मुंबईः जब सैफ अली खान ने बॉलीवुड में कदम रखा था तब साल 1993 और उनकी उम्र थी सिर्फ 23 साल, वह अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और लेजेंडरी क्रिकेटर मंसूर अली खान के बेटे थे और यही उनकी शोहरत का दावा भी था. हालांकि इस पारिवारिक शोहरत ने उनकी डेब्यू फिल्म 'परंपरा' को बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं कराया जबकि फिल्म में आमिर खान और, विनोद चोपड़ा और सुनील दत्त जैसे सितारे मौजूद थे और इसका निर्देशन यश चोपड़ा ने किया था.
बात तो तब और खराब हुई जब अभिनेता अपनी दूसरी फिल्म 'आशिक आवारा' में सोलो हीरो के तौर नजर आए, फिल्म बुरी तरह पिट गई. दर्शकों ने उन्हें बॉलीवुड में मिसफिट करार दे दिया जो कि न तो अभिनय कर सकता है, न डांस और न ही फाइट. अभिनेता के करियर का टर्निंग पॉइन्ट रही 1994 की रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म 'ये दिल्लगी'. उसके बाद उन्होंने कई एक्शन-कॉमेडी फिल्मों में काम किया और नाम कमाते चले गए.
अभिनेता ने अपने सफर के बारे में बात करते हुए बताया कि उन्हें कुछ बातों का अफसोस है.
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सैफ ने आईएएनएस से कहा, 'हां, मुझे भी कुछ बातों का अफसोस है लेकिन कुछ खास सीरियस नहीं हैं. मुझे लगता है कि अफसोस करने में कोई बुराई नहीं है. हम सब इंसान हैं. लेकिन अपने बीते कल से कुछ सीखना सबसे ज्यादा जरूरी है. अफसोस करना ही हमें इंसान बनाता है. आपकी इच्छाओं के परे भी कुछ होना चाहिए. यह सब एक कलरफुल लाइफ के लिए अच्छी हैं. तो, हां थोड़ा सा अफसोस है लेकिन सीरियस नहीं.'
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अभिनेता के लिए काम के लिहाज से साल 2020 अब तक काफी अच्छा रहा है. अभिनेता इस साल दो बड़ी और अलग जोनर की फिल्मों में नजर आए. पहली थी हिस्टोरिकल पीरियड ड्रामा फिल्म 'तानाजीः द अनसंग वॉरियर' जिसमें सैफ ने राजपूत योद्धा का किरदार निभाया. इनके काम की खूब सरहाना हुई और फिल्म ब्लॉकबस्टर भी हो गई.
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दूसरी थी रोमांटिक-कॉमेडी 'जवानी जानेमन'. अपने पुराने प्लेबॉय अवतार में हमेशा की तरह ही सैफ लाजवाब थे. सैफ अब 'दिल बेचारा' और 'बंटी और बबली 2' में नजर आने वाले हैं.
(इनपुट्स- आईएएनएस)