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Kalank Film Review: कमजोर कहानी के आगे दमदार है स्टार्स की एक्टिंग.....मिले सिर्फ इतने ही स्टार - आदित्य रॉय कपूर

Pic Courtesy: File Photo
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Published : Apr 18, 2019, 8:30 AM IST

मुंबई : बहुत दिनों से करण जौहर की फ़िल्म कलंक को लेकर काफी शोर था. फैंस इस फ़िल्म का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन आलिया भट्ट, वरुण धवन, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा जैसे भारी भरकम स्टारकास्ट के बावजूद यह फ़िल्म कही न कही बेअसर रही.

एक तरफ जहां फिल्म कलंक आज रिलीज हो गई है. फिल्म में आलिया भट्ट, वरुण धवन, आदित्य रॉय कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, माधुरी दीक्षित लीड रोल में हैं. वहीं फिल्म की कहानी 1945 के दशक की है. फिल्म में वरुण धवन और आलिया भट्ट की लव स्टोरी को दिखाया गया है. आदित्य रॉय कपूर और सोनाक्षी सिन्हा पति-पत्नी के किरदार में हैं, लेकिन आदित्य रॉय कपूर आलिया भट्ट से शादी करते हैं.

संजय दत्त फिल्म में काफ दर्द से भरे हुए दिखते हैं. माधुरी दीक्षित एक तवायफ का किरदार में हैं. बात करें कलंक के बैकड्रॉप की तो यह हुसैनाबाद नाम के एक काल्पनिक शहर पर आधारित है. दर्द और तकलीफ से भरी करीब तीन घंटे की यह फिल्म जब खत्म होती है तो आप थिएटर से बाहर नहीं आना चाहते हैं. दरअसल, वरुण धवन और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी के बारे में आप और जानने को इच्छुक होते हैं.

फिल्म की कहानी आजादी से कुछ वक्त पहले के हुसैनाबाद की है, जो की एक मुस्लिम बहुल इलाका है. बलराज चौधरी का किरदार निभा रहे संजय दत्त अपने महल में बेटे आदित्य रॉय कपूर यानि देव और बहू सोनाक्षी सिन्हा (साथ्या) संग रहते हैं. कैंसर से पीड़ित साथ्या के पास जिंदगी के बस कुछ ही दिन बचे हैं और वह चाहती हैं कि उनकी मौत के बाद उनके पति अकेले नहीं रहें. वह देव की रूप (आलिया भट्ट) से शादी करवाना चाहती है.

रूप अपनी बहनों का भविष्य बचाने के लिए आदित्य रॉय कपूर यानि देव चौधरी से शादी करने के लिए राजी भी हो जाती हैं. अब रूप इस रिश्ते को बस किसी तरह ढो रही हैं. परिवार के अंदर एक कैदभरी जिंदगी जी रहीं रूप एक रोज सारी हदें पार कर जाती हैं और हीरामंडी में बहार बेगम यानि माधुरी दीक्षित के पास पहुंच जाती हैं. यहीं पर उनकी मुलाकात होती है वरुण धवन यानि जफर से. लेकिन उन्हें पता नहीं कि जफर से उनकी मोहब्बत एक 'कलंक' है. ऐसी कई बातें और प्रश्न हैं, जो आपको फिल्म देखते समय परेशान करती रहती हैं और जिनका जवाब नहीं मिलता.

अभिषेक वर्मन के निर्देशन में बनी यह दूसरी फिल्म है. लेखन कितना कच्चा है इसका अंदाजा आपको तब लगता है कि जब आप आलिया भट्ट को एक सीन में रोते हुए देखते हैं और उनके डायलॉग्स सुनते हैं या उस वक्त जब वरुण धवन आदित्य रॉय कपूर पर गुस्सा करते हैं. कलंक का कुल मिलाकर निर्देशन ऐसा है कि आप कई बार टिकट खरीदने को अपनी गलती समझने लगते हैं. ऐसा लगता है अभिषेक वर्मन ने 2 स्टेट्स का निर्देशन ज्यादा बेहतर किया था.

फिल्म के गाने शानदार हैं और इन्होंने काफी तेजी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है. फिल्म के गानों का फिल्मांकन भी शानदार है. इतना शानदार कि आप कई बार ये सोचते हैं कि इन दृश्यों का फिल्म की लाइन और लेंथ से क्या लेना देना है? ज्यादातर गानों का कंपोजीशन प्रीतम ने किया है और संगीत दमदार है इसमें कोई संदेह नहीं.

यह फिल्म बॉलीवुड के कई बड़े सितारों से सजी थी. फिल्म में आलिया भट्ट और वरुण धवन के अलावा माधुरी दीक्षित, सोनाक्षी सिन्हा और आदित्य रॉय कपूर समेत तमाम सितारे थे. कहना होगा कि अभिनय के मामले में फिल्म कच्ची नहीं लगती है, लेकिन इसकी स्क्रिप्ट दमदार नहीं है. कच्ची-पक्की स्क्रिप्ट और कमजोर डायलॉग्स के चलते फिल्म में सितारों का अभिनय कहीं-कहीं ज्यादा प्रभावी नजर आता है.फिल्म की पूरी कहानी जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा.

