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गांगुली के बिग बॉस बनते ही खत्म हुआ COA का कार्यकाल, श्रीनिवासन ने विनोद राय से ली चुटकी

(ये लेख वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर लूथरा द्वारा लिखा गया है. ईटीवी भारत इस लेख से जुड़े तथ्यों की जिम्मेदारी नहीं लेता है.) सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद बीसीसीआई मुख्यालय में विनोद राय की श्रीनिवासन से मुलाकात हुई. जहां श्रीनिवासन ने राय से चुटकी ली.

Srinivasan and Vinod rai
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Published : Oct 24, 2019, 7:44 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 6:47 PM IST

मुम्बई : सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने गुरुवार को बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. इस बात से सीओए सदस्य विनोद राय और लेफ्टिनेंट जनरल रविंद्र थोडगे के मुकाबले डायना इडुल्जी काफी खुश नजर आ रही थी.

देखिए वीडियो



हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल थोडगे सीओए में चल रही हलचलों से बेपरवाह नजर आ रहे थे, जिसके चलते पूर्व आईसीसी अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और विनोद राय सीधा एक दूसरे के खिलाफ दिखे. दोनों के बीच की ये खटास उस वक्त भी उन्हें शर्मिंदा कर गई जब पिछले 3 सालों से भारतीय क्रिकेट पर राज करने के बाद उन्हें बीसीसीआई ऑफिस छोड़ कर जाना पड़ा.

तीनों सीओए मेम्बर्स ने ऑफिस छोड़ा

विनाद राय
विनाद राय



2013 के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) स्पॉट फिक्सिंग कांड के बाद शीर्ष अदालत द्वारा हटाए जाने के बाद, तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के कद्दावर सदस्य एन श्रीनिवासन लगभग चार सालों के अंतराल के बाद क्रिकेट मुख्यालय में वापसी की, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उस दिन जैसे ही वो बीसीसीआई के दफ्तर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की दूसरी मंजिल की लिफ्ट से बाहर आए तब उन्होंने आधिकारिक तौर पर नई बीसीसीआई टीम के कार्यभार संभालने के बाद तीनों सीओए मेम्बर्स ने ऑफिस छोड़ दिया.



ये महज एक संयोग था कि 74 वर्षीय श्रीनिवासन को नए संविधान के अनुसार बीसीसीआई में कोई आधिकारिक पद लेने के लिए जीवन भर के लिए बैन किया गया था और उस दिन भी श्रीनिवासन मुम्बई ऑफिस से बाहर जा रहे थे और नवनिर्वाचित सीओए विनोद राय अंदर आ रहे थे.

एडुल्जी कार्यकाल के दौरान विनोद राय से कई मामलों में अलग राय रखती थीं

डायना एडूल्जी
डायना एडूल्जी



बता दें कि सौरव के प्रेसिडेंट बनने के बाद श्रीनिवासन ने विनोद राय से हाथ मिलाते हुए कहा, "आपने बीसीसीआई को बर्बाद कर दिया" हालांकि राय ने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जिन लोगों ने पिछले चार सालों में बीसीसीआई में चल रहे हालातों को जाना था वो श्रीनिवासन के इस रवैये को बखूबी समझ सकते हैं.



दूसरी ओर, पूर्व भारतीय महिला टीम की कप्तान डायना एडुल्जी इस सब बातों से बेफिक्र दिखीं. डायना बीसीसीआई ऑफिस से बाहर आते वक्त सभी कर्मचारियों से मिल रही थी. डायना ऑफिस में कर्मचारियों से बात करते दिखी जहां उन्होंने कहा कि “मैं बहुत खुश हूं कि मुझे अब हर दिन कई सारे ईमेल चेक नहीं करने पड़ेंगे,”



हालाकिं ये नहीं भूलना चाहिए कि एडुल्जी एकमात्र ऐसी व्यक्ति थीं जो तीन सालों के लंबे कार्यकाल के दौरान विनोद राय से कई मामलों में अलग राय रखती थीं फिर चाहे वो सीईओ राहुल जौहरी पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र समिति की नियुक्ति ही क्यों न हो. वो राय से असहमति जताने में पीछे नहीं हटती थी.



आईसीसी के लिए श्रीनिवासन को ग्रीन सिग्नल ?

