सर्दियां भले ही शुरू हो गई हैं लेकिन इस बार अभी तक मच्छरों के काटने से होने वाले रोग व संक्रमण जैसे डेंगू , चिकनगुनिया या मलेरिया के मामलों में कमी नहीं आ रही हैं. यही नहीं अब तो जीका वायरस भी लोगों को काफी डरा रहा है. पिछले कुछ समय में देश के कुछ राज्यों में Zika virus के मामले सामने आने की पुष्टि हो चुकी है. एक तो वैसे ही इस मौसम को बीमारियों का मौसम कहा जाता है लेकिन फिलहाल Dengue , Malaria chikungunya के साथ अब जीका वायरस भी लोगों की चिंता व परेशानियां बढ़ाते हुए नजर आ रहें है. वैसे तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू तथा जीका वायरस को लेकर कुछ अलर्ट जारी कर दिए गए हैं, लेकिन इन बीमारियों या संक्रमणों को बढ़ने से रोकने के लिए व्यक्तिगत प्रयास तथा आम जन में जरूरी जानकारियां होना भी बेहद जरूरी है. Dengue chikungunya and zika virus have almost similar symptoms . Dengue symptoms . Chikungunya symptoms . Zika virus . Symptoms .
मौसम में परिवर्तन भी है कारण: दिल्ली के हेल्थ केयर क्लिनिक के जनरल फिजीशियन डॉक्टर पलाश अग्निहोत्री (Dr Palash Agnihotri General Physician) बताते हैं कि आमतौर पर सर्दियों में डेंगू या मलेरिया सहित मच्छर के काटने के कारण होने वाले रोगों या वेक्टर जनित बीमारियों के मामलों में कमी आने लगती है. क्योंकि सर्दियों में मच्छरों का प्रकोप कुछ कम होने लगता है. लेकिन इस बार सर्दियां शुरू होने के बाद भी काफी संख्या में डेंगू के मामले सामने आ रहें हैं. इसके मुख्य कारणों में से एक बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन तथा साफ-सफाई का अभाव है.
वह बताते हैं कि देश के कई शहरों में अभी तक तापमान अपेक्षाकृत गर्म है वही और भी कई कारण है जिसके चलते अभी भी कई हिस्सों में डेंगू के मामले सामने आ रहें हैं. यही नहीं अब तो देश के कुछ राज्यों में जीका वायरस के मामले भी सामने आ रहें हैं. वह बताते हैं कि मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि तमाम जरूरी सावधानियों को अपनाया जाए साथ ही यदि शरीर में किसी प्रकार की समस्या नजर आ रही है तो उसके लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाय उन्हे लेकर सचेत रहा जाए और चिकित्सीय सलाह ली जाय.
डेंगू और जीका वायरस के प्रभाव : Dr Palash Agnihotri General Physician बताते हैं कि डेंगू हो या जीका वायरस दोनों के उपचार के लिए कोई एक विशेष दवा या टीका नहीं है. इसी के चलते इन दोनों की गंभीरता ज्यादा बढ़ जाती है. इन दोनों के ही इलाज के लिए दवाओं के माध्यम से इनके लक्षणों को नियंत्रित रखने का प्रयास किया जाता है. इसलिए यदि इन रोगों के बारें में समय से पता चल जाए तो इनके लक्षणों व प्रभावों को नियंत्रित करना , अपेक्षाकृत ज्यादा सरल होता है. लेकिन यदि रोग की जांच और इलाज में देर हो जाए तो विशेषतौर पर डेंगू में रक्त में प्लेटलेट्स जरूरत से ज्यादा कम हो सकते हैं जो शरीर के कई ऑर्गन को प्रभावित कर सकते हैं और जानलेवा स्थिति का कारण बन सकते हैं. वहीं जीका वायरस के प्रभाव के चलते शरीर में कुछ अन्य गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
गौरतलब है कि जीका वायरस विशेषतौर पर गर्भवती महिलाओं , उनके अजन्मे भ्रूण, नवजात या कम आयु वाले शिशु तथा उनकी मां को अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावित करता है. यह संक्रमण अजन्में बच्चे में मस्तिष्क संबंधी समस्या तथा बड़ों में ऑटो इम्यून रोगों का कारण भी बन सकते हैं. वहीं यह अगर गर्भवती मां को हो जाये तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. वह बताते हैं कि हालांकि डेंगू के मुकाबले जीका वायरस से मृत्यु का खतरा अपेक्षाकृत कम होता है लेकिन यह शरीर में कई गंभीर प्रभाव तथा सिंड्रोम व परिस्थिति का कारण बन सकता है. वह बताते हैं कि रोग चाहे कोई भी हो, स्वास्थ्य को प्रभावित करता ही है इसलिए जरूरी है कि हर संभव तरीके से मच्छरों के कारण होने वाले रोगों के प्रसार को रोकने के प्रयास किए जाए.
