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Human Body as Charger: अब खत्म नहीं होगी मोबाइल-लैपटॉप की बैटरी, इंसानी शरीर से होगी चार्जिंग

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Published : Jun 4, 2023, 3:06 PM IST

Updated : Jun 4, 2023, 3:48 PM IST

देश के तकनीकी दिग्गज शिक्षण संस्थान आईआईटी वाले एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर रिसर्च कर रहे हैं, जो अगर सफल हो जाती है तो मोबाइल, लैपटॉप और ईयरफोन जैसे अन्य सामान इंसानी शरीर से ही चार्ज हो सकेंगे. यह नई तकनीक कैसे काम करेगी, किन-किन कामों में इसका फायदा उठा सकेंगे, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Human Body as Charger
मानव शरीर एक चार्जर की तरह

नई दिल्ली : आप दिन भर मोबाइल का खूब इस्तेमाल करें, बावजूद इसके न तो मोबाइल की बैटरी खत्म हो और आपको अपने मोबाइल को चार्जिंग पर भी न लगाना पड़े. मोबाइल के अलावा आप घर, ऑफिस और सफर में लैपटॉप का भरपूर इस्तेमाल करें और फिर भी उसे चार्जिंग के लिए घर ऑफिस या ट्रेवल के दौरान चार्जिंग सॉकेट से जोड़ने की जरूरत न पड़े तो कितना अच्छा हो. पहली नजर में नामुमकिन दिखने वाली यह बात जल्द ही हकीकत में बदल सकती है. देश के अग्रणी तकनीकी शिक्षण संस्थान आईआईटी में इसको लेकर बेहद महत्वपूर्ण रिसर्च की जा रही है.

मानव शरीर की गर्मी से चार्ज होगा सामान
आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर अजय सोनी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि वह थर्मो इलेक्ट्रिकल मटेरियल पर काम कर रहे हैं. इस पद्धति में एक खास मॉड्यूल की मदद लेकर गर्मी से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है. लेकिन यह सौर ऊर्जा से बिल्कुल अलग है. इसके लिए न तो बहुत बड़े उपकरण चाहिए और न ही सूरज जैसे विशाल और बेहद गर्म ऑब्जेक्ट की आवश्यकता है. प्रोफेसर सोनी के मुताबिक अनेक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को तो केवल मानव शरीर की गर्मी से ही चार्ज किया जा सकता है.

ऐसी टेक्नोलॉजी जो अपशिष्ट ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदले
आईआईटी का कहना है कि औद्योगिक और ऊर्जा उत्पादन प्रक्रियाएं अक्सर भारी मात्रा में अपशिष्ट ऊष्मा उत्पन्न करती हैं जो वातावरण में अवशोषित हो जाती हैं. भारत में वैज्ञानिकों का एक समूह एक नई सामग्री पर काम कर रहा है, जो इन प्रक्रियाओं से अपशिष्ट गर्मी को पुनर्प्राप्त कर सकता है और इसके उपयोग को सुविधाजनक बना सकता है. शोधकर्ताओं की टीम ने कई नई स्मार्ट सामग्रियां विकसित की हैं जो विभिन्न उपकरणों की बेकार जाने वाली गर्मी को बिजली और बिजली के छोटे घरेलू उपकरणों और ऑटोमोबाइल में कुशलता से बदल सकती हैं. ऐसी सामग्री जो अपशिष्ट ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदल सकती है, थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री कहलाती है. सामग्री के एक सिरे को गर्म और दूसरे सिरे को ठंडा रखने से विद्युत वोल्टेज उत्पन्न होता है, जो एक तापमान प्रवणता बनाता है.

प्रोफेसर सोनी के मुताबिक-
उन्होंने एक ऐसा प्रोटोटाइप विकसित कर लिया है जोकि एक मॉड्यूल की मदद से इंसानी शरीर की गर्मी से ऊर्जा हासिल कर उसे इलेक्ट्रिसिटी में तब्दील कर सकता है. उदाहरण के तौर पर इस तकनीक के जरिए मोबाइल फोन को केवल हथेली में पकड़ने या फिर जेब में रखने भर से ही चार्ज किया जा सकता है. ऐसे ही लैपटॉप को गोद (लैप) में रखने भर से बिना किसी चार्जर, सॉकेट या स्विच के चार्ज किया जा सकता है.

