लखनऊ : आज काकोरी कांड (Kakori Kand) की 97वीं वर्षगांठ है. इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) ने आज काकोरी शहीद स्मारक पर जाकर शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी. वहीं, इस मौके पर सीएम योगी ने इतिहास में काकोरी कांड के नाम से दर्ज इस स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक घटना का नाम बदलते हुए इसका नाम 'काकोरी ट्रेन एक्शन' करने की बाद कही. सीएम योगी ने कहा कि अंग्रेजी इतिहासकारों ने काकोरी की घटना के लिए कांड शब्द का इस्तेमाल किया था, जो अपमान जनक लगता था. ऐसे में अब इस घटना को 'काकोरी ट्रेन एक्शन' के नाम से जाना जाएगा.
भारत की आजादी के 75वें वर्ष को यादगार बनाने के लिए देशभर में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके तहत अगल-अलग स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को आजादी के महत्व एवं बलिदानियों के बारे में जानकारी देना है, ताकि युवा उनके गुणों को आत्मसात कर सके. इसके तहत जन आंदोलन, भारत का स्वर्णिम इतिहास, उसके विकास के बारे में बताया जाएगा. इसके अलावा भारत की वैश्विक पहचान आदि के बारे में जानकारी देना है. इसी कड़ी में प्रदेश में आजादी के अमृत महोत्सव और चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव और 'काकोरी ट्रेन एक्सशन डे' की वर्षगांठ मनाई जा रही है.
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क्या है काकोरी कांड?
जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था तब स्वतंत्रता आंदोलन को तेज करने के लिए धन की जरूरत थी. इसके लिए क्रांतिकारियों ने शाहजहांपुर में एक मीटिंग की. इसमें राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई. इसके अनुसार राजेंद्रनाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन को चेन खींचकर रोका.
क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाकउल्ला खां, पं. चंद्रशेखर आजाद और अन्य सहयोगियों की मदद से ट्रेन पर धावा बोलाकर सरकारी खजाना लूट लिया. इस घटना को ही काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है. ब्रिटिश हूकमत ने इस मामले में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 क्रांतिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का केस चलाया. जिसमें राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई. इस केस में 16 अन्य क्रांतिकारियों को कम से कम 4 साल की सजा से लेकर अधिकतम कालापानी और आजीवन कारावास तक का दंड दिया गया.