हैदराबाद : बॉलीवुड के मशहूर गायक बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बड़ा झटका दिया है. बाबुल ने शनिवार को राजनीति से संन्यास का ऐलान कर बीजेपी की धड़कने बढ़ा दी है. बाबुल पश्चिम बंगाल में आसनसोल से बीजेपी सांसद थे. हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार में उनसे कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा छीन लिया गया था, जो कहीं ना कहीं बाबुल के राजनीति से संन्यास का कारण है.
बता दें, बाबुल सुप्रियो राजनेता से पहले हिंदी फिल्म सिनेमा के एक मशहूर गायक हैं और उससे भी पहले वह पश्चिम बंगाल में एक बैंक में नौकरी किया करते थे. बाबुल का जन्म 15 दिसंबर 1970 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के उत्तरपाड़ा में हुआ था. बाबुल एक ऐसे परिवार से ताल्लुकात रखते हैं, जहां संगीत ही उनकी असल दुनिया है.
विरासत से मिला संगीत
बाबुल के दादाजी बनीकांता एनसी बारल एक बंगाली वोकलिस्ट और संगीतकार थे. यही कारण है कि बाबुल को संगीत सीखने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. बाबुल ने संगीत सीखने के साथ-साथ कॉमर्स से स्तानक की डिग्री हासिल की है. वहीं, बाबुल ने संगीत की दुनिया में जाने के बाद अपना नाम सुप्रिया बारल से बाबुल सुप्रियो कर लिया था. थोड़े समय स्टेंडर्ट चार्टेड बैंक में नौकरी करने के बाद बाबुल सुप्रियो ने गायकी के क्षेत्र में जाने का मन बनाया. साल 1992 में बाबुल ने मुंबई का रुख किया. कल्याणजी ने बाबुल को पहला ब्रेक दिया. कल्याणजी विदेशों में लाइव कॉन्सर्ट के लिए बाबुल को साथ लेकर जाया करते थे.
इस गाने से मिली पहचान
साल 2000 में आई ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की मेगा ब्लॉकबस्टर फिल्म 'कहो ना प्यार है' का एक गाना 'दिल ने दिल को पुकारा' गाकर बाबुल सुप्रियो रातोंरात सिंगिंग के सरताज बन गए थे. बाबुल ने बॉलीवुड में एक से एक हिट सॉन्ग गाए हैं, जिसमें गाना 'परी-परी है एक परी' (हंगामा), 'हम तुम' (हम तुम) और आमिर खान स्टारर फिल्म 'फना' का गाना 'चंदा चमके' शामिल है. बाबुल ने पहला गाना फिल्म प्रेम रोग (1994) का 'जिंदगी चार दिन की' गाया था.
बाबुल का शादीशुदा जीवन
टोरंटो में शाहरुख खान के कॉन्सर्ट में बाबुल की मुलाकात रिया नाम की लड़की से हुई थी. इसके बाद साल 1995 में बाबुल ने रिया से शादी कर ली. इस शादी से बाबुल को एक बेटी शर्मिली हुई. वहीं, साल 2015 में बाबुल ने रिया को तलाक दिया और अगले साल (2016) एक एयर होस्टेस रचना शर्मा से शादी रचा ली.
सुर के साथ राजनीति में एंट्री
बाबुल सुप्रियो के राजनीति में आने का कारण यह था कि वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर प्रशंसक रहे. बाबुल ने साल 2014 के आम चुनाव में बतौर बीजेपी उम्मीदवार राजनीति में एंट्री की थी. आम चुनाव 2014 में वह पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से चुनाव लड़े और जीते. शुरुआती तौर पर उन्हें शहरी विकास राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्होंने 12 जुलाई तक इस पद काम किया. वहीं, आम चुनाव 2019 में बाबुल ने भी जीत दर्ज की थी, लेकिन हाल ही में मोदी कैबिनेट से हुई उनकी छुट्टी ने उन्हें बड़ा झटका दिया.