लक्षणों में समानता : General Physician Dr Palash Agnihotri General Physician बताते हैं कि आमतौर पर डेंगू, चिकनगुनिया तथा जीका वायरस सभी के ज्यादातर शुरुआती लक्षण एक समान होते हैं. जैसे सभी में पीड़ित को तेज बुखार, बदन में दर्द,शरीर पर चक्कते,उलटी-मतली आना, सिर में दर्द तथा थकान जैसे लक्षण नजर आते हैं. लेकिन इनके अलावा भी विशेषतौर पर डेंगू के मामलों में डेंगू के प्रकार यानी उसके सामान्य या गंभीर प्रकार के आधार पर पीड़ित में कुछ अन्य लक्षण भी देखे जाते हैं जैसे सिर व आंखों में तेज दर्द, स्वाद का पता ना चलना तथा भूख ना लगना और डी.एच.एस यानी डेंगू हेमोरेजिक बुखार में मसूड़ों से खून आना, फेफड़ों में पानी भर जाना, शरीर की त्वचा का पीला तथा ठंडा पड़ जाना, ज्यादा प्यास लगना, सांस लेने में तकलीफ होना तथा कई बार खून वाली उल्टी आना आदि. वहीं जीका वायरस में सामान्य डेंगू के कम या ज्यादा तीव्र लक्षणों के साथ ही आँख आने या कंजेक्टिवाइटिस जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं.
बिना जांच मुश्किल है डेंगू और जीका वायरस में अंतर करना
वह बताते हैं कि सिर्फ लक्षणों के आधार पर डेंगू, चिकनगुनिया तथा जीका वायरस की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि इनके लक्षण लगभग एक समान ही होते हैं. इन तीनों में से पीड़ित को कौन सा रोग है यह जानने के लिए विशेष पैथोलॉजीकल जांच (खून व पेशाब) जरूरी होती है. डॉक्टर पलाश बताते हैं कि सिर्फ वर्तमान परिस्थितियों में ही नहीं बल्कि हमेशा किसी भी रोग के लक्षणों की शुरुआत होने पर खुद से कोई भी दवा या उपचार लेने की बजाय चिकित्सक को दिखाना बेहद जरूरी होता है. विशेषतौर पर वर्तमान समय में सिर्फ डेंगू, चिकनगुनिया या जीका वायरस ही नहीं, मलेरिया, टाइफाइड और यहां तक की कोविड़ के काफी मामले भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में रोग की पहचान व उसके सही इलाज के लिए जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है. इसके अलावा समस्या की पुष्टि होने के उपरांत खानपान तथा रहन-सहन सहित चिकित्सक द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का गंभीरता से पालन करना बहुत जरूरी है.
सावधानियां
- डॉ पलाश बताते हैं कि मच्छर जनित किसी भी रोग से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कुछ सावधानियों का विशेष ध्यान रखा जाए. जैसे.
- घर व आसपास पानी जमा ना होने दे.
- फ्रिज, घर के बाथरूम, घर में रखे गमलों व उनके आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें.
- नियमित रूप से मच्छरों को दूर रखने वाले कीटनाशकों का घर तथा दफ्तर में स्प्रे करें, या कॉएल व मशीन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- विशेषतौर पर बच्चों को स्कूल जाते समय या खेलने जाते समय मच्छरों को दूर रखने वाली क्रीम (जहां तक संभव हो हर्बल) लगाएं.
- घर में यदि खुला तथा बड़ा बगीचा है तो फॉगिंग कराएं .
- घर में यदि फिश एक्वेरियम है तो उसे नियमित तौर पर साफ करें या फिर घर में चिड़िया या कोई अन्य पालतू जानवर है तो उनके आसपास के स्थान तथा पानी व खाने के बर्तनों को नियमित तौर साफ करें और सूखा रखें.
- घर के बाहर यदि पेड़-पौधे हैं या खरपतवार ज्यादा उग रही है तो घास को कटवाएं, वहां साफ-सफाई करवाएं और फॉगिंग करवाएं.
- विशेषतौर पर घर से बाहर निकलने पर ऐसे कपड़े पहने जिनमें हाथ तथा पैर पूरी तरह से ढके हों .
- ऐसे इलाकों में जहां लगातार डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया या जीका वायरस के मामले सामने आ रहे हो वहां कीटनाशक स्प्रे (फॉगिंग) कराना जरूरी है.
- जहां तक संभव हो सुबह तथा शाम खिड़की तथा दरवाजे बंद रखें