श्रीनिवासन
श्रीनिवासन



बीसीसीआई मुख्यालय में चल रहे हालातों के अनुसार श्रीनिवासन को आईसीसी में भारत के प्रतिनिधि के रूप में देखा जा सकता है. ये देखा गया था कि श्रीनिवासन के आईसीसी अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान "बिग थ्री" मॉडल में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को विश्व क्रिकेट में स्वीकार किया गया था. सूत्रों के अनुसार, इन तीनों देशों के बीच कुल राजस्व का लगभग 80 प्रतिशत बटना था. यदि इसे लागू किया जाता तो बीसीसीआई का विश्व क्रिकेट में 22 प्रतिशत का हिस्सा होता लेकिन श्रीनिवासन की जगह आईसीसी के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर ने इस पूरे प्रस्ताव को ही रद्द कर दिया.

यही कारण है कि श्रीनिवासन को सीओए से उनके कार्यकाल के दौरान हितों की रक्षा नहीं करने के लिए दोषी ठहराया था जिसके कारण बीसीसीआई को काफी नुकसान उठाना पड़ा था.

श्रीनिवासन ने अधिकारियों से कहा कि मेरे प्रस्ताव को सबने माना



सूत्रों के हवाले से ये पता चला है कि बीसीसीआई के सदस्यों ने अनौपचारिक रूप से बुधवार को जनरल बोर्ड मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की थी. श्रीनिवासन अधिकारियों से कहते नजर आए, 'भारत का आईसीसी में एक बड़ा शेयर क्यों नहीं होना चाहिए". मैं जब भारत को राष्ट्रों की समिति में उचित मान्यता दिलाने के लिए आईसीसी के सामने गया तब मेरे इस प्रस्ताव को सबने माना लेकिन दुर्भाग्य से बाद में आए लोगों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. आप भारत से कुछ भी स्थायी रूप से नहीं ले सकते क्योंकि आपको ये मानना होगा कि भारत सचमुच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में राजस्व के रूप में सबसे बड़ा भागीदार है. भारत विश्व क्रिकेट को नियंत्रित कर रहा है इसलिए, मुझे चिंता नहीं है इसमें समय तो लग सकता है, लेकिन हमें आखिर में हमारा हक मिलेगा."

गांगुली ने कहा

सौरव गांगुली
सौरव गांगुली



इस बीच, बीसीसीआई के नए अध्यक्ष गांगुली प्रेस कॉनफ्रेंस में आईसीसी से राजस्व मामले में श्रीनिवासन की बात से सहमत नजर आए. गांगुली ने कहा, “आईसीसी का ये मामला सभी के लिए जानना महत्वपूर्ण है. बीसीसीआई को आने वाले पांच सालों में आईसीसी से 372 मिलियन डॉलर मिलने हैं क्योंकि हमे अभी चैम्पियंस ट्रॉफी की मेजबानी करनी हैं. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि हमें हमारा हक मिले. हम आईसीसी के साथ काम करेंगे और इसे आगे बढ़ाएंगे."

ये अलग बात है कि बीसीसीआई अध्यक्ष ने आईसीसी के लिए बीसीसीआई के प्रतिनिधि के बारे में अपनी पसंद को सार्वजनिक करने से दूर रहना सही समझा!

(ये लेख वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर लूथरा द्वारा लिखा गया है. ईटीवी भारत इस लेख से जुड़े तथ्यों की जिम्मेदारी नहीं लेता है.)

मुम्बई : सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने गुरुवार को बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. इस बात से सीओए सदस्य विनोद राय और लेफ्टिनेंट जनरल रविंद्र थोडगे के मुकाबले डायना इडुल्जी काफी खुश नजर आ रही थी.

देखिए वीडियो



हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल थोडगे सीओए में चल रही हलचलों से बेपरवाह नजर आ रहे थे, जिसके चलते पूर्व आईसीसी अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और विनोद राय सीधा एक दूसरे के खिलाफ दिखे. दोनों के बीच की ये खटास उस वक्त भी उन्हें शर्मिंदा कर गई जब पिछले 3 सालों से भारतीय क्रिकेट पर राज करने के बाद उन्हें बीसीसीआई ऑफिस छोड़ कर जाना पड़ा.

