एंटरटेनमेंट बिजनेस के महारथियों का मानना है कि उपभोक्ताओं की बढ़ती तादाद और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती मांग, उम्मीद से पहले ही टीवी को मात्र एक डिब्बा बनाकर रख देगी.
साल 2019 में पूरा स्ट्रीमिंग वर्ल्ड मुख्य रूप से सेनसेशनल क्रिमिनल केसेस को सुलझाने, नई लव स्टोरीज बनाने, सच्चाई को हल्के से झटके के साथ सामने लाने के बारे में रहा.
लोगों को 'ह्यूमरसली योर्स', 'टीवीएफ ट्रिप्लिंग', 'फ्लेम्स', 'इंसाइड एज 2' और 'बार्ड ऑफ ब्लड' जैसी वेब सीरीज से प्यार हुआ. सीरीज ने लोगों को मिक्स्ड फीलिंग्स दीं और खुद को मस्ट वॉच की लिस्ट में शामिल कर लिया.
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आने वाले साल में स्ट्रीमिंग वर्ल्ड के और बड़े होने की संभावनाओं के साथ, उन शोज पर नजर डालते हैं जिन्होंने 2019 में दर्शकों के दिलों और मस्ट वॉच लिस्ट में अपनी जगह बनाईः
'कोटा फैक्ट्री', शिक्षा पर किए गए तंज ने लोगों को लुभाते हुए कोटा में आईआईटी पास करने की उम्मीद लेकर जाने वाले बच्चों की असली परिस्थिति को बेहतरीन तरीके से पेश किया. जीतेंद्र कुमार स्टारर 'कोटा फैक्ट्री' ने आईएमडीबी की टॉप इंडियन वेब सीरीज इन 2019 की लिस्ट में पहला मुकाम हालिस किया है.
हालांकि, 2019 सिर्फ दिलों को जीतने वाला नहीं रहा है. 2019 के एमी इंटरनेशनल अवॉर्ड्स की बेस्ट ड्रामा कैटेगरी में नॉमिनेशन हासिल करने वाली 'सेक्रेड गेम्स' अपने दूसरे सीजन के साथ वापस लौटी. दूसरा सीजन उन फैंस को लिए निराशा भरा था जो सरताज सिंह और गायतोंडे के आमना-सामना का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.
मनोज बाजपेयी की डिजिटल डेब्यू सीरीज 'द फैमिली मैन' स्क्रीन पर एक मिडिल क्लास आदमी की कहानी को लेकर आई, जो कि नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी के स्पेशल सेल के लिए काम करता है. ह्यूमर के तड़के के साथ एक्शन-थ्रिलर ड्रामा में अभिनेता ने लोगों का दिल जीत लिया.
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'दिल्ली क्राइम', निर्भया गैंग-रेप केस पर आधारित सीरीज में केस को स्क्रीन पर बखूबी पेश करने के लिए मेकर्स को तारीफ मिली. सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे एक डीसीपी और उनकी टीम कई परेशानियों के बावजूद अपराधियों को पकड़ने में कामयाब होते हैं.
विक्रांत मैसी, पंकज त्रिपाठी और जैकी श्रॉफ स्टारर क्राइम थ्रिलर 'क्रिमिनल जस्टिस' में कोर्ट रूम ड्रामा और पुलिस प्रोसेस को दिखाया गया. क्राइम ड्रामा को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बहुत पसंद की गई.
बेहतरीन कंटेट ही लोगों का सिनेमा हॉल से स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर जाने का मुख्य कारण रहा है. टैलेंट और लीड रोल्स में बड़े अंतर के साथ स्ट्रीमिंग मीडियम भी तरक्की कर रहा है. कई फिल्म एक्टर्स भी वेब की दुनिया में खुश हैं क्योंकि वह उन्हें 2 घंटे की फिल्म से ज्यादा अपना एक्टिंग टैलेंट दिखाने का मौका देती है.
सेंसरशिप भी एक और पहलू है जिसने डिजिटल मीडियम को स्मॉल स्क्रीन और बिग स्क्रीन से बढ़त दे दी है.
स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट में भारी मात्रा में हिंसा, नग्नता और गाली-गलौच की भाषा है. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के क्रिएटर्स इस आजादी का मजा ले रहे हैं जिसको लेकर देश के 57 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि इसे भी अधिनियमित किया जाना चाहिए.(यह आंकड़ा इंडिया के 1,000 से ज्यादा व्यस्कों के जवाब पर आधारित सर्वे से निकला है.)
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हॉलीवुड के बड़े नाम विल स्मिथ, ब्रैड पिट, जेनिफर एनिस्टन, जूलिया राबर्ट्स, रयान रेनॉल्ड्स, ड्वेन जॉनसन
और गैल गैडोट, मार्टिन स्कॉर्सीज, रॉबर्ट डिनेरो आदि भी नेटफ्लिक्स के प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं. ऑस्कर-विनिंग 'रोमा', बड़े बजट की नामी फिल्म 'द आइरिशमैन' ऐसे ही कुछ उदाहरण है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स भारत में एक हफ्ते में एक फिल्म तो देखते ही हैं, और अगर स्ट्रीमिंग प्लेफॉर्म पर कुल वक्त बिताने का प्रतिशत निकाला जाए तो, इंडिया में किसी भी देश से ज्यादा स्ट्रीमिंग होती है.
'लव पर स्क्वायर फुट', 'लस्ट स्टोरीज' और 'घोस्ट स्टोरीज' जैसी फिल्मों को प्लेटफॉर्म्स पर ही एक्सक्लूसिव किया गया है, ट्रेंड को देखकर लगता है कि एक्सपर्ट्स की राय बिलकुल सही है कि एक दशक से कम में ही, 50 प्रतिशत से ज्यादा ऑडियो विजुअल की कमाई ओटीटी सर्विस के जरिए ही होगी.
महीने की शुरूआत में, नेट्फ्लिक्स ने अनाउंस किया था कि वह इंडिया में कंटेंट निर्मित करने के लिए जल्द ही 3,000 करोड़ की पूंजी लगाने वाला है. इस बड़े बजट का एक मकसद यह भी है कि जल्द से जल्द भारतीय दर्शकों तक बड़े और बेहतरीन कंटेंट के साथ पहुंचा जा सके क्योंकि मार्किट में कई नए खिलाड़ी भी आ चुके हैं.
देश में ओटीटी विस्फोट के साथ ही, एक समानांतर मान्यता यह है कि ऑनलाइन एंटरटेनमेंट का 63 प्रतिशत उपयोग नॉन-मेट्रो शहरों में होता है. मजेदार बात यह है कि, लखनऊ, पुणे, पटना जैसे शहर हैदराबाद, बेंगलुरू और कोलकाता जैसे शहरों से कंटेंट के उपभोग में आगे हैं.
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स यह दर्शाते हैं कि एंटरटेनमेंट की दुनिया के नए तरीके और नए नियम बनते रहेंगे. प्लेटफॉर्म की वजह से लोगों को वैश्विक स्तर की स्टेरीटेलिंग का मौका मिला है-- और इसी वजह से स्ट्रीमिंग सर्विसेस ने टीवी और सिनेमा को पीछे करना शुरू कर दिया है.