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बाल तस्करी एक वैश्विक मुद्दा : नंदिता पुरी

ओम पुरी की पत्नी और लेखिका नंदिता पुरी ने कहा कि बाल तस्करी एक वैश्विक मुद्दा है और इसे अपने लेखन के माध्यम से उठाना उनके लिए बेहद जरूरी है. उनकी एक नई किताब 'जेनिफर' आने वाली है. यह एक इंटरकंट्री चाइल्ड ट्रैफिकिंग की शिकार लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है.

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Courtesy: IANS
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Published : Dec 15, 2019, 10:17 AM IST

लोनावला: दिवंगत अभिनेता ओम पुरी की पत्नी और लेखिका नंदिता पुरी ने कहा कि बाल तस्करी एक वैश्विक मुद्दा है और इसे अपने लेखन के माध्यम से उठाना उनके लिए बेहद जरूरी है. लेखिका की चौथी नई किताब 'जेनिफर' आने वाली है. यह एक इंटरकंट्री चाइल्ड ट्रैफिकिंग की शिकार लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है.

पढ़ें: 'दबंग 3' का नया टीजर रिलीज, चुलबुल पांडे का दिखा दमदार एक्शन

नंदिता लिफ्ट इंडिया फिल्मोत्सव 2019 के एक संवाद सत्र में मौजूद थीं. यह आयोजन 12 दिसंबर से शुरू हुआ है और 16 दिसंबर को समाप्त होगा. ब्रुसेल्स से बाहर और इंटरकंट्री चाइल्ड एडॉप्शन (बच्चा गोद लेने) के मुद्दे पर काम करने वाले एक एनजीओ अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग (एसीटी) ने किताब को समर्थन करते हुए इस मामले की गहनता को बताया.

पुरी ने कहा, 'हालांकि, चाइल्ड एडॉप्शन के लिए संयुक्त राष्ट्र रेजोल्यूशन में साफ तौर पर अंकित किया गया है, कि यह स्थानीय रूप से ही होना चाहिए. उदाहरण के लिए यदि दक्षिण भारत में कोई बच्चा है, जिसे गोद लिया जाना चाहिए तो उसके लिए पहले दक्षिण में ही घर की तलाश की जानी चाहिए. इसी तरह आप एक कश्मीरी बच्चे को तमिल घर में नहीं भेज सकते हैं, क्योंकि कई बार शारीरिक बनावट के चलते गोद लिए बच्चे को ऐसा लग सकता है कि वह घर का सदस्य नहीं है.'

उन्होंने कहा कि रिसर्च के दौरान उन्हें पता चला, 'गोद लिए जाने के लिए जिन बच्चों को दूसरे देशों में भेजा जाता है, उनमें से अधिकतर को कभी अपना घर और एक परिवार नसीब नहीं हो पाता है. उनमें से अधिकांश को सेक्स स्लेव बनकर या फिर सेक्स अंग व्यापार के दलदल में डाल दिया जाता है. नहीं तो उन्हें जिहादी बनने का प्रशिक्षण और अन्य गलत कामों के लिए प्रयोग में लाया जाता है.'

इनपुट-आईएएनएस

लोनावला: दिवंगत अभिनेता ओम पुरी की पत्नी और लेखिका नंदिता पुरी ने कहा कि बाल तस्करी एक वैश्विक मुद्दा है और इसे अपने लेखन के माध्यम से उठाना उनके लिए बेहद जरूरी है. लेखिका की चौथी नई किताब 'जेनिफर' आने वाली है. यह एक इंटरकंट्री चाइल्ड ट्रैफिकिंग की शिकार लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है.

पढ़ें: 'दबंग 3' का नया टीजर रिलीज, चुलबुल पांडे का दिखा दमदार एक्शन

नंदिता लिफ्ट इंडिया फिल्मोत्सव 2019 के एक संवाद सत्र में मौजूद थीं. यह आयोजन 12 दिसंबर से शुरू हुआ है और 16 दिसंबर को समाप्त होगा. ब्रुसेल्स से बाहर और इंटरकंट्री चाइल्ड एडॉप्शन (बच्चा गोद लेने) के मुद्दे पर काम करने वाले एक एनजीओ अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग (एसीटी) ने किताब को समर्थन करते हुए इस मामले की गहनता को बताया.

