दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और साइंस टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को लॉन्च कर दी है. वैक्सीन का नाम iNCOVACC है. इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन iNCOVACC को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) सेंट लुइस के साथ मिलकर बनाया है. यह SARS-CoV-2 spike protein के साथ एक पुन: संयोजक प्रतिकृति वाली एडेनोवायरस वेक्टरेड वैक्सीन ( Adenovirus vectored vaccine ) है. नवंबर में Bharat Biotech को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ( CDSCO ) से इन्कोवैक की booster dose के उपयोग के लिए मंजूरी मिली थी.
iNCOVACC के फायदे
फेज- 3 के ट्रायल में 2 खुराक 4 सप्ताह के अंतराल पर दी गई. 3000 प्रतिभागियों पर यह ट्रायल किया गया. इस दौरान iNCOVACC ने अच्छी इम्युनिटी का परिणाम दिखाया. iNCOVACC वैक्सीन से लोगों के अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में कोरोना के खिलाफ जबरदस्त प्रतिरक्षा बनी है, जिससे संक्रमित होने और फैलने का खतरा काफी कम हो जाता है. हालांकि, ध्यान रखें कि टीका प्राप्त करने का मतलब यह नहीं है कि कोविड-19 से संबंधित अन्य सावधानियों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है. Nasal vaccine . intranasal Covid vaccine
- म्यूकोसा की संगठित प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण नाक के माध्यम से ( Nasal route ) टीकाकरण के लिए उत्कृष्ट है.
- प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं है, वैश्विक स्तर पर मांग को पूरा करने में सक्षम.
- सुई से मुक्त, सुई से जुड़े जोखिमों (चोटों और संक्रमण) का खात्मा.
कीमत और उपलब्धता
भारत बायोटेक ने कहा कि इन्कोवैक (INCOVACC) वैक्सीन कोविन पर उपलब्ध है. बाजार में इसकी कीमत 800 रुपये है. केंद्र और राज्य सरकारों को 325 रुपये में उपलब्ध होगी. Health Ministry के मुताबिक, iNCOVACC पहले निजी अस्पतालों को उपलब्ध करवाई जाएगी. इस वैक्सीन को Cowin एप के जरिए बुक किया जा सकता है. भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि अगले महीने जनवरी के चौथे हफ्ते से ये वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएगी. इन्कोवैक अभी 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को ही लगाई जाएगी.
क्या है नेजल वैक्सीन, कैसे काम करती है?
अधिकांश वायरस म्युकोसा के जरिए शरीर में प्रवेश होता है. म्युकोसा एक चिपचिपा पदार्थ होता है जो कि नाक, फेफड़ों, पाचन तंत्र में पाया जाता है. नेजल वैक्सीन म्युकोसा में ही रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है, जिससे संक्रमण से शुरुआत में ही बचा जा सकता है. जबकि अभी प्रचलित मस्कुलर वैक्सीन ऐसा नहीं कर पाती. भारत बायोटेक के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कृष्णा एल्ला ने कहा, हमने दो अलग-अलग प्लेटफार्मों से दो अलग-अलग डिलीवरी सिस्टम के साथ कोवैक्सीन और इन्कोवैक को विकसित किया है. वेक्टर इंट्रानेजल डिलीवरी प्लेटफॉर्म हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों और महामारी के दौरान तेजी से उत्पादन, आसान और बिना दर्द के टीकाकरण की क्षमता देता है.
iNCOVACC को नाक के माध्यम से, 2-डोज की श्रृंखला के रूप में, 4 सप्ताह के अंतराल पर दिया जाता है. कुल 8 बूंदें (0.5 ML प्रति खुराक), प्रत्येक नथुने में 4 बूंदें डाली जाती हैं. अगर किसी ने पहली दो डोज कोविशील्ड या कोवैक्सीन की ली हो तो ≥6 महीने बीत जाने के बाद iNCOVACC की बूस्टर डोज लगवा सकते हैं. पहली दो डोज किसी अन्य वैक्सीन की ली हो तो संबंधित हॉस्पिटल/डॉक्टर से सलाह लें.
iNCOVACC के साइड इफेक्ट्स (क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर)
- सिरदर्द
- बुखार
- बहती नाक
- छींक आना
- गंभीर एलर्जी ( शायद हो, ऐसी घटना के साक्ष्य नहीं )
साइड इफेक्ट्स होने पर क्या करें
यदि आप किसी दुष्प्रभाव का अनुभव करते हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर/स्वास्थ्य प्रदाता/वैक्सीनेटर/आपके टीकाकरण की निगरानी करने वाले अधिकारी से संपर्क करें/मिलें या तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं. इसके अलावा, आप iNCOVACC निर्माता भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड को टीकाकरण के बाद होने वाले दुष्प्रभावों की रिपोर्ट 24x7 टोल फ्री नंबर: +1 800 102 2245 पर कर सकते हैं, या pvg@bharotbiotech.com पर ईमेल करें.