मुंबई : बहुत दिनों से करण जौहर की फ़िल्म कलंक को लेकर काफी शोर था. फैंस इस फ़िल्म का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन आलिया भट्ट, वरुण धवन, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा जैसे भारी भरकम स्टारकास्ट के बावजूद यह फ़िल्म कही न कही बेअसर रही.

एक तरफ जहां फिल्म कलंक आज रिलीज हो गई है. फिल्म में आलिया भट्ट, वरुण धवन, आदित्य रॉय कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, माधुरी दीक्षित लीड रोल में हैं. वहीं फिल्म की कहानी 1945 के दशक की है. फिल्म में वरुण धवन और आलिया भट्ट की लव स्टोरी को दिखाया गया है. आदित्य रॉय कपूर और सोनाक्षी सिन्हा पति-पत्नी के किरदार में हैं, लेकिन आदित्य रॉय कपूर आलिया भट्ट से शादी करते हैं.

संजय दत्त फिल्म में काफ दर्द से भरे हुए दिखते हैं. माधुरी दीक्षित एक तवायफ का किरदार में हैं. बात करें कलंक के बैकड्रॉप की तो यह हुसैनाबाद नाम के एक काल्पनिक शहर पर आधारित है. दर्द और तकलीफ से भरी करीब तीन घंटे की यह फिल्म जब खत्म होती है तो आप थिएटर से बाहर नहीं आना चाहते हैं. दरअसल, वरुण धवन और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी के बारे में आप और जानने को इच्छुक होते हैं.

फिल्म की कहानी आजादी से कुछ वक्त पहले के हुसैनाबाद की है, जो की एक मुस्लिम बहुल इलाका है. बलराज चौधरी का किरदार निभा रहे संजय दत्त अपने महल में बेटे आदित्य रॉय कपूर यानि देव और बहू सोनाक्षी सिन्हा (साथ्या) संग रहते हैं. कैंसर से पीड़ित साथ्या के पास जिंदगी के बस कुछ ही दिन बचे हैं और वह चाहती हैं कि उनकी मौत के बाद उनके पति अकेले नहीं रहें. वह देव की रूप (आलिया भट्ट) से शादी करवाना चाहती है.

रूप अपनी बहनों का भविष्य बचाने के लिए आदित्य रॉय कपूर यानि देव चौधरी से शादी करने के लिए राजी भी हो जाती हैं. अब रूप इस रिश्ते को बस किसी तरह ढो रही हैं. परिवार के अंदर एक कैदभरी जिंदगी जी रहीं रूप एक रोज सारी हदें पार कर जाती हैं और हीरामंडी में बहार बेगम यानि माधुरी दीक्षित के पास पहुंच जाती हैं. यहीं पर उनकी मुलाकात होती है वरुण धवन यानि जफर से. लेकिन उन्हें पता नहीं कि जफर से उनकी मोहब्बत एक 'कलंक' है. ऐसी कई बातें और प्रश्न हैं, जो आपको फिल्म देखते समय परेशान करती रहती हैं और जिनका जवाब नहीं मिलता.

अभिषेक वर्मन के निर्देशन में बनी यह दूसरी फिल्म है. लेखन कितना कच्चा है इसका अंदाजा आपको तब लगता है कि जब आप आलिया भट्ट को एक सीन में रोते हुए देखते हैं और उनके डायलॉग्स सुनते हैं या उस वक्त जब वरुण धवन आदित्य रॉय कपूर पर गुस्सा करते हैं. कलंक का कुल मिलाकर निर्देशन ऐसा है कि आप कई बार टिकट खरीदने को अपनी गलती समझने लगते हैं. ऐसा लगता है अभिषेक वर्मन ने 2 स्टेट्स का निर्देशन ज्यादा बेहतर किया था.

फिल्म के गाने शानदार हैं और इन्होंने काफी तेजी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है. फिल्म के गानों का फिल्मांकन भी शानदार है. इतना शानदार कि आप कई बार ये सोचते हैं कि इन दृश्यों का फिल्म की लाइन और लेंथ से क्या लेना देना है? ज्यादातर गानों का कंपोजीशन प्रीतम ने किया है और संगीत दमदार है इसमें कोई संदेह नहीं.

यह फिल्म बॉलीवुड के कई बड़े सितारों से सजी थी. फिल्म में आलिया भट्ट और वरुण धवन के अलावा माधुरी दीक्षित, सोनाक्षी सिन्हा और आदित्य रॉय कपूर समेत तमाम सितारे थे. कहना होगा कि अभिनय के मामले में फिल्म कच्ची नहीं लगती है, लेकिन इसकी स्क्रिप्ट दमदार नहीं है. कच्ची-पक्की स्क्रिप्ट और कमजोर डायलॉग्स के चलते फिल्म में सितारों का अभिनय कहीं-कहीं ज्यादा प्रभावी नजर आता है.फिल्म की पूरी कहानी जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा.

