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बहिर्ग्रहों पर जीवन, चंद्रग्रहण की घटना का उपयोग कर रहे खलोगविद - एक्सोप्लेनेट्स

वैज्ञानिक काफी लंबे समय से सौरमंडल के बाहर के ग्रहों में जीवन के संकेतों को ढूंढ रहे हैं. लेकिन अब खलगोलविदों ने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच होने वाली चंद्रग्रहण की घटना का फायदा उठाकर हबल टेलीस्कोप के जरिए बहिर्ग्रहों के बारे में पता लगाने की कोशिश की है.

एक्सोप्लेनेट्स पर जीवन
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Published : Aug 14, 2020, 5:42 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

वॉशिंगठन : वैज्ञानिक काफी लंबे समय से सौरमंडल के बाहर के ग्रहों में जीवन के संकेतों को ढूंढ रहे हैं. लेकिन अब खलगोलविदों ने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच होने वाली चंद्रग्रहण की घटना का फायदा उठाकर हबल टेलीस्कोप के जरिए बहिर्ग्रहों (एक्सोप्लेनेट) के बारे में पता लगाने की कोशिश की है.

यह विधि अनुकरण करती है कि बहिर्ग्रहों पर संभावित बायोसिग्नेचर का अवलोकन करके पृथ्वी से परे जीवन के सबूतों को कैसे देखा जाएगा.

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर (अमेरिका) में एटमॉस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स की लैबोरेटरी के एलिसन यंगबल्ड ने कहा कि नासा के लक्ष्यों में से एक ऐसे ग्रहों की पहचान करना है, जिनमें जीवन संभव हो सकता है.

एलिसन ने कहा कि लेकिन सवाल यही है कि किसी ग्रह को देखने के बाद हम कैसे पहचान कर सकेंगे कि उस ग्रह में जीवन संभव है या नहीं. हमारे खगोलविदों के पास उन बहिर्ग्रहों के वायुमंडल के गुणों की पहचान करने के लिए क्या तकनीकें हैं और जो तकनीकें हमारे पास हैं उनसे इन ग्रहों के बारे में कितनी जानकारी मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम एक टैम्पलेट की तरह पृथ्वी के स्पैक्ट्रम के मॉडल बनाएं, जिससे हम बहिर्ग्रहों के वायुमंडलों को वर्गीकृत कर सकें. इसीलिए वैज्ञानिक ओजोन और ऑक्सीजन की उपस्थिति को किसी ग्रह पर जीवन होने के संकेत के तौर पर देखते हैं, जिन्हें वे बायोसिग्नेचर कहते हैं. अब अगर किसी बहिर्ग्रहों से वैसे ही संकेत मिलते हैं जैसे हबल को पृथ्वी से मिले तो वहां जीवन हो सकता है.

वॉशिंगठन : वैज्ञानिक काफी लंबे समय से सौरमंडल के बाहर के ग्रहों में जीवन के संकेतों को ढूंढ रहे हैं. लेकिन अब खलगोलविदों ने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच होने वाली चंद्रग्रहण की घटना का फायदा उठाकर हबल टेलीस्कोप के जरिए बहिर्ग्रहों (एक्सोप्लेनेट) के बारे में पता लगाने की कोशिश की है.

यह विधि अनुकरण करती है कि बहिर्ग्रहों पर संभावित बायोसिग्नेचर का अवलोकन करके पृथ्वी से परे जीवन के सबूतों को कैसे देखा जाएगा.

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर (अमेरिका) में एटमॉस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स की लैबोरेटरी के एलिसन यंगबल्ड ने कहा कि नासा के लक्ष्यों में से एक ऐसे ग्रहों की पहचान करना है, जिनमें जीवन संभव हो सकता है.

एलिसन ने कहा कि लेकिन सवाल यही है कि किसी ग्रह को देखने के बाद हम कैसे पहचान कर सकेंगे कि उस ग्रह में जीवन संभव है या नहीं. हमारे खगोलविदों के पास उन बहिर्ग्रहों के वायुमंडल के गुणों की पहचान करने के लिए क्या तकनीकें हैं और जो तकनीकें हमारे पास हैं उनसे इन ग्रहों के बारे में कितनी जानकारी मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम एक टैम्पलेट की तरह पृथ्वी के स्पैक्ट्रम के मॉडल बनाएं, जिससे हम बहिर्ग्रहों के वायुमंडलों को वर्गीकृत कर सकें. इसीलिए वैज्ञानिक ओजोन और ऑक्सीजन की उपस्थिति को किसी ग्रह पर जीवन होने के संकेत के तौर पर देखते हैं, जिन्हें वे बायोसिग्नेचर कहते हैं. अब अगर किसी बहिर्ग्रहों से वैसे ही संकेत मिलते हैं जैसे हबल को पृथ्वी से मिले तो वहां जीवन हो सकता है.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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