2021 में कैसी होगी साइबर सुरक्षा
रैंसमवेयर का खतरा बढ़ेगा और अधिक घातक हो सकता है
रैंसमवेयर, साल दर साल घातक होता जा रहा है और आने वाला साल 2021 भी इससे अछूता नहीं रहेगा. 2020 में रैंसमवेयर के बहुत सारे मामले सामने आए. रैंसमवेयर-ऐज-ए-सर्विस (रास) को अंजाम देने के लिए नई-नई तकनीकियां भी इजात की गई. रैंसमवेयर, हमलों में केवल फिरौती की ही मांग नहीं होती, बल्कि लोगों का जीवन भी प्रभावित होता है. जैसे की अस्पतालो और सरकारी सस्थानों पर हमला करना. रैंसमवेयर अटैक्स से बचने का आप अपने डेटा का ऑनलाइन बैकअप ले सकते हैं, कॉन्टेंट स्कैनिंग और फिल्टरिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं, आदि.
2021, साइबर कोल्ड वॉर का समय होगा
सोलरविंड से होने वाली परेशानी पर काम तो चल रहा है, लेकिन साइबर हैकर्स अपना काम करते रहेगें. लगभग 18 हजार अलग- अलग देशों के एक्टर्स साइबर अटैक की प्रक्रिया में सामने आए थें, इसलिए जरुरी है कि कंपनिया इन एक्टर्स को गंभीरता से लें. यह एक्टर्स और साइबर क्राइम ऑर्गेनाइजेशन 2021 में और ज्यादा सक्रिय हो जाएगें.
MITRE यानि एंडपॉइंट सिक्योरिटी टेस्टिंग, इन अटैक्स को रोकने वाले टूल की क्षमता को जांचने में मददगार साबित हो सकता है, जैसे रुस के APT29 ग्रुप से जुड़े अटैक्स.
यह APT ग्रुप्स, रुस, चीन, ईरान और नॉर्थ कोरिया से जुड़े है और यह यूएस, यूरोप और मिडिल ईस्ट की संस्थानों को निशाना बनाते है. इस तरह के अटैक्स की 2021 में बढ़ने की पूरी-पूरी संभावना है.
क्लाउड सुरक्षा, सबसे महत्वपूर्ण हो जाएगी
2020 में, कोविड-19 के चलते, लगभग सभी लोग ऑनलाइन ज्यादा वक्त बिताने लगे. घर से ही ज्यादा काम होने लगा. कंपनियों ने घर से काम कराने के लिए, क्लाउड का सहारा लिया ताकि ज्यादातर लोग सहुलियत से काम कर सकें. इस कारण क्लाउड का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया. क्लाउड से जुड़ी समस्याएं भी अपने पर फैलाने लगीं. इन समस्याओं के समाधान के लिए क्लाउड की सुरक्षा पर काम होने लगा.
देखा जाएं तो गूगल, ए डब्ल्यू एस और ऐज्योर के क्लाउड्स के तकनीकी ढ़ाचों में कुछ कमियां है, जिस कारण इनको हैक करना, साइबर क्रिमिनल के लिए आसान हो जाता है.
जैसे जैसे क्लाउड का इस्तेमाल बढ़ेगा वैसे वैसे इसकी सुरक्षा को लेकर भी कंपनियों को काम करने की आवश्यकता है. 2021 में जहां साइबर सिक्योरिटी की बात होगी, वहां क्लाउड सिक्योरिटी एक अहम मुद्दा होगा.
समय के साथ पासवर्ड का इस्तेमाल भी कम होता दिखाई दे सकता है
कल्पना कीजिए की आप पासवर्ड्स के बिना अपने ऑनलाइन एकाउंट्स को हैंडल कर सकते हैं. साइबर वर्ल्ड में कुछ इसी किस्म की बातें चल रहीं है. पर, एकदम ही पासवर्ड बिना काम नहीं चल पायेगा. यह जरुर होगा की पासवर्ड के मायने बदल जाएंगे जैसे की बॉयोमीट्रिक्स , पिंस , बेहेवियर एनालिटिक्स, और मल्टीफैक्टर ऑथेंटिकेशन.
