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सारा और जाह्नवी ने केदारनाथ में लिया आशीर्वाद, त्रियुगी-नारायण में भी टेका मत्था

अभिनेत्री सारा अली खान और जाह्नवी कपूर ने त्रियुगी-नारायण मंदिर में पूजा की. इससे पहले दोनों ने बाबा केदार के भी दर्शन किए.

सारा और जाह्नवी
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Published : Oct 31, 2021, 4:44 PM IST

रुद्रप्रयागः बॉलीवुड अभिनेत्री सारा अली खान और जाह्नवी कपूर ने आज रुद्रप्रयाग स्थित त्रियुगी-नारायण मंदिर के दर्शन किए. मंदिर में दोनों अभिनेत्रियों ने 15 मिनट तक पूजा-अर्चना की. इससे पहले दोनों अभिनेत्रियों ने बाबा केदार के दर्शन भी किए.

रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर सोनप्रयाग से प्राचीन घुत्तू-केदारनाथ जाने वाले मार्ग पर करीब 13 किमी की दूरी पर त्रियुगी-नारायण गांव में भगवान विष्णु को समर्पित यह शानदार त्रियुगी-नारायण मंदिर स्थापित है. यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा निर्मित किया गया है. मान्यता है कि विष्णु भगवान के इस मंदिर में सतयुग में शिव ने पार्वती से विवाह किया था. इस दिव्य विवाह के लिए चारों कोनों में विशाल हवन कुंड जलाया गया था.

सभी ऋषियों ने शादी में भाग लिया, जिसमें विष्णु भगवान द्वारा खुद समारोह की देख रेख की थी. माना जाता है कि दिव्य अग्नि के अवशेष आज भी हवन कुंड में जलते हैं. अग्नि में तीर्थ यात्री लकड़ी डालते हैं. यह कुंड तीन युग से यहां पर जलता आ रहा है. इसलिए इसे त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है.

इस आग की राख को विवाहित जीवन के लिए वरदान माना जाता है.इस मंदिर परिसर में रूद्रकुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्राकुंड मौजूद हैं. इन कुंडों का पानी सरस्वती कुंड में बहता है. शिव पार्वती के विवाह के दौरान भगवान ने इन कुंडों में स्नान किया था. इसलिए आज भी यहां पर देश-विदेश से लोग इस अग्नि के सात फेरे लेकर शादी के बंधन में बंधते हैं.

ये भी पढे़ं : अक्षय ने जैकलीन संग किया डांस, फिर अचानक...

रुद्रप्रयागः बॉलीवुड अभिनेत्री सारा अली खान और जाह्नवी कपूर ने आज रुद्रप्रयाग स्थित त्रियुगी-नारायण मंदिर के दर्शन किए. मंदिर में दोनों अभिनेत्रियों ने 15 मिनट तक पूजा-अर्चना की. इससे पहले दोनों अभिनेत्रियों ने बाबा केदार के दर्शन भी किए.

रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग पर सोनप्रयाग से प्राचीन घुत्तू-केदारनाथ जाने वाले मार्ग पर करीब 13 किमी की दूरी पर त्रियुगी-नारायण गांव में भगवान विष्णु को समर्पित यह शानदार त्रियुगी-नारायण मंदिर स्थापित है. यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा निर्मित किया गया है. मान्यता है कि विष्णु भगवान के इस मंदिर में सतयुग में शिव ने पार्वती से विवाह किया था. इस दिव्य विवाह के लिए चारों कोनों में विशाल हवन कुंड जलाया गया था.

सभी ऋषियों ने शादी में भाग लिया, जिसमें विष्णु भगवान द्वारा खुद समारोह की देख रेख की थी. माना जाता है कि दिव्य अग्नि के अवशेष आज भी हवन कुंड में जलते हैं. अग्नि में तीर्थ यात्री लकड़ी डालते हैं. यह कुंड तीन युग से यहां पर जलता आ रहा है. इसलिए इसे त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है.

इस आग की राख को विवाहित जीवन के लिए वरदान माना जाता है.इस मंदिर परिसर में रूद्रकुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्राकुंड मौजूद हैं. इन कुंडों का पानी सरस्वती कुंड में बहता है. शिव पार्वती के विवाह के दौरान भगवान ने इन कुंडों में स्नान किया था. इसलिए आज भी यहां पर देश-विदेश से लोग इस अग्नि के सात फेरे लेकर शादी के बंधन में बंधते हैं.

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