तीनों सीओए मेम्बर्स ने ऑफिस छोड़ा

विनाद राय
विनाद राय



2013 के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) स्पॉट फिक्सिंग कांड के बाद शीर्ष अदालत द्वारा हटाए जाने के बाद, तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के कद्दावर सदस्य एन श्रीनिवासन लगभग चार सालों के अंतराल के बाद क्रिकेट मुख्यालय में वापसी की, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उस दिन जैसे ही वो बीसीसीआई के दफ्तर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की दूसरी मंजिल की लिफ्ट से बाहर आए तब उन्होंने आधिकारिक तौर पर नई बीसीसीआई टीम के कार्यभार संभालने के बाद तीनों सीओए मेम्बर्स ने ऑफिस छोड़ दिया.



ये महज एक संयोग था कि 74 वर्षीय श्रीनिवासन को नए संविधान के अनुसार बीसीसीआई में कोई आधिकारिक पद लेने के लिए जीवन भर के लिए बैन किया गया था और उस दिन भी श्रीनिवासन मुम्बई ऑफिस से बाहर जा रहे थे और नवनिर्वाचित सीओए विनोद राय अंदर आ रहे थे.

एडुल्जी कार्यकाल के दौरान विनोद राय से कई मामलों में अलग राय रखती थीं

डायना एडूल्जी
डायना एडूल्जी



बता दें कि सौरव के प्रेसिडेंट बनने के बाद श्रीनिवासन ने विनोद राय से हाथ मिलाते हुए कहा, "आपने बीसीसीआई को बर्बाद कर दिया" हालांकि राय ने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जिन लोगों ने पिछले चार सालों में बीसीसीआई में चल रहे हालातों को जाना था वो श्रीनिवासन के इस रवैये को बखूबी समझ सकते हैं.



दूसरी ओर, पूर्व भारतीय महिला टीम की कप्तान डायना एडुल्जी इस सब बातों से बेफिक्र दिखीं. डायना बीसीसीआई ऑफिस से बाहर आते वक्त सभी कर्मचारियों से मिल रही थी. डायना ऑफिस में कर्मचारियों से बात करते दिखी जहां उन्होंने कहा कि “मैं बहुत खुश हूं कि मुझे अब हर दिन कई सारे ईमेल चेक नहीं करने पड़ेंगे,”



हालाकिं ये नहीं भूलना चाहिए कि एडुल्जी एकमात्र ऐसी व्यक्ति थीं जो तीन सालों के लंबे कार्यकाल के दौरान विनोद राय से कई मामलों में अलग राय रखती थीं फिर चाहे वो सीईओ राहुल जौहरी पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र समिति की नियुक्ति ही क्यों न हो. वो राय से असहमति जताने में पीछे नहीं हटती थी.



आईसीसी के लिए श्रीनिवासन को ग्रीन सिग्नल ?

श्रीनिवासन
श्रीनिवासन



बीसीसीआई मुख्यालय में चल रहे हालातों के अनुसार श्रीनिवासन को आईसीसी में भारत के प्रतिनिधि के रूप में देखा जा सकता है. ये देखा गया था कि श्रीनिवासन के आईसीसी अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान "बिग थ्री" मॉडल में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को विश्व क्रिकेट में स्वीकार किया गया था. सूत्रों के अनुसार, इन तीनों देशों के बीच कुल राजस्व का लगभग 80 प्रतिशत बटना था. यदि इसे लागू किया जाता तो बीसीसीआई का विश्व क्रिकेट में 22 प्रतिशत का हिस्सा होता लेकिन श्रीनिवासन की जगह आईसीसी के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर ने इस पूरे प्रस्ताव को ही रद्द कर दिया.

यही कारण है कि श्रीनिवासन को सीओए से उनके कार्यकाल के दौरान हितों की रक्षा नहीं करने के लिए दोषी ठहराया था जिसके कारण बीसीसीआई को काफी नुकसान उठाना पड़ा था.