पुरी ने कहा, 'हालांकि, चाइल्ड एडॉप्शन के लिए संयुक्त राष्ट्र रेजोल्यूशन में साफ तौर पर अंकित किया गया है, कि यह स्थानीय रूप से ही होना चाहिए. उदाहरण के लिए यदि दक्षिण भारत में कोई बच्चा है, जिसे गोद लिया जाना चाहिए तो उसके लिए पहले दक्षिण में ही घर की तलाश की जानी चाहिए. इसी तरह आप एक कश्मीरी बच्चे को तमिल घर में नहीं भेज सकते हैं, क्योंकि कई बार शारीरिक बनावट के चलते गोद लिए बच्चे को ऐसा लग सकता है कि वह घर का सदस्य नहीं है.'

उन्होंने कहा कि रिसर्च के दौरान उन्हें पता चला, 'गोद लिए जाने के लिए जिन बच्चों को दूसरे देशों में भेजा जाता है, उनमें से अधिकतर को कभी अपना घर और एक परिवार नसीब नहीं हो पाता है. उनमें से अधिकांश को सेक्स स्लेव बनकर या फिर सेक्स अंग व्यापार के दलदल में डाल दिया जाता है. नहीं तो उन्हें जिहादी बनने का प्रशिक्षण और अन्य गलत कामों के लिए प्रयोग में लाया जाता है.'

इनपुट-आईएएनएस

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लोनावला: दिवंगत अभिनेता ओम पुरी की पत्नी और लेखिका नंदिता पुरी ने कहा कि बाल तस्करी एक वैश्विक मुद्दा है और इसे अपने लेखन के माध्यम से उठाना उनके लिए बेहद जरूरी है.

लेखिका की चौथी नई किताब 'जेनिफर' आने वाली है. यह एक इंटरकंट्री चाइल्ड ट्रैफिकिंग की शिकार लड़की की सच्ची कहानी पर आधारित है.

नंदिता लिफ्ट इंडिया फिल्मोत्सव 2019 के एक संवाद सत्र में मौजूद थीं. यह आयोजन 12 दिसंबर से शुरू हुआ है और 16 दिसंबर को समाप्त होगा.

ब्रुसेल्स से बाहर और इंटरकंट्री चाइल्ड एडॉप्शन (बच्चा गोद लेने) के मुद्दे पर काम करने वाले एक एनजीओ अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग (एसीटी) ने किताब को समर्थन करते हुए इस मामले की गहनता को बताया.

पुरी ने कहा, 'हालांकि, चाइल्ड एडॉप्शन के लिए संयुक्त राष्ट्र रेजोल्यूशन में साफ तौर पर अंकित किया गया है, कि यह स्थानीय रूप से ही होना चाहिए. उदाहरण के लिए यदि दक्षिण भारत में कोई बच्चा है, जिसे गोद लिया जाना चाहिए तो उसके लिए पहले दक्षिण में ही घर की तलाश की जानी चाहिए. इसी तरह आप एक कश्मीरी बच्चे को तमिल घर में नहीं भेज सकते हैं, क्योंकि कई बार शारीरिक बनावट के चलते गोद लिए बच्चे को ऐसा लग सकता है कि वह घर का सदस्य नहीं है.'

उन्होंने कहा कि रिसर्च के दौरान उन्हें पता चला, 'गोद लिए जाने के लिए जिन बच्चों को दूसरे देशों में भेजा जाता है, उनमें से अधिकतर को कभी अपना घर और एक परिवार नसीब नहीं हो पाता है. उनमें से अधिकांश को सेक्स स्लेव बनकर या फिर सेक्स अंग व्यापार के दलदल में डाल दिया जाता है. नहीं तो उन्हें जिहादी बनने का प्रशिक्षण और अन्य गलत कामों के लिए प्रयोग में लाया जाता है.'

इनपुट-आईएएनएस


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