलासा करने के बाद आसानी से सुलझाया जा सकता है. पता चला है कि प्रशासकों की समिति नहीं चाहती कि गांगुली के पूर्ण खुलासा करने पर उन पर किसी तरह का जुर्माना लगाया जाए.



बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, "गांगुली अब भी क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य हैं लेकिन इस समिति की चार साल में केवल दो बार बैठक हुई है."



उन्होंने कहा, "हम उन्हें एक क्रिकेटर के रूप में पेशेवर गतिविधियों से कैसे रोक सकते हैं. लोकपाल को फैसला करने को दो. यह मामला बिना किसी परेशानी के सुलझाया जा सकता है. अगर पूर्ण खुलासा कर दिया जाता है तो बीसीसीआई को उनके तीनों पदों पर रहने पर कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर लोकपाल इससे विपरीत सोचते हैं तो उन्हें तीन में से दो पदों से इस्तीफा देना पड़ेगा." लेकिन अगर गांगुली सीएसी से इस्तीफा देते हैं तो इसके दो अन्य सदस्यों सचिन तेंदुलकर (मुंबई इंडियन्स के मेंटर) और वीवीएस लक्ष्मण (सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर) को भी पद छोड़ना पड़ेगा.



गांगुली ने अपने बयान में कहा कि वह आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ स्वैच्छिक भूमिका निभा रहे हैं.



सूत्रों ने कहा, "सौरव ने अपने मौखिक बयान में लोकपाल को बताया कि वह दिल्ली कैपिटल्स से सलाहकार के तौर पर एक भी पैसा नहीं ले रहे हैं हालांकि उनका नाम आधिकारिक टीम सूची में है."

लोकपाल ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट बिश्वनाथ चटर्जी और शिकायतकर्ता रंजीत सील के अलावा गांगुली की दलीलें सुनी.



न्यायमूर्ति जैन ने बैठक के बाद कहा, "मैंने दोनों पक्षों और बीसीसीआई की दलीलों को सुना और जल्द ही अपना आदेश पारित करूंगा, हालांकि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के हिसाब से सुनवाई समाप्त हो गयी है, दोनों पक्ष अब अंतिम फैसला सुनाये जाने से पहले लिखित दलील दे सकते हैं."




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