श्रीनिवासन ने अधिकारियों से कहा कि मेरे प्रस्ताव को सबने माना



सूत्रों के हवाले से ये पता चला है कि बीसीसीआई के सदस्यों ने अनौपचारिक रूप से बुधवार को जनरल बोर्ड मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की थी. श्रीनिवासन अधिकारियों से कहते नजर आए, 'भारत का आईसीसी में एक बड़ा शेयर क्यों नहीं होना चाहिए". मैं जब भारत को राष्ट्रों की समिति में उचित मान्यता दिलाने के लिए आईसीसी के सामने गया तब मेरे इस प्रस्ताव को सबने माना लेकिन दुर्भाग्य से बाद में आए लोगों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. आप भारत से कुछ भी स्थायी रूप से नहीं ले सकते क्योंकि आपको ये मानना होगा कि भारत सचमुच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में राजस्व के रूप में सबसे बड़ा भागीदार है. भारत विश्व क्रिकेट को नियंत्रित कर रहा है इसलिए, मुझे चिंता नहीं है इसमें समय तो लग सकता है, लेकिन हमें आखिर में हमारा हक मिलेगा."

गांगुली ने कहा

सौरव गांगुली
सौरव गांगुली



इस बीच, बीसीसीआई के नए अध्यक्ष गांगुली प्रेस कॉनफ्रेंस में आईसीसी से राजस्व मामले में श्रीनिवासन की बात से सहमत नजर आए. गांगुली ने कहा, “आईसीसी का ये मामला सभी के लिए जानना महत्वपूर्ण है. बीसीसीआई को आने वाले पांच सालों में आईसीसी से 372 मिलियन डॉलर मिलने हैं क्योंकि हमे अभी चैम्पियंस ट्रॉफी की मेजबानी करनी हैं. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि हमें हमारा हक मिले. हम आईसीसी के साथ काम करेंगे और इसे आगे बढ़ाएंगे."

ये अलग बात है कि बीसीसीआई अध्यक्ष ने आईसीसी के लिए बीसीसीआई के प्रतिनिधि के बारे में अपनी पसंद को सार्वजनिक करने से दूर रहना सही समझा!

(ये लेख वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर लूथरा द्वारा लिखा गया है. ईटीवी भारत इस लेख से जुड़े तथ्यों की जिम्मेदारी नहीं लेता है.)

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गांगुली के बिग बॉस बनते ही खत्म हुआ COA का कार्यकाल, श्रीनिवासन ने विनोद राय से ली चुटकी 





सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने गुरुवार को बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. इस बात से सीओए सदस्य विनोद राय और लेफ्टिनेंट जनरल रविंद्र थोडगे के मुकाबले डायना एडुल्जी काफी खुश नजर आ रही थी. 

हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल थोडगे सीओए में चल रही हलचलों से बेपरवाह नजर आ रहे थे, जिसके चलते पूर्व आईसीसी अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और विनोद राय सीधा एक दूसरे के खिलाफ दिखे. दोनों के बीच की ये खटास उस वक्त भी उन्हें शर्मिंदा कर गई जब पिछले 3 सालों से भारतीय क्रिकेट पर राज करने के बाद उन्हें बीसीसीआई ऑफिस छोड़ कर जाना पड़ा. 

2013 के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) स्पॉट फिक्सिंग कांड के बाद शीर्ष अदालत द्वारा हटाए जाने के बाद, तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के कद्दावर सदस्य एन श्रीनिवासन लगभग चार सालों के अंतराल के बाद क्रिकेट मुख्यालय में वापसी की, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उस दिन जैसे ही वो बीसीसीआई के दफ्तर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की दूसरी मंजिल की लिफ्ट से बाहर आए तब उन्होंने आधिकारिक तौर पर नई बीसीसीआई टीम के कार्यभार संभालने के बाद तीनों सीओए मेम्बर्स ने ऑफिस छोड़ दिया.  

ये महज एक संयोग था कि 74 वर्षीय श्रीनिवासन को नए संविधान के अनुसार बीसीसीआई में कोई आधिकारिक पद लेने के लिए जीवन भर के लिए बैन किया गया था और उस दिन भी श्रीनिवासन मुम्बई ऑफिस से बाहर जा रहे थे और नवनिर्वाचित सीओए विनोद राय अंदर आ रहे थे. 

बता दें कि सौरव के प्रेसिडेंट बनने के बाद श्रीनिवासन ने विनोद राय से हाथ मिलाते हुए कहा, "आपने बीसीसीआई को बर्बाद कर दिया" 

हालांकि राय ने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जिन लोगों ने पिछले चार सालों में बीसीसीआई में चल रहे हालातों को जाना था वो श्रीनिवासन के इस रवैये को बखूबी समझ सकते हैं. 

