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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 'आर्टिकल-15' का सर्टिफिकेट रद्द करने वाली याचिका

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Published : Jul 8, 2019, 6:53 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म 'आर्टिकल 15' को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट को रद्द करने की मांग संबंधी एक याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत लेकर उपयुक्त प्राधिकार के पास जाने को कहा.

plea against Article 15

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से मना कर दिया, जिसमें बॉलीवुड फिल्म 'आर्टिकल 15' को दिए गए सर्टिफिकेट को रद्द करने के लिए कहा गया था.

न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह फिल्म के शीर्षक के नाम में बदलाव और इसकी स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने की अपनी मांग को लेकर उपयुक्त प्राधिकरण से संपर्क करें.

न्यायालय अधिवक्ता रंजन द्विवेदी के जरिए ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

याचिकाकर्ता ने कहा कि फिल्म निर्माता व्यावसायिक लाभ के लिए 'आर्टिकल 15' शीर्षक का उपयोग नहीं कर सकते हैं और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों पर विचार किए बिना फिल्म को सर्टिफिकेट जारी कर दिया.

अधिवक्ता ने कहा कि 'आर्टिकल 15' में 'आपत्तिजनक डायलॉग का प्रयोग किया गया है और उसके जरिए जाति आधारित नफरत फैलाई जा रही है.'

बता दें कि फिल्म 'आर्टिकल-15' 28 जून को रिलीज हुई थी. दो हफ्तों में फिल्म 46.21 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है.

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से मना कर दिया, जिसमें बॉलीवुड फिल्म 'आर्टिकल 15' को दिए गए सर्टिफिकेट को रद्द करने के लिए कहा गया था.

न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह फिल्म के शीर्षक के नाम में बदलाव और इसकी स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने की अपनी मांग को लेकर उपयुक्त प्राधिकरण से संपर्क करें.

न्यायालय अधिवक्ता रंजन द्विवेदी के जरिए ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

याचिकाकर्ता ने कहा कि फिल्म निर्माता व्यावसायिक लाभ के लिए 'आर्टिकल 15' शीर्षक का उपयोग नहीं कर सकते हैं और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों पर विचार किए बिना फिल्म को सर्टिफिकेट जारी कर दिया.

अधिवक्ता ने कहा कि 'आर्टिकल 15' में 'आपत्तिजनक डायलॉग का प्रयोग किया गया है और उसके जरिए जाति आधारित नफरत फैलाई जा रही है.'

बता दें कि फिल्म 'आर्टिकल-15' 28 जून को रिलीज हुई थी. दो हफ्तों में फिल्म 46.21 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है.

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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से मना कर दिया, जिसमें बॉलीवुड फिल्म 'आर्टिकल 15' को दिए गए सर्टिफिकेट को रद्द करने के लिए कहा गया था.

न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह फिल्म के शीर्षक के नाम में बदलाव और इसकी स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने की अपनी मांग को लेकर उपयुक्त प्राधिकरण से संपर्क करें.

न्यायालय अधिवक्ता रंजन द्विवेदी के जरिए ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

याचिकाकर्ता ने कहा कि फिल्म निर्माता व्यावसायिक लाभ के लिए 'आर्टिकल 15' शीर्षक का उपयोग नहीं कर सकते हैं और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों पर विचार किए बिना फिल्म को सर्टिफिकेट जारी कर दिया.

अधिवक्ता ने कहा कि 'आर्टिकल 15' में 'आपत्तिजनक डायलॉग का प्रयोग किया गया है और उसके जरिए जाति आधारित नफरत फैलाई जा रही है.'

बता दें कि फिल्म 'आर्टिकल-15' 28 जून को रिलीज हुई थी. दो हफ्तों में फिल्म 46.21 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है. 

 


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