ऐसा करने से साइबर फटीग कम हो जाएगा, पर कैसे ? क्योंकि लम्बे कॉम्प्लेक्स पासवर्ड्स से हमें छुटकारा मिल जाएगा. पासवर्ड मैनेजर्स या अन्य सुरक्षा टूल्स हमारे लिये पासवर्ड को मैनेज करने का कार्य करेंगे. पासवर्ड्स के इस बदलती स्वरूप में ही साइबर सुरक्षा निहत है.
साइबर सुरक्षा के लिए जरुरी है कि किसी पर भरोसा ना करें
अपने पासवर्ड, नेटवर्क, एप्लिकेशन, डाटा से जुड़ी जानकारियों को अपने तक सीमित रखें और किसी से साझा ना करें. अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपका डाटा, पासवर्ड आदि सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाएगी. इसके अलावा, आप वीपीएन और पल्गइन( यूएसबी, चार्जिंग पल्ग, आदि) का इस्तेमाल करते समय भी किसी पर भरोसा ना करें.
सिक्योर एक्सेस सर्विस एज (एसएएसई) एक तकनीक है, जो जीरो ट्रस्ट(किसी पर भरोसा ना करें) को लेकर चलती है. जैसे-जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स उपकरणों का उपयोग बढ़ेगा, सिक्योर एक्सेस सर्विस एज में भी वृद्धि हो सकती है. साइबर सुरक्षा का गुरुमंत्र हैं की 2021 में आप किसी पर भरोसा ना करें.
डेटा की गोपनीयता, डिजिटल राइट्स मैनेजमेंट का मुद्दा हो सकती है
2020 में हमने देखा कि हमारे ऑनलाइन डेटा, अलग-अलग प्लेटफॉर्म से चुराए गए. इस डेटा की सुरक्षा, 2021 का एक अहम मुद्दा है. इसके लिए सरकार, कुछ नितियां बनाएंगी. इन नितियों के तहत, कंपनियों पर दबाव डाला जाएगा कि वह हमारे डेटा को लिक ना करे. यह सारी प्रक्रिया, डेटा राइट्स मैनेजमेंट में आ जाएगी.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स(IoT) उपकरणों पर अधिक खतरा हो सकता
कोविड-19 के चलते, ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे है, ऑनलाइन अपना समय बिता रहे हैं. इसके चलते हमारे इंटरनेट ऑफ थिंग्स(IoT) उपकरण, एक दूसरे से जुड़े रहते है. 2021 में भी इन उपकरणों की मांग बढ़ेगी. जिस कारण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स(IoT) उपकरणों पर साइबर अटैक्स का खतरा बढ़ जाएगा.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स(IoT) उपकरणों मेंं स्मार्ट लाइटिंग, ऊर्जा और पर्यावरण मॉनिटरिंग, सेंसर-इनेबल्ड स्पेस यूटिलाइजेशन सोल्यूशन, आदि शामिल है. जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स(IoT) उपकरण, सुरक्षित नहीं होते है, उन पर अलग-अलग तरह के साइबर अटैक्स करना आसान हो जाएगा.
एआई-आधारित अटैक्स हो सकते हैं
साइबर वर्ल्ड में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सदुपयोग होता है, वहीं इसका दुरुपयोग भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है. साइबर अपराधी, अब एआई-आधारित अटैक्स जैसे डीपफेक, आदि को भी अंजाम देने लगे है. 2021 में भी एआई-आधारित अटैक्स का खतरा बना रहेगा. लेकिन अच्छी बात यह है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सही इस्तेमाल किया जाए, तो यह इन खतरों से बचने में मदद भी कर सकता है.
कर्नल इंद्रजीत के मुताबिक, कोई भी साल हो, साल का कोई भी समय हो, साइबर सिक्योरिटी का मुद्दा, हर कंपनी, हर व्यक्ति के लिए अहम होना चाहिए.
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