Human Body as Charger
तस्वीर में दिखाए गए सामान मानव शरीर से होंगे चार्ज

ऊर्जा के लिए इंसान गर्मी ही काफी
डॉक्टर सोनी ने बताया कि इन उपकरणों को चार्ज करने के लिए इंसान के शरीर से निकलने वाली गर्मी ही काफी है. इन सभी उपकरणों में एक छोटा सा मॉड्यूल सेट किया जाएगा. इसके बाद वह मॉड्यूल शरीर की गर्मी से इन उपकरणों को चार्ज कर सकता है. यह चार्जिंग बिना किसी चार्जर के संभव हो सकेगी. दरअसल उपकरण में फीट और दिखाई न देने वाला मॉड्यूल, शरीर की गर्मी को ऊर्जा में तब्दील कर इन उपकरणों को चार्ज करेगा.

मोबाइल के साथ-साथ ये सामान भी होंगे चार्ज
आईआईटी में चल रही रिसर्च के मुताबिक केवल मोबाइल और लैपटॉप ही नहीं बल्कि हाथ की घड़ी, कान के ईयर फोन जैसे अनेक उपकरणों को इंसानी गर्मी से ऐसे ही चार्ज किया जा सकता है. खास बात यह है कि इस चार्जिंग के लिए किसी चार्जर की भी आवश्यकता नहीं है. इन्हें चार्ज करने के लिए एक केवल इंसान के शरीर का संपर्क में आना ही काफी है.

नया मॉड्यूल अन्य उपकरणों पर भी कारगर
प्रोफेसर सोनी ने बताया कि अपनी रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि उनकी टीम द्वारा विकसित किया गया यह मॉड्यूल मानव शरीर के अलावा विभिन्न उपकरणों से निकलने वाली गर्मी को कुशलता से बिजली में बदल सकता है. अभी तक यह गर्मी बिना किसी इस्तेमाल के वातावरण में यूं ही व्यर्थ हो जाती है. उदाहरण के तौर पर कार के बोनट के गर्म होने पर उससे ऊर्जा का निर्माण किया जा सकता है. इसी तरह आप पानी फेकने वाले पंप की गर्मी से भी ऊर्जा बना सकते हैं.

वैज्ञानिक स्केलेबल थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइस पर काम कर रहे
प्रोफेसर सोनी का कहना है कि ऐसे अनेक बड़े उपकरण हैं जिनसे हीट निकलती है और इस हीट को बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल यह हीट हमारे वातावरण में यूं ही व्यर्थ हो जाती है, जिससे वातावरण को भी नुकसान पहुंचता है. ऐसी ऊर्जा की बचत व उपयोगिता से छोटे घरेलू उपकरणों, ऑटोमोबाइल और यहां तक कि अंतरिक्ष मिशन से जुड़े उपकरणों को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है. इसके लिए वैज्ञानिक एक स्केलेबल थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइस पर काम कर रहे हैं, जो निम्न श्रेणी के अपशिष्ट ताप को बिजली में परिवर्तित कर सकता है.

(आईएएनएस)

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नई दिल्ली : आप दिन भर मोबाइल का खूब इस्तेमाल करें, बावजूद इसके न तो मोबाइल की बैटरी खत्म हो और आपको अपने मोबाइल को चार्जिंग पर भी न लगाना पड़े. मोबाइल के अलावा आप घर, ऑफिस और सफर में लैपटॉप का भरपूर इस्तेमाल करें और फिर भी उसे चार्जिंग के लिए घर ऑफिस या ट्रेवल के दौरान चार्जिंग सॉकेट से जोड़ने की जरूरत न पड़े तो कितना अच्छा हो. पहली नजर में नामुमकिन दिखने वाली यह बात जल्द ही हकीकत में बदल सकती है. देश के अग्रणी तकनीकी शिक्षण संस्थान आईआईटी में इसको लेकर बेहद महत्वपूर्ण रिसर्च की जा रही है.

मानव शरीर की गर्मी से चार्ज होगा सामान
आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर अजय सोनी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि वह थर्मो इलेक्ट्रिकल मटेरियल पर काम कर रहे हैं. इस पद्धति में एक खास मॉड्यूल की मदद लेकर गर्मी से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है. लेकिन यह सौर ऊर्जा से बिल्कुल अलग है. इसके लिए न तो बहुत बड़े उपकरण चाहिए और न ही सूरज जैसे विशाल और बेहद गर्म ऑब्जेक्ट की आवश्यकता है. प्रोफेसर सोनी के मुताबिक अनेक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को तो केवल मानव शरीर की गर्मी से ही चार्ज किया जा सकता है.

