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यह पोर्टेबल मशीन चुटकियों में इकट्ठा कर लेती है प्लास्टिक बैग

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Published : Mar 7, 2021, 9:30 AM IST

तमिलनाडु के सेलम में 6 इंजीनियरिंग छात्रों ने एक ऐसी पोर्टेबल मशीन बनाई है, जो प्लास्टिक के थैलों को बड़ी कुशलता से इकट्ठा कर लेती है. यह मशीन बहुत कम लागत से बनाई गई है. इन सभी छात्रों ने भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के अभियान में अपना योगदान देने के लिए यह मशीन बनाई है.

प्लास्टिक बैग, low-cost portable machine
यह पोर्टेबल मशीन चुटकियों में इकट्ठा कर लेती है प्लास्टिक बैग

बेंगलुरु : बेंगलुरु के छात्रों की टीम ने एक ऐसी पोर्टेबल मशीन बनाई है, जो प्लास्टिक के थैलों को बड़ी कुशलता से इकट्ठा कर लेती है. कमाल की बात यह है कि यह मशीन बहुत कम लागत से बनाई गई है.

हाल ही में सामने आए फिक्की के अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 2017 में 11 किलो प्रति वर्ष थी, जो 2022 तक बढ़कर 20 किलो प्रति वर्ष तक हो जाएगी. जाहिर है प्लास्टिक का यह बढ़ता कचरा जमीन, नदी और समुद्री जीवन को खतरे में डालता है.

तमिलनाडु के सेलम में एक कॉलेज के अंतिम वर्ष के 6 इंजीनियरिंग छात्रों ने यह मशीन बनाई है. इसका अभी नगरपालिका सीमा के अंदर की सड़कों पर परीक्षण चल रहा है.

इस प्रोजेक्ट के लीडर टी.वी.किशोर कुमार ने बताया, 'प्लास्टिक कचरा एकत्रित करने वाला यह उपकरण सड़कों पर पड़े प्लास्टिक को सेंसर्स के जरिए पहचानने और उसे अपनी ओर खींचने में सक्षम है. इसका उपयोग इमारतों में होलो ब्लॉक्स, पावर ब्लॉक्स आदि से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने में भी हो सकता है.'

इस प्रोजेक्ट में कुमार के साथ उनके सहपाठी एन जिवेथ खान, आर आकाश, एस लोकेश्वर, आर दिनेश बाबू और आर इलवरसन ने काम किया. इन सभी ने भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के अभियान में अपना योगदान देने के लिए यह मशीन बनाई है.

बेंगलुरु : बेंगलुरु के छात्रों की टीम ने एक ऐसी पोर्टेबल मशीन बनाई है, जो प्लास्टिक के थैलों को बड़ी कुशलता से इकट्ठा कर लेती है. कमाल की बात यह है कि यह मशीन बहुत कम लागत से बनाई गई है.

हाल ही में सामने आए फिक्की के अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 2017 में 11 किलो प्रति वर्ष थी, जो 2022 तक बढ़कर 20 किलो प्रति वर्ष तक हो जाएगी. जाहिर है प्लास्टिक का यह बढ़ता कचरा जमीन, नदी और समुद्री जीवन को खतरे में डालता है.

तमिलनाडु के सेलम में एक कॉलेज के अंतिम वर्ष के 6 इंजीनियरिंग छात्रों ने यह मशीन बनाई है. इसका अभी नगरपालिका सीमा के अंदर की सड़कों पर परीक्षण चल रहा है.

इस प्रोजेक्ट के लीडर टी.वी.किशोर कुमार ने बताया, 'प्लास्टिक कचरा एकत्रित करने वाला यह उपकरण सड़कों पर पड़े प्लास्टिक को सेंसर्स के जरिए पहचानने और उसे अपनी ओर खींचने में सक्षम है. इसका उपयोग इमारतों में होलो ब्लॉक्स, पावर ब्लॉक्स आदि से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने में भी हो सकता है.'

इस प्रोजेक्ट में कुमार के साथ उनके सहपाठी एन जिवेथ खान, आर आकाश, एस लोकेश्वर, आर दिनेश बाबू और आर इलवरसन ने काम किया. इन सभी ने भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के अभियान में अपना योगदान देने के लिए यह मशीन बनाई है.

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इनपुट-आईएएनएस

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