दूसरी ओर, पूर्व भारतीय महिला टीम की कप्तान डायना एडुल्जी इस सब बातों से बेफिक्र दिखीं. डायना बीसीसीआई ऑफिस से बाहर आते वक्त सभी कर्मचारियों से मिल रही थी.  डायना ऑफिस में कर्मचारियों से बात करते दिखी जहां उन्होंने कहा कि “मैं बहुत खुश हूं कि मुझे अब हर दिन कई सारे ईमेल चेक नहीं करने पड़ेंगे,”

हालाकिं ये नहीं भूलना चाहिए कि एडुल्जी एकमात्र ऐसी व्यक्ति थीं जो तीन सालों के लंबे कार्यकाल के दौरान विनोद राय से कई मामलों में अलग राय रखती थीं फिर चाहे वो सीईओ राहुल जौहरी पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र समिति की नियुक्ति ही क्यों न हो. वो राय से असहमति जताने में पीछे नहीं हटती थी.  

आईसीसी के लिए श्रीनिवासन को ग्रीन सिग्नल ?

बीसीसीआई मुख्यालय में चल रहे हालातों के अनुसार श्रीनिवासन को आईसीसी में भारत के प्रतिनिधि के रूप में देखा जा सकता है. 

ये देखा गया था कि श्रीनिवासन के आईसीसी अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान "बिग थ्री" मॉडल में भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को विश्व क्रिकेट में स्वीकार किया गया था.  सूत्रों के अनुसार, इन तीनों देशों के बीच कुल राजस्व का लगभग 80 प्रतिशत बटना था. 

यदि इसे लागू किया जाता तो बीसीसीआई का विश्व क्रिकेट में 22 प्रतिशत का हिस्सा होता लेकिन श्रीनिवासन की जगह आईसीसी के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर ने इस पूरे प्रस्ताव को ही रद्द कर दिया. 

यही कारण है कि श्रीनिवासन को सीओए से उनके कार्यकाल के दौरान हितों की रक्षा नहीं करने के लिए दोषी ठहराया था जिसके कारण बीसीसीआई को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. 

सूत्रों के हवाले से ये पता चला है कि बीसीसीआई के सदस्यों ने अनौपचारिक रूप से बुधवार को जनरल बोर्ड मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की थी. श्रीनिवासन अधिकारियों से कहते नजर आए, 'भारत का आईसीसी में एक बड़ा शेयर क्यों नहीं होना चाहिए". मैं जब भारत को राष्ट्रों की समिति में उचित मान्यता दिलाने के लिए आईसीसी के सामने गया तब मेरे इस प्रस्ताव को सबने माना लेकिन दुर्भाग्य से बाद में आए लोगों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. आप भारत से कुछ भी स्थायी रूप से नहीं ले सकते क्योंकि आपको ये मानना होगा कि भारत सचमुच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में राजस्व के रूप में सबसे बड़ा भागीदार है. भारत विश्व क्रिकेट को नियंत्रित कर रहा है इसलिए, मुझे चिंता नहीं है इसमें समय तो लग सकता है, लेकिन हमें आखिर में हमारा हक मिलेगा."

इस बीच, बीसीसीआई के नए अध्यक्ष गांगुली प्रेस कॉनफ्रेंस में आईसीसी से राजस्व मामले में श्रीनिवासन की बात से सहमत नजर आए. 

गांगुली ने कहा, “आईसीसी का ये मामला सभी के लिए जानना महत्वपूर्ण है. बीसीसीआई को आने वाले पांच सालों में आईसीसी से 372 मिलियन डॉलर मिलने हैं क्योंकि हमे अभी चैम्पियंस ट्रॉफी की मेजबानी करनी हैं. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि हमें हमारा हक मिले. हम आईसीसी के साथ काम करेंगे और इसे आगे बढ़ाएंगे."

ये अलग बात है कि बीसीसीआई अध्यक्ष ने आईसीसी के लिए बीसीसीआई के प्रतिनिधि के बारे में अपनी पसंद को सार्वजनिक करने से दूर रहना सही समझा!



(ये लेख वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखर लूथरा द्वारा लिखा गया है. ईटीवी भारत इस लेख से जुड़े तथ्यों की जिम्मेदारी नहीं लेता है.)


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Last Updated : Oct 25, 2019, 6:47 PM IST
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