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नींद कम आना फेफड़े की बीमारी में धूम्रपान से ज्यादा हानिकारक : शोध - Lack of sleep is more harmful than smoking

आमतौर पर माना जाता है कि जब हम अच्छी नींद लेते हैं तो हमारा मस्तिष्क ज्यादा बेहतर तरीके से कार्य करता है, हम स्वस्थ रहते हैं. एक शोध में सामने आया है कि फेफड़े की बीमारी वाले रोगियों के लिए अच्छी नींद न लेना ज्यादा खतरनाक है.

Lack of sleep
नींद कम आना
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Published : Jun 14, 2022, 8:09 AM IST

न्यूयॉर्क : फेफड़े की बीमारी वाले रोगियों के लिए धूम्रपान की तुलना में अपर्याप्त या बाधित नींद ज्यादा हानिकारक हो सकता है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-सैन फ्रांसिस्को के शोधकर्ताओं ने पाया कि सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के रोगियों के लिए अपर्याप्त नींद अच्छी नींद वाले लोगों की तुलना में तकलीफ बढ़ने के जोखिम को 95 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है. नींद में कमी फेफड़ों की क्षति का कारण बन सकती है और रोग के कारण मृत्युदर में तेजी ला सकती है.

'स्लीप' पत्रिका में छपे शोध निष्कर्ष में पल्मोनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के यूसीएसएफ डिवीजन के एक नैदानिक प्रभारी आरोन बॉघ ने कहा, 'शोध से पता चलता है कि नींद की कमी संक्रमण से लड़ने वाले एंटीबॉडी और सुरक्षात्मक साइटोकिन्स में गिरावट के साथ जुड़ी हुई है.' शोधकर्ताओं ने पुष्टि किए गए सीओपीडी वाले 1,647 रोगियों का अनुसरण किया. उन्होंने फ्लेयर-अप दर्ज किया, जिन्हें उपचार की आवश्यकता वाले लक्षणों के अल्पकालिक बिगड़ने के रूप में परिभाषित किया गया और नींद की गुणवत्ता पर स्वयं-रिपोर्ट किए गए डेटा के साथ उनकी घटनाओं की तुलना की.

यूसीएसएफ स्कूल ऑफ मेडिसिन की पल्मोनोलॉजिस्ट नीता ठाकुर ने कहा, 'सीओपीडी के रोगियों का मूल्यांकन करने वाले चिकित्सकों द्वारा नींद के बारे में सवालों की अक्सर अनदेखी की जाती है.'

न्यूयॉर्क : फेफड़े की बीमारी वाले रोगियों के लिए धूम्रपान की तुलना में अपर्याप्त या बाधित नींद ज्यादा हानिकारक हो सकता है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-सैन फ्रांसिस्को के शोधकर्ताओं ने पाया कि सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के रोगियों के लिए अपर्याप्त नींद अच्छी नींद वाले लोगों की तुलना में तकलीफ बढ़ने के जोखिम को 95 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है. नींद में कमी फेफड़ों की क्षति का कारण बन सकती है और रोग के कारण मृत्युदर में तेजी ला सकती है.

'स्लीप' पत्रिका में छपे शोध निष्कर्ष में पल्मोनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के यूसीएसएफ डिवीजन के एक नैदानिक प्रभारी आरोन बॉघ ने कहा, 'शोध से पता चलता है कि नींद की कमी संक्रमण से लड़ने वाले एंटीबॉडी और सुरक्षात्मक साइटोकिन्स में गिरावट के साथ जुड़ी हुई है.' शोधकर्ताओं ने पुष्टि किए गए सीओपीडी वाले 1,647 रोगियों का अनुसरण किया. उन्होंने फ्लेयर-अप दर्ज किया, जिन्हें उपचार की आवश्यकता वाले लक्षणों के अल्पकालिक बिगड़ने के रूप में परिभाषित किया गया और नींद की गुणवत्ता पर स्वयं-रिपोर्ट किए गए डेटा के साथ उनकी घटनाओं की तुलना की.

यूसीएसएफ स्कूल ऑफ मेडिसिन की पल्मोनोलॉजिस्ट नीता ठाकुर ने कहा, 'सीओपीडी के रोगियों का मूल्यांकन करने वाले चिकित्सकों द्वारा नींद के बारे में सवालों की अक्सर अनदेखी की जाती है.'

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(आईएएनएस)

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