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मुंबई : बहुत दिनों से करण जौहर की फ़िल्म कलंक को लेकर काफी शोर था. फैंस इस फ़िल्म का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन आलिया भट्ट, वरुण धवन, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा जैसे भारी भरकम स्टारकास्ट के बावजूद यह फ़िल्म कही न कही बेअसर रही. 

एक तरफ जहां फिल्म कलंक आज रिलीज हो गई है. फिल्म में आलिया भट्ट, वरुण धवन, आदित्य रॉय कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, माधुरी दीक्षित लीड रोल में हैं. वहीं फिल्म की कहानी 1945 के दशक की है. फिल्म में वरुण धवन और आलिया भट्ट की लव स्टोरी को दिखाया गया है. आदित्य रॉय कपूर और सोनाक्षी सिन्हा पति-पत्नी के किरदार में हैं, लेकिन आदित्य रॉय कपूर आलिया भट्ट से शादी करते हैं. 

संजय दत्त फिल्म में काफ दर्द से भरे हुए दिखते हैं. माधुरी दीक्षित एक तवायफ का किरदार में हैं. बात करें कलंक के बैकड्रॉप की तो यह हुसैनाबाद नाम के एक काल्पनिक शहर पर आधारित है. दर्द और तकलीफ से भरी करीब तीन घंटे की यह फिल्म जब खत्म होती है तो आप थिएटर से बाहर नहीं आना चाहते हैं. दरअसल, वरुण धवन और आलिया भट्ट की प्रेम कहानी के बारे में आप और जानने को इच्छुक होते हैं.

फिल्म की कहानी आजादी से कुछ वक्त पहले के हुसैनाबाद की है, जो की एक मुस्लिम बहुल इलाका है. बलराज चौधरी का किरदार निभा रहे संजय दत्त अपने महल में बेटे आदित्य रॉय कपूर यानि देव और बहू सोनाक्षी सिन्हा (साथ्या) संग रहते हैं. कैंसर से पीड़ित साथ्या के पास जिंदगी के बस कुछ ही दिन बचे हैं और वह चाहती हैं कि उनकी मौत के बाद उनके पति अकेले नहीं रहें. वह देव की रूप (आलिया भट्ट) से शादी करवाना चाहती है.

रूप अपनी बहनों का भविष्य बचाने के लिए आदित्य रॉय कपूर यानि देव चौधरी से शादी करने के लिए राजी भी हो जाती हैं. अब रूप इस रिश्ते को बस किसी तरह ढो रही हैं. परिवार के अंदर एक कैदभरी जिंदगी जी रहीं रूप एक रोज सारी हदें पार कर जाती हैं और हीरामंडी में बहार बेगम यानि माधुरी दीक्षित के पास पहुंच जाती हैं. यहीं पर उनकी मुलाकात होती है वरुण धवन यानि जफर से. लेकिन उन्हें पता नहीं कि जफर से उनकी मोहब्बत एक 'कलंक' है. ऐसी कई बातें और प्रश्न हैं, जो आपको फिल्म देखते समय परेशान करती रहती हैं और जिनका जवाब नहीं मिलता.

अभिषेक वर्मन के निर्देशन में बनी यह दूसरी फिल्म है. लेखन कितना कच्चा है इसका अंदाजा आपको तब लगता है कि जब आप आलिया भट्ट को एक सीन में रोते हुए देखते हैं और उनके डायलॉग्स सुनते हैं या उस वक्त जब वरुण धवन आदित्य रॉय कपूर पर गुस्सा करते हैं. कलंक का कुल मिलाकर निर्देशन ऐसा है कि आप कई बार टिकट खरीदने को अपनी गलती समझने लगते हैं. ऐसा लगता है अभिषेक वर्मन ने 2 स्टेट्स का निर्देशन ज्यादा बेहतर किया था.

फिल्म के गाने शानदार हैं और इन्होंने काफी तेजी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है. फिल्म के गानों का फिल्मांकन भी शानदार है. इतना शानदार कि आप कई बार ये सोचते हैं कि इन दृश्यों का फिल्म की लाइन और लेंथ से क्या लेना देना है? ज्यादातर गानों का कंपोजीशन प्रीतम ने किया है और संगीत दमदार है इसमें कोई संदेह नहीं.

यह फिल्म बॉलीवुड के कई बड़े सितारों से सजी थी. फिल्म में आलिया भट्ट और वरुण धवन के अलावा माधुरी दीक्षित, सोनाक्षी सिन्हा और आदित्य रॉय कपूर समेत तमाम सितारे थे. कहना होगा कि अभिनय के मामले में फिल्म कच्ची नहीं लगती है, लेकिन इसकी स्क्रिप्ट दमदार नहीं है. कच्ची-पक्की स्क्रिप्ट और कमजोर डायलॉग्स के चलते फिल्म में सितारों का अभिनय कहीं-कहीं ज्यादा प्रभावी नजर आता है.फिल्म की पूरी कहानी जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा.


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