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EXCLUSIVE : ओलंपिक से पहले जानिए पुलेला गोपीचंद की सबसे बड़ी चिंता, दिया बड़ा बयान

भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में ओलंपिक को देखते हुए चिंता व्यक्त की और कहा- 'सिंग्लस' में खेलने वाले भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन भारत के लिए चिंता का विषय है. वहीं बैडमिंटन के कैलेंडर को लेकर भी अपनी राय रखी.

national badminton coach pullela gopichand, tokyo olympic
national badminton coach pullela gopichand
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Published : Dec 9, 2019, 7:25 PM IST

Updated : Dec 9, 2019, 7:50 PM IST

हैदराबाद : देश के नेशनल बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद सोमवार को ईनाडु स्पोर्ट्स लीग के उद्धाटन के मौके पर ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. इस अवसर पर उन्होंने हेल्थ और फिटनेस को लेकर चर्चा की और बताया कि आजकल के व्यस्त लाइफ स्टाइल में स्पोर्ट्स का जीवन में कितना महत्व है.

भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत, देखिए वीडियो

खिलाड़ियों की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बैडमिंटन कैलेंडर पर बात की और कहा कि सारे कोचों ने मिलकर विश्व बैडमिंटन संघ को पत्र लिखा है लेकिन हमारी बात मानी जाए ये मुझे मुश्किल लगता है.

पिछले कुछ सालों में देश में स्पोर्ट्स कल्चर बन रहा है?


जरूर, मैं मानता हूं कि पिछले कुछ सालों में देखा जाए तो हमारे देश में खेल के प्रति रूझान है और सरकार के सपोर्ट से ये हुआ है. आज की तारीख में लीग के लिए या सामान्य फिटनेस के लिए जो लोग खेल रहे हैं उसमें बढ़ोत्तरी हुई है. इसमें और बहुत कुछ करने की जरुरत है. स्पोर्ट्स के लिए पिछला दशक काफी अच्छा रहा.

हमारे दैनिक जीवन में स्पोर्ट्स कितना जरुरी है?
गोपीचंद ने कहा कि खेल का हमारे दैनिक जीवन में होना जरुरी है. अगर पिछली पीढ़ी को देखे तो उनके पास समय था कि वो पैदल चलकर भी जाते थे. घर में रहते हुए भी एक्सरसाइज कर लिया करते थे, लेकिन आज समय बदल चुका है लोगों के पास सहुलियत हो गई है. आजकल लोग सीढ़ीयों की जगह लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं.

पुलेला गोपीचंद का वर्कआउट का शेड्यूल कैसा रहता है?

मैं कोर्ट पर चला जाता हूं और करीब सात से आठ घंटे मैं कोर्ट पर बिताता हूं. इसमें मैं थोड़ी देर खेलता हूं और कोर्ट में कोचिंग के दौरान खड़े भी रहता हूं.

PAK vs SL: टेस्ट सीरीज के लिए पाकिस्तान पहुंची श्रीलंकाई टीम, यूं किया गया स्वागत


सिंग्लस में खिलाड़ियों का प्रदर्शन खराब रहा है?
ये बात सही कि सिंग्लस में खिलाड़ियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पिछले साल साई प्रणीत के वर्ल्ड चैंपियनशिप के मेडल को छोड़ दे तो हमारे सिंग्लस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. हालांकि अभी भी टॉप 40 रैंकिंग में 8 खिलाड़ी हमारे हैं लेकिन टॉप 10 में कोई नहीं है जोकि अच्छा संकेत नहीं है. मैं मानता हूं कि जो भी ओलंपिक के लिए क्वालिफाई होगा वो अच्छा दावेदार होगा मेडल के लिए.

बैडमिंटन कैलेंडर की वजह से खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ा है?


सारे कोचों ने मिलकर विश्व बैडमिंटन संघ को पत्र लिखा है लेकिन हमारी बात मानी जाए ये मुझे मुश्किल लगता है. विश्व बैडमिंटन संघ में स्पांसर का चलता है. इसलिए जो हमारे हाथ में है उसको ठीक करने की आवश्यकता है. मैं मानता हूं कि 2024 की जो तैयारी है उसमें हम ऐसा नियम लाएंगे जिससे खिलाड़ी गलती नहीं करे.