ऐसी टेक्नोलॉजी जो अपशिष्ट ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदले
आईआईटी का कहना है कि औद्योगिक और ऊर्जा उत्पादन प्रक्रियाएं अक्सर भारी मात्रा में अपशिष्ट ऊष्मा उत्पन्न करती हैं जो वातावरण में अवशोषित हो जाती हैं. भारत में वैज्ञानिकों का एक समूह एक नई सामग्री पर काम कर रहा है, जो इन प्रक्रियाओं से अपशिष्ट गर्मी को पुनर्प्राप्त कर सकता है और इसके उपयोग को सुविधाजनक बना सकता है. शोधकर्ताओं की टीम ने कई नई स्मार्ट सामग्रियां विकसित की हैं जो विभिन्न उपकरणों की बेकार जाने वाली गर्मी को बिजली और बिजली के छोटे घरेलू उपकरणों और ऑटोमोबाइल में कुशलता से बदल सकती हैं. ऐसी सामग्री जो अपशिष्ट ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में बदल सकती है, थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री कहलाती है. सामग्री के एक सिरे को गर्म और दूसरे सिरे को ठंडा रखने से विद्युत वोल्टेज उत्पन्न होता है, जो एक तापमान प्रवणता बनाता है.

प्रोफेसर सोनी के मुताबिक-
उन्होंने एक ऐसा प्रोटोटाइप विकसित कर लिया है जोकि एक मॉड्यूल की मदद से इंसानी शरीर की गर्मी से ऊर्जा हासिल कर उसे इलेक्ट्रिसिटी में तब्दील कर सकता है. उदाहरण के तौर पर इस तकनीक के जरिए मोबाइल फोन को केवल हथेली में पकड़ने या फिर जेब में रखने भर से ही चार्ज किया जा सकता है. ऐसे ही लैपटॉप को गोद (लैप) में रखने भर से बिना किसी चार्जर, सॉकेट या स्विच के चार्ज किया जा सकता है.

Human Body as Charger
तस्वीर में दिखाए गए सामान मानव शरीर से होंगे चार्ज

ऊर्जा के लिए इंसान गर्मी ही काफी
डॉक्टर सोनी ने बताया कि इन उपकरणों को चार्ज करने के लिए इंसान के शरीर से निकलने वाली गर्मी ही काफी है. इन सभी उपकरणों में एक छोटा सा मॉड्यूल सेट किया जाएगा. इसके बाद वह मॉड्यूल शरीर की गर्मी से इन उपकरणों को चार्ज कर सकता है. यह चार्जिंग बिना किसी चार्जर के संभव हो सकेगी. दरअसल उपकरण में फीट और दिखाई न देने वाला मॉड्यूल, शरीर की गर्मी को ऊर्जा में तब्दील कर इन उपकरणों को चार्ज करेगा.

मोबाइल के साथ-साथ ये सामान भी होंगे चार्ज
आईआईटी में चल रही रिसर्च के मुताबिक केवल मोबाइल और लैपटॉप ही नहीं बल्कि हाथ की घड़ी, कान के ईयर फोन जैसे अनेक उपकरणों को इंसानी गर्मी से ऐसे ही चार्ज किया जा सकता है. खास बात यह है कि इस चार्जिंग के लिए किसी चार्जर की भी आवश्यकता नहीं है. इन्हें चार्ज करने के लिए एक केवल इंसान के शरीर का संपर्क में आना ही काफी है.

नया मॉड्यूल अन्य उपकरणों पर भी कारगर
प्रोफेसर सोनी ने बताया कि अपनी रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि उनकी टीम द्वारा विकसित किया गया यह मॉड्यूल मानव शरीर के अलावा विभिन्न उपकरणों से निकलने वाली गर्मी को कुशलता से बिजली में बदल सकता है. अभी तक यह गर्मी बिना किसी इस्तेमाल के वातावरण में यूं ही व्यर्थ हो जाती है. उदाहरण के तौर पर कार के बोनट के गर्म होने पर उससे ऊर्जा का निर्माण किया जा सकता है. इसी तरह आप पानी फेकने वाले पंप की गर्मी से भी ऊर्जा बना सकते हैं.

वैज्ञानिक स्केलेबल थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइस पर काम कर रहे
प्रोफेसर सोनी का कहना है कि ऐसे अनेक बड़े उपकरण हैं जिनसे हीट निकलती है और इस हीट को बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल यह हीट हमारे वातावरण में यूं ही व्यर्थ हो जाती है, जिससे वातावरण को भी नुकसान पहुंचता है. ऐसी ऊर्जा की बचत व उपयोगिता से छोटे घरेलू उपकरणों, ऑटोमोबाइल और यहां तक कि अंतरिक्ष मिशन से जुड़े उपकरणों को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है. इसके लिए वैज्ञानिक एक स्केलेबल थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइस पर काम कर रहे हैं, जो निम्न श्रेणी के अपशिष्ट ताप को बिजली में परिवर्तित कर सकता है.

(आईएएनएस)

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Last Updated : Jun 4, 2023, 3:48 PM IST
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