मुंबईः अभिनेता अभय देओल ने याद किया कि किस तरह उनकी 2011 की हिट फिल्म 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' के लिए अवॉर्ड शो के दौरान उन्हें 'सपोर्टिंग कैटेगरी' में जगह दी जाती थी, और यह बताया कि किसी एक व्यक्ति के खिलाफ इंडस्ट्री में लॉबी काम करती है.
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने एक बार फिर बॉलीवुड में मौजूद नेपोटिज्म और स्टार पावर पॉलिटिक्स को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है और अभय का यह पोस्ट भी उसी के बाद आया है.
जोया अख्तर की 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा' में अभय को ऋतिक रोशन और फरहान अख्तर के साथ तीन लीड कैरेक्टर्स में से एक में कास्ट किया गया था. फिल्म में कैटरीना कैफ और कल्कि कोचलिन भी अहम भूमिका में थीं.
एक्सेल एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित इस फिल्म में तीन दोस्तों की कहानी है जो स्पेन ट्रिप पर जाते हैं और किस इस दौरान अपनी परेशानियों पर जीत हासिल करते हैं.
अपने इंस्टाग्राम के जरिए अभिनेता ने बताया कि अवॉर्ड सीजन के दौरान सिर्फ ऋतिक को 'बेस्ट एक्टर' की कैटेगरी में नॉमिनेट किया जाता था जबकि फरहान और उन्हें 'सपोर्टिंग एक्टर' की कैटेगरी में.
अभिनेता ने लिखा, '2011 में रिलीज हुई थी 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा'. आजकल रोजाना इस टाइटल का जाप करते हुए खुद को सुनाने की जरूरत है. जब आप चिंता या तनाव में हो तो भी ये देखने के लिए बेहतरीन फिल्म है. मैं इस बात का जिक्र करना चाहूंगा कि लगभग सभी अवॉर्ड समारोह में मुझे और फरहान को 'मुख्य अभिनेता' के नॉमिनेशन से अनदेखा किया गया था और हमें सिर्फ सहायक अभिनेता के लिए ही नॉमिनेट किया गया था.'
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देओल ने आगे बताया, 'जबकि ऋतिक और कैटरीना को मुख्य रोल के लिए नॉमिनेट किया गया था. इंडस्ट्री में ऐसे कई तरीके हैं, जिसके जरिए लोग आपके खिलाफ लॉबी करते हैं. इस मामले में ये काम पूरी बेशर्मी के साथ खुल्लमखुल्ला हुआ था. मैंने बेशक अवॉर्ड का बायकॉट किया था, लेकिन फरहान को इससे कोई दिक्कत नहीं थी.'
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अभिनेता ने अपने पोस्ट को 'फैमिलीफेयरअवॉर्ड्स' के हैश्टैग के साथ खत्म किया, जिसे देखकर लगता है कि पोस्ट में फिल्मफेयर अवॉर्ड्स को लेकर तंज किया गया था, जिसके हालिया सीजन पर नेपोटिज्म और स्टार पावर पॉलिटिक्स के बहुत सारे इल्जाम लगे थे.
(इनपुट्स- पीटीआई)