हैदराबाद : देश के नेशनल बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद सोमवार को ईनाडु स्पोर्ट्स लीग के उद्धाटन के मौके पर ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. इस अवसर पर उन्होंने हेल्थ और फिटनेस को लेकर चर्चा की और बताया कि आजकल के व्यस्त लाइफ स्टाइल में स्पोर्ट्स का जीवन में कितना महत्व है.

भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत, देखिए वीडियो

खिलाड़ियों की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बैडमिंटन कैलेंडर पर बात की और कहा कि सारे कोचों ने मिलकर विश्व बैडमिंटन संघ को पत्र लिखा है लेकिन हमारी बात मानी जाए ये मुझे मुश्किल लगता है.

पिछले कुछ सालों में देश में स्पोर्ट्स कल्चर बन रहा है?


जरूर, मैं मानता हूं कि पिछले कुछ सालों में देखा जाए तो हमारे देश में खेल के प्रति रूझान है और सरकार के सपोर्ट से ये हुआ है. आज की तारीख में लीग के लिए या सामान्य फिटनेस के लिए जो लोग खेल रहे हैं उसमें बढ़ोत्तरी हुई है. इसमें और बहुत कुछ करने की जरुरत है. स्पोर्ट्स के लिए पिछला दशक काफी अच्छा रहा.

हमारे दैनिक जीवन में स्पोर्ट्स कितना जरुरी है?
गोपीचंद ने कहा कि खेल का हमारे दैनिक जीवन में होना जरुरी है. अगर पिछली पीढ़ी को देखे तो उनके पास समय था कि वो पैदल चलकर भी जाते थे. घर में रहते हुए भी एक्सरसाइज कर लिया करते थे, लेकिन आज समय बदल चुका है लोगों के पास सहुलियत हो गई है. आजकल लोग सीढ़ीयों की जगह लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं.

पुलेला गोपीचंद का वर्कआउट का शेड्यूल कैसा रहता है?

मैं कोर्ट पर चला जाता हूं और करीब सात से आठ घंटे मैं कोर्ट पर बिताता हूं. इसमें मैं थोड़ी देर खेलता हूं और कोर्ट में कोचिंग के दौरान खड़े भी रहता हूं.

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सिंग्लस में खिलाड़ियों का प्रदर्शन खराब रहा है?
ये बात सही कि सिंग्लस में खिलाड़ियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पिछले साल साई प्रणीत के वर्ल्ड चैंपियनशिप के मेडल को छोड़ दे तो हमारे सिंग्लस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. हालांकि अभी भी टॉप 40 रैंकिंग में 8 खिलाड़ी हमारे हैं लेकिन टॉप 10 में कोई नहीं है जोकि अच्छा संकेत नहीं है. मैं मानता हूं कि जो भी ओलंपिक के लिए क्वालिफाई होगा वो अच्छा दावेदार होगा मेडल के लिए.

बैडमिंटन कैलेंडर की वजह से खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ा है?


सारे कोचों ने मिलकर विश्व बैडमिंटन संघ को पत्र लिखा है लेकिन हमारी बात मानी जाए ये मुझे मुश्किल लगता है. विश्व बैडमिंटन संघ में स्पांसर का चलता है. इसलिए जो हमारे हाथ में है उसको ठीक करने की आवश्यकता है. मैं मानता हूं कि 2024 की जो तैयारी है उसमें हम ऐसा नियम लाएंगे जिससे खिलाड़ी गलती नहीं करे.

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भारतीय बैडमिंटन के मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा है कि ओलंपिक को देखते हुए बैडमिंटन के सिंग्लस में खेलने वाले खिलाड़ियों का प्रदर्शन भारत के लिए चिंता का विषय है. वहीं उन्होंने ओलंपिक क्वालिफिकेशन के लिए बनाए गए बैडमिंटन कैलेंडर को लेकर भी अपनी राय रखी.




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Last Updated : Dec 9, 2019, 7:50 PM IST
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