नई दिल्ली: टोक्यो पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि भारत तीन साल बाद पेरिस में इस प्रतिष्ठित बहु-खेल प्रतियोगिता में अपने पदकों की संख्या को दोगुना करने में सफल रहेगा.
भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 19 पदक जीते थे. इसमें पांच स्वर्ण, आठ रजत, छह कांस्य शामिल है. पैरालंपिक खेलों के एक सत्र में इससे पहले भारत ने सबसे ज्यादा चार पदक जीते थे.
एक मीडिया हाउस में एक परिचर्चा के दौरान पुरुष एकल 'एसएल 3' वर्ग में तीन बार के विश्व चैंपियन भगत ने कहा, "मुझे विश्वास है कि पदक की संख्या दोगुनी हो जाएगी (2024 में पेरिस में)."
उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में देश में खेलों के विकास में अहम योगदान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री खिलाड़ियों का पूरा समर्थन करते हैं. पीसीआई (भारतीय पैरालंपिक समिति) अपने खिलाड़ियों की अच्छी तरह से देखभाल कर रहा है, अगर प्रधानमंत्री हमारे साथ हैं और सुविधाएं दी जा रही हैं, तो यह संभव है."
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पैरालंपिक में पदक जीतने वाले भारत के पहले आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी सुहास यथिराज ने टोक्यो पैरालंपिक को एक महत्वपूर्ण क्षण करार देते हुए कहा कि यह पैरा खेलों को बड़ा बढ़ावा दे सकता है, जैसे कि 1983 विश्व कप जीत ने देश में क्रिकेट को बढ़ावा दिया था.
यथिराज ने टोक्यो में पुरुष एकल 'एसएल 4' वर्ग बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीता था.
गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के इस जिलाधिकारी (डीएम) ने कहा, "1983 भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था जब कपिल देव की टीम ने विश्व कप जीता था. इसी तरह, 2020 टोक्यो भारतीय पैरालंपिक के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है. आप अब दृष्टिकोण में बहुत बड़ा बदलाव महसूस करते है."
टोक्यो पैरालंपिक खेलों में टेबल टेनिस में रजत पदक जीत कर इतिहास रचने वाली खिलाड़ी भाविना पटेल ने कहा कि वह महामारी के कारण इन खेलों के लिए क्वालीफाई करने को लेकर चिंतित थी.
उन्होंने कहा, "महामारी के दौरान यह एक बड़ी चुनौती थी. सबसे पहले, मुझे पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करना था. बड़ी मुश्किल से मैं पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकी."
उन्होंने कहा, "इस दौरान प्रशिक्षण के अलावा, फिटनेस एक चुनौती थी, लेकिन मैं उनसे उबरने में सफल रही. मैंने महामारी के दौरान अभ्यास जारी रखा और प्रत्येक खिलाड़ी के लिए बहुत योजना बनाई."
भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष दीपा मलिक ने कहा कि देश में पैरा-खेलों के विकास के लिए पहुंच महत्वपूर्ण होगी.
उन्होंने कहा, "यह पहुंच केवल भौतिक नहीं है, यह मानसिकता में भी होना चाहिए. जब तक हम जमीनी स्तर पर प्रतिभा नहीं खोजेंगे और खेल के लिए अधिक सुविधाओं का निर्माण नहीं करेंगे तब तक यह मुश्किल होगा. यह ऐसी सुविधाएं होनी चाहिये जो सुलभ हो."
इस मौके पर पैरा बैडमिंटन टीम के राष्ट्रीय कोच गौरव खन्ना भी उपस्थित थे.